नई दिल्ली : आठ लेन के चेन्नई-सलेम एक्सप्रेस-वे मामले में जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस बीआर गवई की अगुआई वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने मंगलवार को केंद्र और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की याचिका पर फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने राजमार्ग परियोजना को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी है.
10 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट 'भारतमाला योजना' के तहत शुरू हुआ था. इससे चेन्नई और सलेम के बीच की यात्रा पर कम समय लगता. प्रोजेक्ट पर स्थानीय लोगों और किसानों ने आपत्ति जताई थी. उनका कहना था कि इससे कृषि योग्य जमीन, जंगल, जीव-जंतुओं को नुकसान होगा.
2019 में मद्रास हाई कोर्ट ने लगा दी थी रोक
आठ अप्रैल 2019 को मद्रास हाई कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 का हवाला देते हुए भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को रद्द कर दिया था. जिसके अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत भूमि प्राप्त करने से पहले पर्यावरणीय मंजूरी जरूरी थी.
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राज्य और केंद्र ने तर्क दिया था कि अधिग्रहण के समय नहीं सड़क बनाने के समय इसकी मंजूरी जरूरी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने यह कहते हुए तर्क खारिज कर दिया कि राज्य लोगों के विश्वास पर जमीन का अधिग्रहण करता है और अधिग्रहण से उनका जीवन प्रभावित होगा. उन्हें अन्य जगह बसाने के बारे में सरकार ने कुछ नहीं किया है. इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी.