ETV Bharat / bharat

मुस्लिम लड़कियों के लिए भी शादी की उम्र 18 हो, याचिका पर SC ने केंद्र को भेजा नोटिस - SC ने केंद्र को भेजा नोटिस

महिलाओं के लिए शादी की एक समान उम्र की मांग वाली राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने केंद्र को नोटिस जारी किया है. आयोग ने धर्म के आधार पर हाई कोर्ट द्वारा मुस्लिम लड़िकयों की कम उम्र में शादी को वैध ठहराए जाने के आदेश को चुनौती दी है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Dec 9, 2022, 4:34 PM IST

Updated : Dec 9, 2022, 6:52 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने महिलाओं के लिए शादी की एक समान उम्र की मांग वाली राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि कम उम्र की मुस्लिम लड़िकयों की शादी को वैध ठहराया जाता है, जिसकी वजह से पाक्सो एक्ट का उल्लंघन होता है.

इस सिलसिले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने धर्म के आधार पर हाई कोर्ट के द्वारा मुस्लिम लड़िकयों की कम उम्र में शादी को वैध ठहराए जाने के आदेश को चुनौती दी थी. इसी याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र को चार सप्ताह के अंदर के जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.

याचिका के मुताबिक, यह न केवल तर्कहीन और भेदभावपूर्ण है, बल्कि दंड कानूनों के प्रावधानों का भी उल्लंघन करता है. नाबालिग लड़कियों को यौन अपराधों से बचाने के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया है. तर्क में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अनुसार, जो बलात्कार के लिए है, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की सहमति किसी भी यौन गतिविधि के लिए सहमति नहीं मानी जाएगी, यह एक दंडनीय अपराध है. ये भी कहा गया कि 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष और 18 वर्ष से कम आयु की कन्या का विवाह बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत एक दंडनीय अपराध है. इसके मुताबिक, मुस्लिम पर्सनल लॉ, जो बच्चों को शादी करने की अनुमति देता है, दंड प्रावधानों के हिसाब से गलत है.

बता दें कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र में की सकती है. हालांकि, कानून के मुताबिक देश में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल तय है. इससे कम उम्र में लड़कियों की शादी करना अपराध की श्रेणी में आता है. इस मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ कर रही थी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी 2023 को होगी.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ टिप्पणियां खारिज की

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने महिलाओं के लिए शादी की एक समान उम्र की मांग वाली राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि कम उम्र की मुस्लिम लड़िकयों की शादी को वैध ठहराया जाता है, जिसकी वजह से पाक्सो एक्ट का उल्लंघन होता है.

इस सिलसिले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने धर्म के आधार पर हाई कोर्ट के द्वारा मुस्लिम लड़िकयों की कम उम्र में शादी को वैध ठहराए जाने के आदेश को चुनौती दी थी. इसी याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. साथ ही कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र को चार सप्ताह के अंदर के जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.

याचिका के मुताबिक, यह न केवल तर्कहीन और भेदभावपूर्ण है, बल्कि दंड कानूनों के प्रावधानों का भी उल्लंघन करता है. नाबालिग लड़कियों को यौन अपराधों से बचाने के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया है. तर्क में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अनुसार, जो बलात्कार के लिए है, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की सहमति किसी भी यौन गतिविधि के लिए सहमति नहीं मानी जाएगी, यह एक दंडनीय अपराध है. ये भी कहा गया कि 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष और 18 वर्ष से कम आयु की कन्या का विवाह बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत एक दंडनीय अपराध है. इसके मुताबिक, मुस्लिम पर्सनल लॉ, जो बच्चों को शादी करने की अनुमति देता है, दंड प्रावधानों के हिसाब से गलत है.

बता दें कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र में की सकती है. हालांकि, कानून के मुताबिक देश में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल तय है. इससे कम उम्र में लड़कियों की शादी करना अपराध की श्रेणी में आता है. इस मामले की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ कर रही थी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी 2023 को होगी.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ टिप्पणियां खारिज की

Last Updated : Dec 9, 2022, 6:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.