नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पूर्व आईपीएस अधिकारी और भाजपा नेता भारती घोष की याचिका पर 28 मई को सुनवाई करने की सहमति जताई जिन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तारी से पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव संपन्न होने तक संरक्षण प्रदान किया गया था.
घोष ने देबरा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा था और हार गईं. उन्हें पूर्व आईपीएस अधिकारी तथा तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हुमायूं कबीर ने हराया.
घोष ने वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी के माध्यम से अपने लंबित मामले में सुनवाई की मांग की. पश्चिम बंगाल की एक स्थानीय अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट के खिलाफ उन्हें दिया गया संरक्षण दो मई को विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होने के साथ समाप्त हो गया था.
जेठमलानी ने जब याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया तो न्यायमूर्ति विनीत सरण और न्यायमूर्ति बी आर गवई की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, 'हम इस पर अगले शुक्रवार को सुनवाई करेंगे.'
जेठमलानी ने घोष की ओर से कहा कि वह एक सम्मानित आईपीएस अधिकारी रही हैं और अब उन पर 12 मामले चल रहे हैं. सीआईएसएफ की सुरक्षा प्राप्त होने के बावजूद उन पर हमला हुआ.
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शीर्ष अदालत ने नौ मार्च को कहा था कि घोष के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाई जाए और उन पर कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाए.