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सशस्त्र बलों में व्यभिचार मामला : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस - उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र की उस याचिका पर नोटिस जारी किया

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र की उस याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें सेना में व्यभिचार को कम करने के लिए 2018 के फैसले को सशस्त्र बलों पर लागू नहीं करने की अपील की गई है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष उठाने की बात कही है.

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Published : Jan 13, 2021, 3:24 PM IST

Updated : Jan 13, 2021, 4:54 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 497 के तहत व्यभिचार को कम करने के लिए 2018 के शीर्ष अदालत के फैसले को सशस्त्र बलों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और के. एम. जोसेफ के साथ ही न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने बुधवार को केंद्र सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है. साथ ही इसकी सुनवाई पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में कराने के लिए मामले को प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एस. ए. बोबडे के पास भेजा है.

शीर्ष अदालत ने तब उल्लेख किया था कि यह केवल तलाक के लिए एक आधार हो सकता है.

दरअसल, केंद्र का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्यभिचार पर दिए गए फैसले को सशस्त्र बलों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए, जहां एक कर्मचारी को सहकर्मी की पत्नी के साथ व्यभिचार करने के लिए असहनीय आचरण के आधार पर सेवा से निकाला जा सकता है.

याचिकाकर्ता रक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि अधिकारियों के जीवनसाथी के साथ व्यभिचार करने के कारण सशस्त्र बल के जवानों को सेवा से बाहर किया जा सकता है.

केंद्र ने दलील दी कि व्यभिचार पर शीर्ष अदालत के फैसले से सशस्त्र बलों के भीतर अस्थिरता पैदा हो सकती है, क्योंकि रक्षा कर्मियों को विभिन्न तरह की परिस्थितियों में काम करना होता है.

केंद्र ने जोर दिया कि सुरक्षाकर्मी अपनी सेवा के दौरान कई बार सीमाओं पर या अन्य दूर-दराज के क्षेत्रों में तैनात होते हैं, जिस कारण वे लंबे समय तक अपने परिवार से दूर रहते हैं.

एक संक्षिप्त सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा कि इस मामले को पांच-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष रखा जाएगा.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 497 के तहत व्यभिचार को कम करने के लिए 2018 के शीर्ष अदालत के फैसले को सशस्त्र बलों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और के. एम. जोसेफ के साथ ही न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने बुधवार को केंद्र सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है. साथ ही इसकी सुनवाई पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में कराने के लिए मामले को प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एस. ए. बोबडे के पास भेजा है.

शीर्ष अदालत ने तब उल्लेख किया था कि यह केवल तलाक के लिए एक आधार हो सकता है.

दरअसल, केंद्र का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्यभिचार पर दिए गए फैसले को सशस्त्र बलों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए, जहां एक कर्मचारी को सहकर्मी की पत्नी के साथ व्यभिचार करने के लिए असहनीय आचरण के आधार पर सेवा से निकाला जा सकता है.

याचिकाकर्ता रक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि अधिकारियों के जीवनसाथी के साथ व्यभिचार करने के कारण सशस्त्र बल के जवानों को सेवा से बाहर किया जा सकता है.

केंद्र ने दलील दी कि व्यभिचार पर शीर्ष अदालत के फैसले से सशस्त्र बलों के भीतर अस्थिरता पैदा हो सकती है, क्योंकि रक्षा कर्मियों को विभिन्न तरह की परिस्थितियों में काम करना होता है.

केंद्र ने जोर दिया कि सुरक्षाकर्मी अपनी सेवा के दौरान कई बार सीमाओं पर या अन्य दूर-दराज के क्षेत्रों में तैनात होते हैं, जिस कारण वे लंबे समय तक अपने परिवार से दूर रहते हैं.

एक संक्षिप्त सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा कि इस मामले को पांच-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष रखा जाएगा.

Last Updated : Jan 13, 2021, 4:54 PM IST

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