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त्रिपुरा हिंसा : सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने कहा- चुनाव टालने के पक्ष में नहीं

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Published : Nov 23, 2021, 7:10 AM IST

Updated : Nov 23, 2021, 5:32 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में त्रिपुरा हिंसा मामले पर सुनवाई हुई. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ में TMC की अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान उम्मीदवारों की सुरक्षा पर सवालों को लेकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कई अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि डीजीपी और आईजी यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएंगे कि चुनाव प्रक्रिया मतगणना तक बिना किसी व्यवधान के शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो.

याचिका पर सुनवाई आज
याचिका पर सुनवाई आज

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress-TMC) की अवमानना याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई है. याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत चुनाव टालने के पक्ष में नहीं है. इस याचिका में TMC ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले विपक्षी दलों के खिलाफ हिंसक घटनाओं को रोकने में विफल रहने के लिए त्रिपुरा सरकार और अन्य के खिलाफ अवमानना कार्रवाई का अनुरोध किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अवमानना ​​याचिका में वकील जयदीप गुप्ता और गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत से 25 नवंबर को होने वाले चुनावों को स्थगित करने के अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने का अनुरोध किया.

अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल चुनावों पर 28 जून के आदेश के तथ्य पर विचार करते हुए कि बलों को फिर से तैनात करना संभव नहीं, अदालत ने 5 चरणों में होने वाले चुनावों को पुनर्निर्धारित किया.

अदालत ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है जो आज 16:30 बजे समाप्त हो रही है. 28 नवंबर को मतों की मतगणना होनी है. ऐसे में आशंकाओं के बीच कोर्ट का विचार है कि त्रिपुरा को निर्देश जारी कर प्रशासन को उचित रूप से संबोधित किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शेष चरण के चुनाव शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से हों.

कोर्ट ने कहा कि कानून और व्यवस्था के किसी भी उल्लंघन से पूरी तरह से कानून के अनुसार निपटा जाए. पुलिस महानिरीक्षक और त्रिपुरा के पुलिस महानिदेशक का बयान रिकार्ड में रखा गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट आदेश दिया कि (डीजीपी और आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सीआरपीएफ से लिए गए अतिरिक्त सुरक्षाबलों की ताकत का आकलन करने के उद्देश्य से कल सुबह तक राज्य चुनाव आयोग के साथ एक संयुक्त बैठक करेंगे.

कोर्ट ने कहा कि जमीनी स्तर पर स्थिति का आकलन करने के बाद सीआरपीएफ या गृह मंत्रालय को मांग पत्र प्रस्तुत किया जाएगा. ऐसे किसी भी अनुरोध पर विधिवत विचार किया जाएगा ताकि शांति सुरक्षा सुनिश्चित करने और 25 नवंबर को चुनाव कराने के लिए स्थिति को ध्यान में रखा जा सके.

डीजीपी और आईजी यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएंगे कि चुनाव प्रक्रिया मतगणना तक बिना किसी व्यवधान के शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो.

चूंकि याचिकाकर्ताओं द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने पर गंभीर शिकायत व्यक्त की गई है, इसलिए प्रतिवादी कोमोकिन्स (comoakins) के बयान का विवरण पेश करेंगे. इसके साथ पंजीकृत प्राथमिकी और इन पर की गई कार्रवाई समेत गिरफ्तारी का एक सारणीबद्ध विवरण भी प्रस्तुत करें. सारणीबद्ध विवरण अनुपालन शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत किया जाएगा.

अदालत ने कहा कि हम चुनाव स्थगित करने की प्रार्थना को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं. कोर्ट का मानना ​​है कि आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डीजीपी, आईजी और गृह मंत्रालय की है.

कोर्ट ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को गैर-आंशिक तरीके से अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए. अदालत ने कहा कि जब एक अनुपालन हलफनामा दायर किया जाता है. इसमें कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने, चुनावी प्रक्रिया को किसी भी तरह के दाग से बचाने के लिए उठाए गए कदम शामिल होने चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि डीजीपी को निर्देश दिया जाता है कि कोर्ट की बातों पर गंभीरता से अमल करें, जिससे कोर्ट को सख्त कदम न उठाना पड़े.

पढ़ें :- त्रिपुरा हिंसा : SC का पुलिस को निर्देश, आरोपियों पर बलपूर्वक कार्रवाई न हो

बता दें कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ याचिका की ने सुनवाई की. इससे पहले, TMC की तरफ से पेश अधिवक्ता अमर दवे ने कहा कि न्यायालय के 11 नवंबर के आदेश के बावजूद राज्य में स्थिति बिगड़ती जा रही है. हम उन निर्देशों को मजबूत करेंगे जो हमने पहले ही जारी किए हैं. उन्होंने कहा कि आज चुनाव प्रचार समाप्त होने तक आवश्यक प्रबंध होने चाहिए. मतदान निर्बाध हो यह सुनिश्चित किया जाए.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत लोकतंत्र में चुनाव स्थगित करने के खिलाफ है. उन्होंने कहा, अगर हम ऐसा करते हैं तो यह बहुत गलत बात होगी.

