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सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों की नियुक्ति पर सिफारशों को अधिसूचित करने के मामले पर करेगी सुनवाई - Justice JB Pardiwala

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजी गई सिफारिशों को तुरंत अधिसूचित करने के लिए सुनवाई पर सहमति जता दी है. इस संबंध में सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को निर्देश देने की मांग करने के मामले में अधिवक्ता प्रशांत भूषण के द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया.

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Published : Nov 23, 2022, 9:36 PM IST

नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजी गई सभी सिफारिशों को तुरंत अधिसूचित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग करने वाले एक मामले की सुनवाई के लिए सहमति जता दी है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chnadrachud) और जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) की पीठ ने कहा कि अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा मामले का उल्लेख करने के बाद मामले को सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया गया है.

भूषण ने इस मामले का जिक्र करते हुए कहा, 'यह याचिका 2018 में दायर की गई थी और कुछ भी सूचीबद्ध नहीं था. हम सरकार के लिए परमादेश (Mandamus) मांग रहे हैं.' इस पर सीजेआई ने कहा, इसे सूचीबद्ध किया जाएगा. मैं प्रशासनिक आदेश पारित करूंगा.एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि केंद्र, उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों पर अनिश्चित काल तक बैठा रहा है.

याचिका में सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति को अधिसूचित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है, जिनके नाम कॉलेजियम द्वारा पहले ही सर्वसम्मति से दोहराए जा चुके हैं और सरकार के पास लंबित हैं. इसने विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम द्वारा भेजी गई सिफारिशों को अधिसूचित करने के लिए सरकार को निर्देश देने की भी मांग की थी और सिफारिशें प्राप्त होने के छह सप्ताह बीत जाने के बावजूद केंद्र ने जवाब नहीं दिया है.

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि सरकार की निष्क्रियता और न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया में राजनीतिक रूप से प्रेरित हस्तक्षेप के कारण महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों को खाली नहीं छोड़ा जा सकता है. एनजीओ ने कई सिफारिशों पर प्रकाश डाला, जो कॉलेजियम द्वारा भेजी गई थीं, लेकिन सरकार ने उन पर कार्रवाई नहीं की. बता दें कि इस महीने की शुरुआत में एक सुनवाई के दौरान, अदालत ने कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद नामों पर बैठने के लिए केंद्र की खिंचाई भी की थी. जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि कॉलेजियम ने कुल 21 नामों की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने उन्हें मंजूरी नहीं दी.

ये भी पढ़ें - अडानी को मिले 7,000 करोड़ के ट्रांसमिशन कॉन्ट्रैक्ट के खिलाफ टाटा पावर की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजी गई सभी सिफारिशों को तुरंत अधिसूचित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग करने वाले एक मामले की सुनवाई के लिए सहमति जता दी है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chnadrachud) और जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) की पीठ ने कहा कि अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा मामले का उल्लेख करने के बाद मामले को सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया गया है.

भूषण ने इस मामले का जिक्र करते हुए कहा, 'यह याचिका 2018 में दायर की गई थी और कुछ भी सूचीबद्ध नहीं था. हम सरकार के लिए परमादेश (Mandamus) मांग रहे हैं.' इस पर सीजेआई ने कहा, इसे सूचीबद्ध किया जाएगा. मैं प्रशासनिक आदेश पारित करूंगा.एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि केंद्र, उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों पर अनिश्चित काल तक बैठा रहा है.

याचिका में सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति को अधिसूचित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है, जिनके नाम कॉलेजियम द्वारा पहले ही सर्वसम्मति से दोहराए जा चुके हैं और सरकार के पास लंबित हैं. इसने विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम द्वारा भेजी गई सिफारिशों को अधिसूचित करने के लिए सरकार को निर्देश देने की भी मांग की थी और सिफारिशें प्राप्त होने के छह सप्ताह बीत जाने के बावजूद केंद्र ने जवाब नहीं दिया है.

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि सरकार की निष्क्रियता और न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया में राजनीतिक रूप से प्रेरित हस्तक्षेप के कारण महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों को खाली नहीं छोड़ा जा सकता है. एनजीओ ने कई सिफारिशों पर प्रकाश डाला, जो कॉलेजियम द्वारा भेजी गई थीं, लेकिन सरकार ने उन पर कार्रवाई नहीं की. बता दें कि इस महीने की शुरुआत में एक सुनवाई के दौरान, अदालत ने कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद नामों पर बैठने के लिए केंद्र की खिंचाई भी की थी. जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि कॉलेजियम ने कुल 21 नामों की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने उन्हें मंजूरी नहीं दी.

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