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SC ने पंचायत में ओबीसी प्रतिनिधित्व के लिए आयोग के बारे में केंद्र से ली जानकारी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने केंद्र से पूछा कि क्या पंचायतों में ओबीसी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व से संबंधित मुद्दे की जांच के लिए किसी आयोग के गठन के बारे में जानकारी ली.

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Published : Dec 2, 2022, 9:37 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने केंद्र से पूछा कि क्या पंचायतों में ओबीसी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व से संबंधित मुद्दे की जांच के लिए किसी आयोग का गठन किया गया है. कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान भारत संघ के वकील से इस उद्देश्य के लिए कमीशन की मांग वाली याचिका में निर्देश प्राप्त करने को कहा.

मामले की सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की. इस दौरान याचिकाकर्ता ने कहा, अनुच्छेद 340 डेसिग्नेटेड कमीशन का प्रावधान देता है लेकिन आज तक कोई आयोग गठित नहीं किया गया. इस संबंध में सीजेआई ने जब न्यायमूर्ति रोहिणी आयोग के बारे में पूछताछ की तो याचिकाकर्ता कहना था कि जहां तक ​​​​राजनीतिक प्रतिनिधित्व का संबंध है, कोई आयोग नहीं है. 2017 में मंडल आयोग के बाद अलग उद्देश्य के लिए जस्टिस रोहिणी आयोग बना था. यह राजनीतिक प्रतिनिधित्व के इस उद्देश्य के लिए अनुभवजन्य डेटा को कवर नहीं करता.

जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने इस पर मौखिक टिप्पणी की, पिछड़े वर्गों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए प्रावधान करने के लिए राज्य अधिनियमों में संशोधन की आवश्यकता है. संवैधानिक संशोधन के बाद पंचायतों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व को शामिल करने के लिए सभी राज्य अधिनियमों में संशोधन किया गया, आप यही कह रहे हैं, है ना? संशोधन के लिए खरीदा जाता है,' इस मौके पर सीजेआई ने भारत संघ के वकील को आयोग के गठन की वास्तविक स्थिति पर निर्देश लेने के लिए कहा. साथ ही इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया गया.

ये भी पढ़ें - SC ने 'मातृभूमि अखबार' में कारोबारी के लिए 'माफिया' शब्द के इस्तेमाल पर जताई नाराजगी

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने केंद्र से पूछा कि क्या पंचायतों में ओबीसी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व से संबंधित मुद्दे की जांच के लिए किसी आयोग का गठन किया गया है. कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान भारत संघ के वकील से इस उद्देश्य के लिए कमीशन की मांग वाली याचिका में निर्देश प्राप्त करने को कहा.

मामले की सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की. इस दौरान याचिकाकर्ता ने कहा, अनुच्छेद 340 डेसिग्नेटेड कमीशन का प्रावधान देता है लेकिन आज तक कोई आयोग गठित नहीं किया गया. इस संबंध में सीजेआई ने जब न्यायमूर्ति रोहिणी आयोग के बारे में पूछताछ की तो याचिकाकर्ता कहना था कि जहां तक ​​​​राजनीतिक प्रतिनिधित्व का संबंध है, कोई आयोग नहीं है. 2017 में मंडल आयोग के बाद अलग उद्देश्य के लिए जस्टिस रोहिणी आयोग बना था. यह राजनीतिक प्रतिनिधित्व के इस उद्देश्य के लिए अनुभवजन्य डेटा को कवर नहीं करता.

जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने इस पर मौखिक टिप्पणी की, पिछड़े वर्गों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए प्रावधान करने के लिए राज्य अधिनियमों में संशोधन की आवश्यकता है. संवैधानिक संशोधन के बाद पंचायतों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व को शामिल करने के लिए सभी राज्य अधिनियमों में संशोधन किया गया, आप यही कह रहे हैं, है ना? संशोधन के लिए खरीदा जाता है,' इस मौके पर सीजेआई ने भारत संघ के वकील को आयोग के गठन की वास्तविक स्थिति पर निर्देश लेने के लिए कहा. साथ ही इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया गया.

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