त्रिपुरा सरकार के वकील ने कहा कि सरकार ने तीन कंपनियों की मांग की थी, जो नहीं दी गई. इसलिए उन्होंने अन्य हिस्सों से तैनाती की अपील की. वकील ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भेजी गई कंपनियों को त्रिपुरा भेजा जा सकता है, जम्मू-कश्मीर में कोई चुनाव नहीं है, यह सरकार की तरफ से सिर्फ एक बहाना है.

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि सुरक्षाबलों को जम्मू-कश्मीर से बाहर निकालने और अगरतला में तैनात करने के लिए अदालत कैसे कह सकती है?

सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर सरकारी वकील ने कहा कि अदालत आज कुछ नहीं करेगी तो चीजें बदल जाएंगी, चुनाव प्रचार बाधित होगा. चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद उम्मीदवारों की सुरक्षा के लिए हर कैंडिडेट के साथ केवल दो कांस्टेबल हैं.

अधिवक्ता महेश जेठामलानी ने कहा कि त्रिपुरा में सीआरपीएफ के 78 सेक्शन हैं. हर सेक्शन में 8 जवान हैं. इन 78 में 17 में चुनाव कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ में जवानों की कमी है, ऐसे में उम्मीदवारों की सुरक्षा को लेकर क्या अपेक्षा है, यह समझ से परे है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 21 नवंबर से एक दिन पहले अवमानना याचिका दायर की गई. पश्चिम बंगाल से परिवहन मंत्री त्रिपुरा आए और उग्र बयान दिया.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कंपनियों का प्रावधान करेंगे.

पढ़ें :- त्रिपुरा सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करे : सुप्रीम कोर्ट

एडवोकेट गुप्ता ने कहा कि पुलिस ने हालात को आगे बढ़ने से नहीं रोका. यह आदर्श स्थिति नहीं है. यहां तक ​​कि पुलिस ने हाईकोर्ट के समक्ष कहा है कि बीजेपी से जुड़े 50-60 बदमाश भी उपद्रव में शामिल हैं.

गुप्ता ने कहा कि केवल मेरी पार्टी के सदस्य को गिरफ्तार किया गया, जब वह जिला अदालत में जमानत के लिए गईं तो चौंकाने वाली बात थी कि उनसे खिलाफ पुलिस ने धारा 307 लगाई है.

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि पुलिस ने कितने लोगों को गिरफ्तार किया है ?

सवाल के जवाब में वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि अब तक 88 लोग गिरफ्तार किए गए हैं. उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की गई है. आप लोगों को हाथापाई के आरोप में गिरफ्तार नहीं करते. किसी के चोटिल होने का भी मामला नहीं है.

वकील गोपाल सनाकरनारायण ने कहा कि बस हमें कुछ दिन दें, ताकि हम प्रचार कर सकें.

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress-TMC) की अवमानना याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई है. याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत चुनाव टालने के पक्ष में नहीं है. इस याचिका में TMC ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले विपक्षी दलों के खिलाफ हिंसक घटनाओं को रोकने में विफल रहने के लिए त्रिपुरा सरकार और अन्य के खिलाफ अवमानना कार्रवाई का अनुरोध किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अवमानना ​​याचिका में वकील जयदीप गुप्ता और गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत से 25 नवंबर को होने वाले चुनावों को स्थगित करने के अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने का अनुरोध किया.

अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल चुनावों पर 28 जून के आदेश के तथ्य पर विचार करते हुए कि बलों को फिर से तैनात करना संभव नहीं, अदालत ने 5 चरणों में होने वाले चुनावों को पुनर्निर्धारित किया.

अदालत ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है जो आज 16:30 बजे समाप्त हो रही है. 28 नवंबर को मतों की मतगणना होनी है. ऐसे में आशंकाओं के बीच कोर्ट का विचार है कि त्रिपुरा को निर्देश जारी कर प्रशासन को उचित रूप से संबोधित किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शेष चरण के चुनाव शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से हों.

कोर्ट ने कहा कि कानून और व्यवस्था के किसी भी उल्लंघन से पूरी तरह से कानून के अनुसार निपटा जाए. पुलिस महानिरीक्षक और त्रिपुरा के पुलिस महानिदेशक का बयान रिकार्ड में रखा गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट आदेश दिया कि (डीजीपी और आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सीआरपीएफ से लिए गए अतिरिक्त सुरक्षाबलों की ताकत का आकलन करने के उद्देश्य से कल सुबह तक राज्य चुनाव आयोग के साथ एक संयुक्त बैठक करेंगे.

कोर्ट ने कहा कि जमीनी स्तर पर स्थिति का आकलन करने के बाद सीआरपीएफ या गृह मंत्रालय को मांग पत्र प्रस्तुत किया जाएगा. ऐसे किसी भी अनुरोध पर विधिवत विचार किया जाएगा ताकि शांति सुरक्षा सुनिश्चित करने और 25 नवंबर को चुनाव कराने के लिए स्थिति को ध्यान में रखा जा सके.

