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ईसाइयों पर कथित हमलों को लेकर राज्यों से रिपोर्ट तलब करने का गृह मंत्रालय को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय को ईसाई समुदाय पर कथित हमलों को लेकर आठ राज्यों से रिपोर्ट मांगने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो महीने का समय दिया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 1, 2022, 4:07 PM IST

Updated : Sep 1, 2022, 5:47 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने ईसाई संस्थानों पर हो रहे हमलों को लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों से रिपोर्ट तलब करने का गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गृह मंत्रालय को ईसाइयों के खिलाफ कथित हिंसा में उठाए गए कदमों के संबंध में 8 राज्यों से रिपोर्ट लेने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि व्यक्तियों पर हमले का मतलब यह नहीं है कि यह समुदाय पर हमला है, लेकिन अगर इसे जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से उठाया गया है तो ऐसी किसी भी घटना के दावों को सत्यापित करने की जरूरत है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सत्यापन करने पर यह पाया गया है कि जनहित याचिका में उल्लेखित अधिकांश मामले झूठे हैं और एक वेब पोर्टल पर प्रकाशित लेख पर आधारित हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की जनहित याचिका में अदालत को आदेश जारी नहीं करना चाहिए, नहीं तो भानुमती का पिटारा खुल जाएगा. पीठ ने राज्यों से रिपोर्ट मांगने के लिए गृह मंत्रालय को दो महीने का समय दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने ईसाइयों पर हमले के आरोपों पर एक और राय नहीं बनाई है और यह कवायद सिर्फ सत्यापित करने के लिए है. केंद्र सरकार ने ईसाइयों पर हमले का मुद्दा उठाने वाली याचिका का विरोध किया और कहा कि याचिका झूठ और चुनिंदा स्वयं सेवक दस्तावेजों पर आधारित है.

ये भी पढ़ें - समान न्यायिक संहिता की मांग वाली याचिका खारिज

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने ईसाई संस्थानों पर हो रहे हमलों को लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों से रिपोर्ट तलब करने का गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गृह मंत्रालय को ईसाइयों के खिलाफ कथित हिंसा में उठाए गए कदमों के संबंध में 8 राज्यों से रिपोर्ट लेने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि व्यक्तियों पर हमले का मतलब यह नहीं है कि यह समुदाय पर हमला है, लेकिन अगर इसे जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से उठाया गया है तो ऐसी किसी भी घटना के दावों को सत्यापित करने की जरूरत है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सत्यापन करने पर यह पाया गया है कि जनहित याचिका में उल्लेखित अधिकांश मामले झूठे हैं और एक वेब पोर्टल पर प्रकाशित लेख पर आधारित हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की जनहित याचिका में अदालत को आदेश जारी नहीं करना चाहिए, नहीं तो भानुमती का पिटारा खुल जाएगा. पीठ ने राज्यों से रिपोर्ट मांगने के लिए गृह मंत्रालय को दो महीने का समय दिया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने ईसाइयों पर हमले के आरोपों पर एक और राय नहीं बनाई है और यह कवायद सिर्फ सत्यापित करने के लिए है. केंद्र सरकार ने ईसाइयों पर हमले का मुद्दा उठाने वाली याचिका का विरोध किया और कहा कि याचिका झूठ और चुनिंदा स्वयं सेवक दस्तावेजों पर आधारित है.

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Last Updated : Sep 1, 2022, 5:47 PM IST
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