ETV Bharat / bharat

चेक बाउंस मामला : SC ने केंद्र से पूछा, क्या वह अतिरिक्त अदालतें कर सकता है गठित

सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस मामले में कमी लाने के इरादे से केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह ऐसे मामलों के तेजी से निपटान के लिए अतिरिक्त अदालतें गठित कर सकती है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

Supreme Court
Supreme Court
author img

By

Published : Feb 25, 2021, 10:22 PM IST

Updated : Feb 25, 2021, 10:28 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने चेक बाउंस मामले में कमी लाने के इरादे से गुरुवार को केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह ऐसे मामलों के तेजी से निपटान के लिए अतिरिक्त अदालतें गठित कर सकती है. चेक बाउंस के मामले बढ़कर 35 लाख पहुंचने के बीच न्यायालय ने केंद्र से यह पूछा है.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायाधीश एल नागेश्वर राव और न्यायाधीश एस रवीन्द्र भट्ट की पीठ ने अतिरिक्त सोलिसीटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से अगले सप्ताह यह बताने को कहा है. पूछा कि क्या केंद्र नेगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट (एनआई कानून) के अंतर्गत आने वालों मामलों के तेजी से निपटान के लिए अनुच्छेद 247 के तहत अतिरिक्त अदालतें गठित करने को इच्छुक है. बनर्जी ने कहा कि वह इस बारे में निर्देश प्राप्त कर न्यायालय को सुनवाई की अगली तारीख को सूचित करेंगे.

संविधान के अनुच्छेद 247 के तहत संसद को उसके द्वारा बनाए गए या केंद्रीय सूची में आने वाले मामलों के संदर्भ में मौजूदा कानून के बेहतर तरीके से अनुपालन और प्रशासन को लेकर अतिरिक्त अदालतें गठित करने का अधिकार है. शीर्ष अदालत चेक बाउंस मामलों के तेजी से निपटान के लिये व्यवस्था बनाने के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है.

पीठ ने बनर्जी और मामले में अदालत की मदद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लुथरा से कहा कि कुछ ऐसे निर्णय हैं जिसमें कहा गया है कि विधायिका का यह कर्तव्य है कि वह कानून के तहत नया अपराध बनाने से पहले उसके प्रभाव का आकलन करे.

न्यायालय ने यह जानना चाहा कि क्या सरकार एनआई कानून के तहत अतिरिक्त अदालतें गठित करने को बाध्य है. लुथरा ने ऐसे मामलों के तेजी से निपटान को लेकर न्यायालय को कुछ सुझाव दिये. इसमें ई-मेल या सोशल मीडिया के जरिये इलेक्ट्रॉनिक तरीके से समन भेजा जाना शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि चेक बाउंस के कई मामले अदालतों में इसलिए फंसे हैं कि समन का तामील नहीं हुआ. अब जब चीजें आधार से जुड़ी हैं, समन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजे जा सकते हैं. पीठ ने कहा कि वह मामले में सुनवाई अगले सप्ताह जारी रखेगी और इस मामले में केंद्र के विचार मांगे.

यह भी पढ़ें-भारत लाया जा सकता है भगोड़ा कारोबारी नीरव मोदी, यूके कोर्ट से मिली मंजूरी

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 19 जनवरी को विभिन्न उच्च न्यायालयों और पुलिस महानिदेशकों से चेक बाउंस मामलों के तेजी से निपटान के मामले में अपना जवाब देने को कहा. न्यायालय ने पिछले साल पांच मार्च को मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए ऐसे मामलों के तेजी से निपटान को लेकर समन्वित तथा एकीकृत व्यवस्था तैयार करने का निर्णय किया था.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने चेक बाउंस मामले में कमी लाने के इरादे से गुरुवार को केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह ऐसे मामलों के तेजी से निपटान के लिए अतिरिक्त अदालतें गठित कर सकती है. चेक बाउंस के मामले बढ़कर 35 लाख पहुंचने के बीच न्यायालय ने केंद्र से यह पूछा है.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायाधीश एल नागेश्वर राव और न्यायाधीश एस रवीन्द्र भट्ट की पीठ ने अतिरिक्त सोलिसीटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से अगले सप्ताह यह बताने को कहा है. पूछा कि क्या केंद्र नेगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट (एनआई कानून) के अंतर्गत आने वालों मामलों के तेजी से निपटान के लिए अनुच्छेद 247 के तहत अतिरिक्त अदालतें गठित करने को इच्छुक है. बनर्जी ने कहा कि वह इस बारे में निर्देश प्राप्त कर न्यायालय को सुनवाई की अगली तारीख को सूचित करेंगे.

संविधान के अनुच्छेद 247 के तहत संसद को उसके द्वारा बनाए गए या केंद्रीय सूची में आने वाले मामलों के संदर्भ में मौजूदा कानून के बेहतर तरीके से अनुपालन और प्रशासन को लेकर अतिरिक्त अदालतें गठित करने का अधिकार है. शीर्ष अदालत चेक बाउंस मामलों के तेजी से निपटान के लिये व्यवस्था बनाने के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है.

पीठ ने बनर्जी और मामले में अदालत की मदद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लुथरा से कहा कि कुछ ऐसे निर्णय हैं जिसमें कहा गया है कि विधायिका का यह कर्तव्य है कि वह कानून के तहत नया अपराध बनाने से पहले उसके प्रभाव का आकलन करे.

न्यायालय ने यह जानना चाहा कि क्या सरकार एनआई कानून के तहत अतिरिक्त अदालतें गठित करने को बाध्य है. लुथरा ने ऐसे मामलों के तेजी से निपटान को लेकर न्यायालय को कुछ सुझाव दिये. इसमें ई-मेल या सोशल मीडिया के जरिये इलेक्ट्रॉनिक तरीके से समन भेजा जाना शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि चेक बाउंस के कई मामले अदालतों में इसलिए फंसे हैं कि समन का तामील नहीं हुआ. अब जब चीजें आधार से जुड़ी हैं, समन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजे जा सकते हैं. पीठ ने कहा कि वह मामले में सुनवाई अगले सप्ताह जारी रखेगी और इस मामले में केंद्र के विचार मांगे.

यह भी पढ़ें-भारत लाया जा सकता है भगोड़ा कारोबारी नीरव मोदी, यूके कोर्ट से मिली मंजूरी

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 19 जनवरी को विभिन्न उच्च न्यायालयों और पुलिस महानिदेशकों से चेक बाउंस मामलों के तेजी से निपटान के मामले में अपना जवाब देने को कहा. न्यायालय ने पिछले साल पांच मार्च को मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए ऐसे मामलों के तेजी से निपटान को लेकर समन्वित तथा एकीकृत व्यवस्था तैयार करने का निर्णय किया था.

Last Updated : Feb 25, 2021, 10:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.