त्रिशूर (केरल) : केरल में स्थित प्रसिद्ध त्रिशूर पूरम के एक मंदिर परमेक्कावु देवस्वोम रविवार को उस समय विवादों में आ गया. जब उसके अधिकारियों ने आगामी उत्सव की तैयारी के दौरान हिंदुत्व के प्रतीक वीडी सावरकर की तस्वीर को एक अलंकृत छतरी में दिखाने का फैसला लिया. हालांकि, कांग्रेस और माकपा के नेताओं की आपत्ति के बाद मंदिर के अधिकारियों ने कथित तौर पर प्रदर्शन से छाता वापस ले लिया. परमेक्कावु देवस्वोम सचिव राजेश ने बताया कि महात्मा गांधी, भगत सिंह और केरल के अन्य प्रमुख नेताओं सहित विभिन्न पुनर्जागरण और स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं की छतरियों में सावरकर की छवि है. हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जो सांप्रदायिक सद्भाव या पूरम की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाए या त्योहार के धार्मिक सद्भाव को प्रभावित करे. हम त्रिशूर पूरम का राजनीतिकरण नहीं करना चाहते हैं जो एक अंतरराष्ट्रीय घटना है. पूरम राजनीति से ऊपर है.
हालांकि उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि बोर्ड ने सावरकर के चित्र वाला छाता वापस लिया या नहीं. लेकिन एक बात तो स्पष्ट किया कि मंदिर प्रबंधन के अधिकारी पूरम के आसपास कोई विवाद नहीं चाहते हैं. छतरियां परमेक्कावु देवस्वोम के "चमयम" का हिस्सा हैं - मंदिर उत्सव के दौरान भाजपा नेता और अभिनेता सुरेश गोपी द्वारा उद्घाटन की गई एक प्रदर्शनी. कांग्रेस नेता पद्मजा वेणुगोपाल ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि महात्मा गांधी और भगत सिंह जैसे अन्य प्रमुख नेताओं के साथ सावरकर की छवि को शामिल करके संघ परिवार के एजेंडे को "पूरम में मजबूर" किया गया है.
वेणुगोपाल आगे कहते हैं कि "यह केरल सरकार है जिसने स्वतंत्रता संग्राम को धोखा देने वाले सावरकर को महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, भगत सिंह, मन्नाथ पद्मनाभन और चट्टंबी स्वामीकल जैसे पुनर्जागरण नेताओं के साथ शामिल करने की अनुमति दी है. यह शर्म की बात है कि संघ परिवार के एजेंडे को एक ऐसे राज्य में लागू किया गया जहां वामपंथी की सरकार सत्ता में है. सूत्रों ने कहा कि छवियों का चयन केंद्र सरकार द्वारा 'आजादी का अमृत महोत्सव' समारोह के हिस्से के रूप में जारी स्वतंत्रता सेनानियों की सूची के आधार पर किया गया था. इस विवाद पर अभी तक बीजेपी और संघ परिवार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
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पीटीआई