नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह राज्य में सीएए विरोधी आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए पहले के नोटिस पर कार्रवाई न करे.
हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य कानून के मुताबिक और नए नियमों के आधार पर कार्रवाई कर सकता है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने कहा, पहले के नोटिस के मुताबिक कार्रवाई न करें. सभी कार्रवाई नए नियमों के अनुसार की जानी चाहिए. याचिका वकील नीलोफर खान के जरिए दाखिल की गई है.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इससे पहले इस याचिका पर जे चंद्रचूड़ और जे केएम जोसेफ की पीठ ने नोटिस जारी किया था जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि राज्य ने अधिसूचनाएं जारी की हैं. ट्रिब्यूनल का गठन किया है और सभी आवश्यक नियम बनाए हैं. इस पर पीठ ने प्रसाद को एक जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए कहा, जिसमें नियमों और अधिकरणों का विवरण दिया गया हो. मामले को सुनवाई के लिए 23 जुलाई को सूचीबद्ध किया है, तब तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है.
गौरतलब है कि सीएए का विरोध करते हुए सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए सेवानिवृत्त सिविल सेवक जैसे प्रमुख व्यक्तियों सहित कई लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था. राज्य ने उनकी तस्वीरों के साथ होर्डिंग लगाए थे और उन्हें समन किया था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि हिंसक विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में अब तक गिरफ्तार किए गए लगभग 925 लोगों को उत्तर प्रदेश में आसानी से जमानत नहीं मिल सकती है, जब तक कि वे नुकसान की भरपाई नहीं कर लेते क्योंकि उन्हें 'सशर्त जमानत' दी जानी है.
इससे पहले भी शीर्ष कोर्ट ने मांगा था जवाब
इससे पहले परवेज आरिफ टीटू (Parwaiz Arif Titu) ने भी याचिका दाखिल की थी जिसमें उत्तर प्रदेश में नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम (सीएए) आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द करने की मांग की गई थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस तरह के नोटिस एक व्यक्ति के खिलाफ 'मनमाने तरीके' से भेजे गए हैं, जिसकी मृत्यु छह साल पहले 94 वर्ष की आयु में हो गई थी. ऐसे ही नोटिस 90 वर्ष से अधिक के दो लोगों सहित कई अन्य को भी जारी किए गए हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 31 जनवरी को राज्य सरकार को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब देने को कहा था.
सरकार ने बनाया था ट्रिब्यूनल
अगस्त, 2020 में राज्य सरकार ने प्रदर्शनकारियों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और इसके लिए मुआवजे के मामलों से निपटने के लिए मेरठ और लखनऊ में दो ट्रिब्यूनल स्थापित किए थे. ऐसा 'उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी ऑर्डिनेंस, 2020' के तहत ऐसा किया गया था.
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