नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अक्टूबर 2020 में कोविड 19 के कारण अंतिम प्रयास से चूकने वाले यूपीएससी सिविल सेवा (UPSC Civil Services) के उम्मीदवारों को एक और मौका देने की अनुमति देने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि हालांकि, हमारी उम्मीदवारों के साथ सहानुभूति है, लेकिन एक श्रेणी को उपस्थित होने की अनुमति देना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है, क्योंकि इससे अराजकता और बहुत सारे मुकदमेबाजी होगी.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने अपने आदेश में सुझाव दिया कि उन उम्मीदवारों द्वारा अधिकारियों से संपर्क किया जा सकता है जो मौजूदा स्थिति में नरम रुख अपना सकते हैं. कोर्ट ने इस विकल्प की व्यवहार्यता के बारे में कोई राय व्यक्त करने से इंकार कर दिया. न्यायालय ने कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय है और अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती, क्योंकि यह न्यायिक अनुशासन से बंधा है.
कोर्ट ने कहा कि नीति सामान्य है और किसी एक व्यक्ति के लिए विशिष्ट नहीं है. हमने प्रयास किया और दूसरे पक्ष को नोटिस जारी किया, लेकिन हम निर्देश जारी नहीं कर सकते. यह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ भी हो सकता है जो बहुत अच्छी तरह से तैयार है लेकिन परीक्षा देने में सक्षम नहीं है. यह बहुत कठिन निर्णय है और बिल्कुल भी आसान नहीं है.
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एक और अवसर देने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं: जितेंद्र सिंह
केंद्र सरकार ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि 2020 में सिविल सेवा परीक्षा में शामिल नहीं हो सके उम्मीदवारों को एक और अवसर देने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. इस बारे में कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा (Rajya Sabha) को यह जानकारी दी.
उनसे सवाल किया गया था कि क्या सरकार सिविल सेवा परीक्षा के उन सभी उम्मीदवारों को एक और अवसर मुहैया कराने पर विचार कर रही है जो 2020 में परीक्षा में नहीं बैठ पाए थे. सिंह ने इसके जवाब में कहा कि जी नहीं! ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.
बताते चलें कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा हर साल सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन किया जाता है तो तीन चरणों-प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार में होता है. इस परीक्षा के जरिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईएफएस) सहित अन्य अधिकारियों का चयन किया जाता है