नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) की एक पीठ ने शुक्रवार को आम दिन की तुलना में एक घंटा पहले काम शुरू कर दिया और न्यायमूर्ति यू यू ललित (Justice UU Lalit) ने कहा कि यदि बच्चे सुबह सात बजे स्कूल जा सकते हैं, तो न्यायाधीश और वकील सुबह नौ बजे अपना काम शुरू क्यों नहीं कर सकते.
न्यायाधीश यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट अैर न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने सुबह साढ़े नौ बजे मामलों की सुनवाई आरंभ कर दी, जबकि आमतौर पर यह सुनवाई पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे शुरू होती है. न्यायमूर्ति ललित अगला प्रधान न्यायाधीश बनने के लिए वरिष्ठता के क्रम के सबसे ऊपर हैं. उन्होंने कहा, 'मेरे हिसाब से, हमें आदर्श रूप से सुबह नौ बजे (काम के लिए) बैठ जाना चाहिए. मैंने हमेशा कहा है कि यदि बच्चे सुबह सात बजे स्कूल जा सकते हैं, तो हम सुबह नौ बजे क्यों नहीं आ सकते.'
जमानत के एक मामले में पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने मामले की सुनवाई समाप्त होने पर, सामान्य समय से पहले बैठने के लिए पीठ की सराहना की, जिसके बाद न्यायमूर्ति ललित ने यह टिप्पणी की. न्यायमूर्ति ललित ने कहा, 'मुझे यह कहना होगा कि अदालतों का काम शुरू करने का अपेक्षाकृत उपयुक्त समय सुबह साढ़े नौ बजे हैं.' उन्होंने कहा कि यदि अदालतों का काम जल्दी शुरू होता है, तो इससे उनका दिन का काम भी जल्दी समाप्त होगा और न्यायाधीशों को अगले दिन के मामलों की फाइल पढ़ने के लिए शाम को और समय मिल जाएगा.
न्यायमूर्ति ललित ने कहा, 'अदालतें सुबह नौ काम करना शुरू कर सकती हैं और पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे एक घंटे के ब्रेक के साथ अपराह्न दो बजे तक दिन का काम खत्म कर सकती हैं. ऐसा करके, न्यायाधीशों को शाम में और काम करने का अधिक समय मिल जाएगा.' उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था तभी काम कर सकती है, जब केवल नए और ऐसे मामलों की सुनवाई होनी हो, जिनके लिए लंबी सुनवाई की आवश्यकता नहीं है.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सप्ताह के कामकाजी दिन में पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे से शाम चार बजे तक मामलों की सुनवाई करते हैं. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना 26 अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. न्यायमूर्ति ललित उनके बाद यह प्रभार संभालेंगे तथा इस साल आठ नवंबर तक इस पद पर रहेंगे.
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(पीटीआई-भाषा)