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SC Declines Plea : एफआईआर रद्द करने की सेवानिवृत्त मेजर जनरल वीके सिंह की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सीक्रेट जानकारी के संबंध में एफआईआर रद्द करने की सेवानिवृत्त मेजर जनरल वीके सिंह (V K Singh) की याचिका खारिज कर दी है. भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय के उप सचिव बी भट्टाचार्जी की शिकायत पर सीबीआई ने 20 सितंबर, 2007 को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

SC Declines Plea
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 25, 2023, 5:12 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह की दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें 2007 की सीबीआई एफआईआर और उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. सिंह के खिलाफ 'इंडियाज एक्सटर्नल इंटेलिजेंस- सीक्रेट्स ऑफ रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ)' नामक पुस्तक के प्रकाशन के माध्यम से कथित तौर पर गुप्त जानकारी का खुलासा करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

सिंह का प्रतिनिधित्व कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावनी ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ के समक्ष कहा कि पूरा मामला बदले का है. हालांकि न्यायमूर्ति मिश्रा ने सिंह के वकील से पूछा, 'तो आप देश से बदला लेंगे?' वकील ने इस बात पर जोर दिया कि एफआईआर अवैध है.

बेंच ने सिंह के वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति दी और उन्हें मामले में आरोप मुक्त करने के लिए आवेदन करने की अनुमति दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि निचली अदालत को उच्च न्यायालय की टिप्पणियों से प्रभावित नहीं होना चाहिए.

पीठ ने याचिकाकर्ता की वकील से कहा कि उनका मुवक्किल डिस्चार्ज आवेदन दायर करके ट्रायल कोर्ट में जा सकता है. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने सिंह की वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.

इस साल मई में दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने अधिकारियों के नाम, स्थानों की लोकेशन और मंत्रियों के समूह की सिफारिशों आदि के खुलासे के संबंध में सीबीआई की शिकायत पर गौर किया था.

सिंह ने शीर्ष अदालत में अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने दो प्रमुख मुद्दों को उजागर करने की मांग की है, यानी देश की बाहरी खुफिया एजेंसी, रॉ में जवाबदेही की कमी और भ्रष्टाचार. सिंह ने दावा किया कि आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के प्रावधान मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए असंवैधानिक हैं.

याचिका में कहा गया है कि 'प्रतिवादी रॉ के भीतर हो रहे भारी भ्रष्टाचार और अन्य कदाचारों को सामने लाने के लिए उसके खिलाफ व्यक्तिगत प्रतिशोध लेने के लिए बिना किसी सबूत के उपरोक्त अपराधों के लिए आरोपी/याचिकाकर्ता को दोषी ठहराने के प्रावधानों का अनुचित लाभ उठा रहा है. उनके खातों की पुस्तकों का लेखापरीक्षा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा नहीं किया जाता है...'

भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय के उप सचिव बी भट्टाचार्जी की शिकायत पर सीबीआई ने 20 सितंबर, 2007 को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

हाईकोर्ट ने कहा था कि भले ही याचिकाकर्ता की किताब में रॉ में कुछ अनियमितताओं आदि का हवाला दिया गया है, हालांकि, सीबीआई की आपत्ति अधिकारी के नाम, स्थानों के स्थान और जीओएम की सिफारिशों आदि को लेकर थी.

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह की दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें 2007 की सीबीआई एफआईआर और उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. सिंह के खिलाफ 'इंडियाज एक्सटर्नल इंटेलिजेंस- सीक्रेट्स ऑफ रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ)' नामक पुस्तक के प्रकाशन के माध्यम से कथित तौर पर गुप्त जानकारी का खुलासा करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

सिंह का प्रतिनिधित्व कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावनी ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ के समक्ष कहा कि पूरा मामला बदले का है. हालांकि न्यायमूर्ति मिश्रा ने सिंह के वकील से पूछा, 'तो आप देश से बदला लेंगे?' वकील ने इस बात पर जोर दिया कि एफआईआर अवैध है.

बेंच ने सिंह के वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति दी और उन्हें मामले में आरोप मुक्त करने के लिए आवेदन करने की अनुमति दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि निचली अदालत को उच्च न्यायालय की टिप्पणियों से प्रभावित नहीं होना चाहिए.

पीठ ने याचिकाकर्ता की वकील से कहा कि उनका मुवक्किल डिस्चार्ज आवेदन दायर करके ट्रायल कोर्ट में जा सकता है. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने सिंह की वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.

इस साल मई में दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने अधिकारियों के नाम, स्थानों की लोकेशन और मंत्रियों के समूह की सिफारिशों आदि के खुलासे के संबंध में सीबीआई की शिकायत पर गौर किया था.

सिंह ने शीर्ष अदालत में अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने दो प्रमुख मुद्दों को उजागर करने की मांग की है, यानी देश की बाहरी खुफिया एजेंसी, रॉ में जवाबदेही की कमी और भ्रष्टाचार. सिंह ने दावा किया कि आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के प्रावधान मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए असंवैधानिक हैं.

याचिका में कहा गया है कि 'प्रतिवादी रॉ के भीतर हो रहे भारी भ्रष्टाचार और अन्य कदाचारों को सामने लाने के लिए उसके खिलाफ व्यक्तिगत प्रतिशोध लेने के लिए बिना किसी सबूत के उपरोक्त अपराधों के लिए आरोपी/याचिकाकर्ता को दोषी ठहराने के प्रावधानों का अनुचित लाभ उठा रहा है. उनके खातों की पुस्तकों का लेखापरीक्षा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा नहीं किया जाता है...'

भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय के उप सचिव बी भट्टाचार्जी की शिकायत पर सीबीआई ने 20 सितंबर, 2007 को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

हाईकोर्ट ने कहा था कि भले ही याचिकाकर्ता की किताब में रॉ में कुछ अनियमितताओं आदि का हवाला दिया गया है, हालांकि, सीबीआई की आपत्ति अधिकारी के नाम, स्थानों के स्थान और जीओएम की सिफारिशों आदि को लेकर थी.

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