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SC में असम अवैध शरणार्थी केस में धारा 6ए की वैधता के अध्ययन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू - अवैध अप्रवासी मामले में सुनवाई

देश की सर्वोच्च अदालत ने आज पूर्वोत्तर राज्य असम में अवैध अप्रवासी से संबंधित केस की सुनवाई शुरू की है. बता दें, यह केस असम में नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधता को लेकर है. (SC ASSAM CITIZENSHIP ACT, SC hearing pleas in Assam illegal immigrants)

SC hearing pleas in Assam illegal immigrants
SC में असम अवैध शरणार्थी केस की सुनवाई
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By PTI

Published : Dec 5, 2023, 12:55 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने असम में गैरकानूनी शरणार्थियों से जुड़ी नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता के अध्ययन का अनुरोध करने वाली 17 याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई शुरू की. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान की दलीलों पर सुनवाई कर रही है. पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे.

दीवान अभी मुकदमे की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उच्चतम न्यायालय के 2014 के फैसले का उल्लेख कर रहे हैं जिसमें याचिकाओं को वृहद संविधान पीठ के पास भेजा गया था. नागरिकता कानून की धारा 6ए को असम समझौते के अंतर्गत आने वाले लोगों की नागरिकता से जुड़े मुद्दे से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में जोड़ा गया था. इस प्रावधान में कहा गया है कि 1985 में संशोधित नागरिकता अधिनियम के अनुसार जो लोग एक जनवरी, 1966 को या उसके बाद, लेकिन 25 मार्च, 1971 से पहले बांग्लादेश सहित निर्दिष्ट क्षेत्रों से असम आए हैं और तब से असम के निवासी हैं, उन्हें नागरिकता के लिए धारा 18 के तहत स्वयं का पंजीकरण कराना होगा.

परिणामस्वरूप, प्रावधान में असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए ‘कट-ऑफ’ (अंतिम) तारीख 25 मार्च, 1971 तय की गई.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने असम में अवैध अप्रवासी मामले में सुनवाई 5 दिसंबर तक के लिए स्थगित की

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने असम में गैरकानूनी शरणार्थियों से जुड़ी नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता के अध्ययन का अनुरोध करने वाली 17 याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई शुरू की. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान की दलीलों पर सुनवाई कर रही है. पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे.

दीवान अभी मुकदमे की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उच्चतम न्यायालय के 2014 के फैसले का उल्लेख कर रहे हैं जिसमें याचिकाओं को वृहद संविधान पीठ के पास भेजा गया था. नागरिकता कानून की धारा 6ए को असम समझौते के अंतर्गत आने वाले लोगों की नागरिकता से जुड़े मुद्दे से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में जोड़ा गया था. इस प्रावधान में कहा गया है कि 1985 में संशोधित नागरिकता अधिनियम के अनुसार जो लोग एक जनवरी, 1966 को या उसके बाद, लेकिन 25 मार्च, 1971 से पहले बांग्लादेश सहित निर्दिष्ट क्षेत्रों से असम आए हैं और तब से असम के निवासी हैं, उन्हें नागरिकता के लिए धारा 18 के तहत स्वयं का पंजीकरण कराना होगा.

परिणामस्वरूप, प्रावधान में असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए ‘कट-ऑफ’ (अंतिम) तारीख 25 मार्च, 1971 तय की गई.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने असम में अवैध अप्रवासी मामले में सुनवाई 5 दिसंबर तक के लिए स्थगित की

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