बेंगलुरु: तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता की करीबी दोस्त वीके शशिकला और जे इलावरासी ने शहर के परप्पाना अग्रहारा सेंट्रल जेल में विशेष आतिथ्य के मामले को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की है. याचिका पर सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया और सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी.
आईपीएस अधिकारी डी रूपा ने आरोप लगाया था कि परप्पा के अग्रहारा जेल में विशेष आतिथ्य सत्कार किया जा रहा है. बाद में सरकार के आदेशानुसार आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली कमेटी ने जांच कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी. बाद में 26 फरवरी 2018 को, सरकार ने 21 अक्टूबर 2017 को दी गई रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. याचिका में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में हमारे खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामले का समर्थन करने के लिए कोई सामग्री नहीं मिली. वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों सत्यनारायण राव और डी रूपा मौदगिल के बीच प्रतिष्ठा की कानूनी लड़ाई में हमलोग उलझे हुए हैं, उन्होंने खुद को निर्दोष बताया है.
साथ ही, अन्य आरोपी सरकारी अधिकारियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराज मकनूर के खिलाफ मामले को हाईकोर्ट पहले ही खारिज कर दिया है. इस प्रकार उनके खिलाफ अवैध रूप से कानूनी कार्यवाही की जा रही है और लोकायुक्त विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित मामले को खारिज करने का अनुरोध किया गया है. इस बीच, दूसरे आरोपी डॉ. आर. अनीता ने उच्च न्यायालय का रुख किया है और मामले की सुनवाई चल रही है.
क्या है मामला ? : वर्ष 2014 में निचली अदालत ने अवैध संपत्ति मामले में दिवंगत जयललिता और शशिकला समेत चार आरोपियों को दोषी ठहराया था. इसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. इस प्रकार, शशिकला ने 15 फरवरी, 2017 को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और 21 जनवरी, 2020 तक जेल की सजा काट ली.
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इस समय जेल में अवैध गतिविधियां चल रही हैं और शशिकला और अन्य कैदियों को अधिकारियों की मदद से विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं. तत्कालीन डीआईजी रूपा ने आरोप लगाया कि इसमें जेल के डीजीपी सत्यनारायण राव की भूमिका है. इस पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता में एक समिति को जांच करने का आदेश दिया था. इसके बाद याचिकाकर्ता समेत छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.