नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने एक चैरिटेबल ट्रस्ट को गाजियाबाद जिले के लोनी में एक आश्रय गृह के उन 13 आश्रितों के टीकाकरण के लिए जिलाधिकारी से संपर्क करने को कहा है, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है. ट्रस्ट ने इन लोगों के टीकाकरण का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दी थी.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने जिलाधिकारी को याचिकाकर्ताओं की शिकायत की जांच करने और इन्हें सही पाए जाने की स्थिति में आश्रितों को कहीं जाए बगैर ही उनके टीकाकरण के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने का निर्देश दिया.
पीठ ने कहा, 'हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं, चूंकि रिट याचिका में प्रदान की गई जानकारी की सत्यता या प्रामाणिकता के संबंध में कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है, इसलिए हम इस स्तर पर नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं.' पीठ ने कहा, 'हालांकि, शिकायत की प्रकृति को देखते हुए जिलाधिकारी और दंडाधिकारी, गाजियाबाद को इस आदेश की प्रमाणित प्रति देने के साथ याचिकाकर्ताओं को इसकी (टीकाकरण की) अनुमति देकर याचिका का निपटारा किया जाता है.'
शुरुआत में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस स्तर पर नोटिस जारी करने की इच्छुक नहीं है क्योंकि याचिका में दी गई जानकारी की सत्यता या प्रामाणिकता के संबंध में कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है.
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शीर्ष अदालत ने अपने आठ अक्टूबर के आदेश में कहा कि वह शिकायत की सत्यता को सत्यापित करने या आश्रय गृह की कानूनी स्थिति सहित याचिका में दी गई किसी भी तथ्यात्मक पहलू पर टिप्पणी नहीं कर सकती है. शीर्ष अदालत 'एक एहसास फाउंडेशन' की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें फ्लैट नंबर 001, प्लॉट नंबर बी-43, एसएलएफ, वेद विहार, लोनी, जिला गाजियाबाद में बनाए गए आश्रय गृह के 13 आश्रितों के टीकाकरण के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
याचिकाकर्ता ने कहा कि यह एक पंजीकृत परर्मार्थ ट्रस्ट है और यह गाजियाबाद में अनाथों, निराश्रित विधवाओं, परित्यक्त और वृद्ध व्यक्तियों को आश्रय देता है. याचिकाकर्ता ने इन 13 लोगों को आश्रय दिया है, इनमें से कुछ डिमेंशिया से पीड़ित हैं, कुछ व्हीलचेयर पर हैं और अन्य उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं.
ट्रस्ट ने पीठ को बताया कि कुछ आश्रितों के पास आधार कार्ड है, जबकि कुछ उन्हें सड़कों पर परित्यक्त अवस्था में मिले थे.
(पीटीआई-भाषा)