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SC On Madhumita Shukla murder case: सुप्रीम कोर्ट का अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक से इनकार - अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है. रिहाई पर रोक लगाने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई थी.

SC declines to interfere with release of former UP minister Amarmani Tripathi in murder of poets murder
सुप्रीम कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक लगाने से किया इनकार
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 25, 2023, 1:20 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की सनसनीखेज हत्या के दोषी उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने त्रिपाठी और उनकी पत्नी की रिहाई के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था. अमरमणि त्रिपाठी इस मामले में 2007 से आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आदेश में कहा कि जेल में उनके अच्छे आचरण के आधार पर उन्हें रिहा किया जाएगा.

उच्चतम न्यायालय ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. उत्तर प्रदेश जेल विभाग ने बृहस्पतिवार को राज्य की 2018 की छूट नीति का हवाला देते हुए अमरमणि त्रिपाठी की समय पूर्व रिहाई का आदेश जारी किया था, जो जेल में 16 साल पूरे कर चुके हैं.

न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कवयित्री की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर राज्य सरकार, त्रिपाठी और उनकी पत्नी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा. अधिकारियों ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जेल विभाग ने उनकी उम्र और अच्छे व्यवहार का भी हवाला दिया क्योंकि अमरमणि 66 साल के हैं और मधुमणि 61 साल की हैं.

ये भी पढ़ें- अमरमणि और मधुमणि की रिहाई पर मधुमिता शुक्ला की बहन ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, कहा-पूरी नहीं हुई सजा

अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी फिलहाल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं. कवयित्री मधुमिता गर्भवती थीं जिनकी नौ मई 2003 को लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर 2003 में हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जिसके साथ वह कथित तौर पर रिश्ते में थे. देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में नैनीताल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने दंपति की सजा को बरकरार रखा था. मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने की थी.

(एक्सट्रा इनपुट एजेंसी)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की सनसनीखेज हत्या के दोषी उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने त्रिपाठी और उनकी पत्नी की रिहाई के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था. अमरमणि त्रिपाठी इस मामले में 2007 से आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आदेश में कहा कि जेल में उनके अच्छे आचरण के आधार पर उन्हें रिहा किया जाएगा.

उच्चतम न्यायालय ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. उत्तर प्रदेश जेल विभाग ने बृहस्पतिवार को राज्य की 2018 की छूट नीति का हवाला देते हुए अमरमणि त्रिपाठी की समय पूर्व रिहाई का आदेश जारी किया था, जो जेल में 16 साल पूरे कर चुके हैं.

न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कवयित्री की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर राज्य सरकार, त्रिपाठी और उनकी पत्नी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा. अधिकारियों ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जेल विभाग ने उनकी उम्र और अच्छे व्यवहार का भी हवाला दिया क्योंकि अमरमणि 66 साल के हैं और मधुमणि 61 साल की हैं.

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अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी फिलहाल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं. कवयित्री मधुमिता गर्भवती थीं जिनकी नौ मई 2003 को लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर 2003 में हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जिसके साथ वह कथित तौर पर रिश्ते में थे. देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में नैनीताल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने दंपति की सजा को बरकरार रखा था. मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने की थी.

(एक्सट्रा इनपुट एजेंसी)

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