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SC to CBI : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा- क्या दाभोलकर, पानसरे, लंकेश और कलबुर्गी की हत्या में कोई समानता थी

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के वकील से यह जांचने को कहा कि क्या चार तर्कवादियों - गोविंद पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर, एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्याओं के बीच कोई समानता है. शीर्ष कोर्ट दाभोलकर की बेटी की याचिका पर सुनवाई कर रही है.

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Published : Aug 18, 2023, 8:12 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को सीबीआई से पूछा कि क्या तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर, भाकपा नेता गोविंद पानसरे, कार्यकर्ता-पत्रकार गौरी लंकेश और विद्वान एम.एम. कलबुर्गी की हत्याओं में कोई 'समान बात' थी.

अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाने वाले दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे में सुबह की सैर के दौरान दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. पानसरे की हत्या 20 फरवरी, 2015 को हुई थी, जबकि लंकेश की हत्या पांच सितंबर, 2017 को हुई थी. कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने नरेंद्र दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से यह सवाल किया, जिसमें उन्होंने अपने पिता की हत्या की जांच की निगरानी जारी रखने से इनकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के इस साल 18 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी है.

मुक्ता दाभोलकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने पीठ से कहा कि चार हत्याओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी. उन्होंने कहा कि उपलब्ध सबूतों से संकेत मिलता है कि ये मामले जुड़े हो सकते हैं और मुक्ता दाभोलकर ने उच्च न्यायालय के समक्ष यह मुद्दा उठाया था.

न्यायमूर्ति धूलिया ने सीबीआई की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से पूछा, 'जो आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं (दाभोलकर मामले में), आपके अनुसार, उन चार हत्याओं में कोई समान सूत्र नहीं है? ठीक है? आप यही कह रहे हैं?'

न्यायमूर्ति कौल ने कहा, 'हम यही जानना चाहते हैं' और सीबीआई से कहा, 'कृपया इस पर गौर करें.' जैसे ही ग्रोवर ने मामले से जुड़े मुद्दों पर बहस शुरू की, पीठ ने उनसे कहा कि उच्च न्यायालय ने कहा है कि दाभोलकर हत्या मामले में मुकदमा चल रहा है और कुछ गवाहों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है.

पीठ ने उनसे पूछा, '...तो इसलिए हम (उच्च न्यायालय) इसकी और निगरानी नहीं करना चाहते. इस तरह की टिप्पणी में गलत क्या है?' ग्रोवर ने कहा कि मुकदमा हालांकि चल रहा है, लेकिन दो आरोपी फरार हैं और उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.

दाभोलकर हत्याकांड की स्थिति बताते हुए भाटी ने पीठ को बताया कि मुकदमे के दौरान अब तक 20 गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है. बेंच ने भाटी से कहा कि याचिकाकर्ता ने साजिश के बड़े पैमाने पर फैलने का भी आरोप लगाया है.

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने कहा है कि उन्हें संबंधित हिस्सों के अनुवाद के साथ कुछ दस्तावेज पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय चाहिए, जिससे एएसजी को इन हत्याओं से जुड़ी बड़ी साजिश के मुद्दे की जांच करने में मदद मिलेगी.

पीठ ने कहा, 'एएसजी को उपरोक्त मुद्दे की जांच करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है.' पीठ ने मामले को आठ सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया. ग्रोवर ने 18 मई को शीर्ष अदालत को बताया था कि सीबीआई को संदेह है कि दाभोलकर, पानसरे और लंकेश की हत्याओं में कोई साझा संबंध हो सकता है.

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को सीबीआई से पूछा कि क्या तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर, भाकपा नेता गोविंद पानसरे, कार्यकर्ता-पत्रकार गौरी लंकेश और विद्वान एम.एम. कलबुर्गी की हत्याओं में कोई 'समान बात' थी.

अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाने वाले दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे में सुबह की सैर के दौरान दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. पानसरे की हत्या 20 फरवरी, 2015 को हुई थी, जबकि लंकेश की हत्या पांच सितंबर, 2017 को हुई थी. कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने नरेंद्र दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से यह सवाल किया, जिसमें उन्होंने अपने पिता की हत्या की जांच की निगरानी जारी रखने से इनकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के इस साल 18 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी है.

मुक्ता दाभोलकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने पीठ से कहा कि चार हत्याओं के पीछे एक बड़ी साजिश थी. उन्होंने कहा कि उपलब्ध सबूतों से संकेत मिलता है कि ये मामले जुड़े हो सकते हैं और मुक्ता दाभोलकर ने उच्च न्यायालय के समक्ष यह मुद्दा उठाया था.

न्यायमूर्ति धूलिया ने सीबीआई की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से पूछा, 'जो आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं (दाभोलकर मामले में), आपके अनुसार, उन चार हत्याओं में कोई समान सूत्र नहीं है? ठीक है? आप यही कह रहे हैं?'

न्यायमूर्ति कौल ने कहा, 'हम यही जानना चाहते हैं' और सीबीआई से कहा, 'कृपया इस पर गौर करें.' जैसे ही ग्रोवर ने मामले से जुड़े मुद्दों पर बहस शुरू की, पीठ ने उनसे कहा कि उच्च न्यायालय ने कहा है कि दाभोलकर हत्या मामले में मुकदमा चल रहा है और कुछ गवाहों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है.

पीठ ने उनसे पूछा, '...तो इसलिए हम (उच्च न्यायालय) इसकी और निगरानी नहीं करना चाहते. इस तरह की टिप्पणी में गलत क्या है?' ग्रोवर ने कहा कि मुकदमा हालांकि चल रहा है, लेकिन दो आरोपी फरार हैं और उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.

दाभोलकर हत्याकांड की स्थिति बताते हुए भाटी ने पीठ को बताया कि मुकदमे के दौरान अब तक 20 गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है. बेंच ने भाटी से कहा कि याचिकाकर्ता ने साजिश के बड़े पैमाने पर फैलने का भी आरोप लगाया है.

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने कहा है कि उन्हें संबंधित हिस्सों के अनुवाद के साथ कुछ दस्तावेज पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय चाहिए, जिससे एएसजी को इन हत्याओं से जुड़ी बड़ी साजिश के मुद्दे की जांच करने में मदद मिलेगी.

पीठ ने कहा, 'एएसजी को उपरोक्त मुद्दे की जांच करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है.' पीठ ने मामले को आठ सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया. ग्रोवर ने 18 मई को शीर्ष अदालत को बताया था कि सीबीआई को संदेह है कि दाभोलकर, पानसरे और लंकेश की हत्याओं में कोई साझा संबंध हो सकता है.

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