डीजीपी और आईजी यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाएंगे कि चुनाव प्रक्रिया मतगणना तक बिना किसी व्यवधान के शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो.

चूंकि याचिकाकर्ताओं द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने पर गंभीर शिकायत व्यक्त की गई है, इसलिए प्रतिवादी कोमोकिन्स (comoakins) के बयान का विवरण पेश करेंगे. इसके साथ पंजीकृत प्राथमिकी और इन पर की गई कार्रवाई समेत गिरफ्तारी का एक सारणीबद्ध विवरण भी प्रस्तुत करें. सारणीबद्ध विवरण अनुपालन शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत किया जाएगा.

अदालत ने कहा कि हम चुनाव स्थगित करने की प्रार्थना को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं. कोर्ट का मानना ​​है कि आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डीजीपी, आईजी और गृह मंत्रालय की है.

कोर्ट ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को गैर-आंशिक तरीके से अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए. अदालत ने कहा कि जब एक अनुपालन हलफनामा दायर किया जाता है. इसमें कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने, चुनावी प्रक्रिया को किसी भी तरह के दाग से बचाने के लिए उठाए गए कदम शामिल होने चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि डीजीपी को निर्देश दिया जाता है कि कोर्ट की बातों पर गंभीरता से अमल करें, जिससे कोर्ट को सख्त कदम न उठाना पड़े.

पढ़ें :- त्रिपुरा हिंसा : SC का पुलिस को निर्देश, आरोपियों पर बलपूर्वक कार्रवाई न हो

बता दें कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ याचिका की ने सुनवाई की. इससे पहले, TMC की तरफ से पेश अधिवक्ता अमर दवे ने कहा कि न्यायालय के 11 नवंबर के आदेश के बावजूद राज्य में स्थिति बिगड़ती जा रही है. हम उन निर्देशों को मजबूत करेंगे जो हमने पहले ही जारी किए हैं. उन्होंने कहा कि आज चुनाव प्रचार समाप्त होने तक आवश्यक प्रबंध होने चाहिए. मतदान निर्बाध हो यह सुनिश्चित किया जाए.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत लोकतंत्र में चुनाव स्थगित करने के खिलाफ है. उन्होंने कहा, अगर हम ऐसा करते हैं तो यह बहुत गलत बात होगी.

त्रिपुरा सरकार के वकील ने कहा कि सरकार ने तीन कंपनियों की मांग की थी, जो नहीं दी गई. इसलिए उन्होंने अन्य हिस्सों से तैनाती की अपील की. वकील ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भेजी गई कंपनियों को त्रिपुरा भेजा जा सकता है, जम्मू-कश्मीर में कोई चुनाव नहीं है, यह सरकार की तरफ से सिर्फ एक बहाना है.

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि सुरक्षाबलों को जम्मू-कश्मीर से बाहर निकालने और अगरतला में तैनात करने के लिए अदालत कैसे कह सकती है?

सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर सरकारी वकील ने कहा कि अदालत आज कुछ नहीं करेगी तो चीजें बदल जाएंगी, चुनाव प्रचार बाधित होगा. चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद उम्मीदवारों की सुरक्षा के लिए हर कैंडिडेट के साथ केवल दो कांस्टेबल हैं.

अधिवक्ता महेश जेठामलानी ने कहा कि त्रिपुरा में सीआरपीएफ के 78 सेक्शन हैं. हर सेक्शन में 8 जवान हैं. इन 78 में 17 में चुनाव कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ में जवानों की कमी है, ऐसे में उम्मीदवारों की सुरक्षा को लेकर क्या अपेक्षा है, यह समझ से परे है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 21 नवंबर से एक दिन पहले अवमानना याचिका दायर की गई. पश्चिम बंगाल से परिवहन मंत्री त्रिपुरा आए और उग्र बयान दिया.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कंपनियों का प्रावधान करेंगे.

पढ़ें :- त्रिपुरा सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करे : सुप्रीम कोर्ट

एडवोकेट गुप्ता ने कहा कि पुलिस ने हालात को आगे बढ़ने से नहीं रोका. यह आदर्श स्थिति नहीं है. यहां तक ​​कि पुलिस ने हाईकोर्ट के समक्ष कहा है कि बीजेपी से जुड़े 50-60 बदमाश भी उपद्रव में शामिल हैं.

गुप्ता ने कहा कि केवल मेरी पार्टी के सदस्य को गिरफ्तार किया गया, जब वह जिला अदालत में जमानत के लिए गईं तो चौंकाने वाली बात थी कि उनसे खिलाफ पुलिस ने धारा 307 लगाई है.

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि पुलिस ने कितने लोगों को गिरफ्तार किया है ?

सवाल के जवाब में वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि अब तक 88 लोग गिरफ्तार किए गए हैं. उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की गई है. आप लोगों को हाथापाई के आरोप में गिरफ्तार नहीं करते. किसी के चोटिल होने का भी मामला नहीं है.

वकील गोपाल सनाकरनारायण ने कहा कि बस हमें कुछ दिन दें, ताकि हम प्रचार कर सकें.

Last Updated : Nov 23, 2021, 5:32 PM IST
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