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SC ON Delhi Services Law: कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सेवा विधेयक याचिका में संशोधन कर कानून को चुनौती देने की अनुमति दी - दिल्ली सेवा कानून

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सेवाओं संबंधी अध्यादेश को चुनौती देने संबंधी याचिका में संशोधन करने की अनुमति दे दी है. अब दिल्ली सरकार विधेयक को नहीं बल्कि कानून को चुनौती देगी. क्योकि संसद से पास होने के बाद यह अब कानून बन गया है.

SC allows Delhi government to amend petition
supreme court
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 25, 2023, 12:48 PM IST

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार को याचिका में संशोधन कर राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं पर नियंत्रण से संबंधित अध्यादेश के बजाय संसद द्वारा हाल में पारित कानून को चुनौती देने की शुक्रवार को अनुमति दे दी. शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया कि पहले याचिका में अध्यादेश को चुनौती दी गई थी जो अब संसद से मंजूरी के बाद कानून बन गया है.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका में संशोधन की अनुमति दे दी. वहीं, केंद्र ने कहा कि उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं है. पीठ ने संशोधित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया.

याचिका में संशोधन क्यों करना पड़ा : जब दिल्ली सरकार ने याचिका डाली थी तब यह बिल अध्यादेश था तब दिल्ली सरकार ने कोर्ट में अध्यादेश को चुनौती दी थी. लेकिन मानसून सत्र में सरकार ने तीखी बहस के बाद इसको संसद के दोनो सदनो से पारित करा लिया था. संसद के दोनो सदनो में पारित होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक अब अध्यादेश नही रहा बल्कि कानून बन गया. अब दिल्ली सरकार को अध्यादेश के खिलाफ नहीं बल्कि कानून को चुनौती देनी है.

पढ़ें : Delhi Service Bill: दिल्ली सेवा विधेयक बना कानून, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

संसद में पारित होने के बाद इससे राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों की तैनाती और स्थानांतरण को लेकर केंद्र के प्रस्तावित कानून का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इससे पहले सेवाओं संबंधी अध्यादेश को चुनौती देने संबंधी याचिका पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को सौंपी गई थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बिल के विरोध में हमेशा मुखर रहे हैं इस बिल के विरोध के लिए उन्होनें तमाम विपक्षी दलो से सहयोग मांगा था. और गैर भाजपा शासित राज्यो के मुख्मंत्रियों दलों के नेताओं से मुलाकात की थी. बावजूद इसके वह इस विधेयक को पास कराने से रोक नहीं पाए.

एकस्ट्रा इनपुट- एजेंसी

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार को याचिका में संशोधन कर राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं पर नियंत्रण से संबंधित अध्यादेश के बजाय संसद द्वारा हाल में पारित कानून को चुनौती देने की शुक्रवार को अनुमति दे दी. शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया कि पहले याचिका में अध्यादेश को चुनौती दी गई थी जो अब संसद से मंजूरी के बाद कानून बन गया है.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका में संशोधन की अनुमति दे दी. वहीं, केंद्र ने कहा कि उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं है. पीठ ने संशोधित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया.

याचिका में संशोधन क्यों करना पड़ा : जब दिल्ली सरकार ने याचिका डाली थी तब यह बिल अध्यादेश था तब दिल्ली सरकार ने कोर्ट में अध्यादेश को चुनौती दी थी. लेकिन मानसून सत्र में सरकार ने तीखी बहस के बाद इसको संसद के दोनो सदनो से पारित करा लिया था. संसद के दोनो सदनो में पारित होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक अब अध्यादेश नही रहा बल्कि कानून बन गया. अब दिल्ली सरकार को अध्यादेश के खिलाफ नहीं बल्कि कानून को चुनौती देनी है.

पढ़ें : Delhi Service Bill: दिल्ली सेवा विधेयक बना कानून, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

संसद में पारित होने के बाद इससे राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों की तैनाती और स्थानांतरण को लेकर केंद्र के प्रस्तावित कानून का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इससे पहले सेवाओं संबंधी अध्यादेश को चुनौती देने संबंधी याचिका पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को सौंपी गई थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बिल के विरोध में हमेशा मुखर रहे हैं इस बिल के विरोध के लिए उन्होनें तमाम विपक्षी दलो से सहयोग मांगा था. और गैर भाजपा शासित राज्यो के मुख्मंत्रियों दलों के नेताओं से मुलाकात की थी. बावजूद इसके वह इस विधेयक को पास कराने से रोक नहीं पाए.

एकस्ट्रा इनपुट- एजेंसी

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