नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाने के लिए तैयार है. शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ मंगलवार को फैसला सुनाएगी. संविधान पीठ में जस्टिस एस.के. कौल, एस.आर. भट्ट, हिमा कोहली और पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल थे. इस साल मई में संविधान पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
जिसके बाद आखिरकार आज इस मामले पर कोर्ट फैसला सुनाएगी, इस फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हुई है. इस बीच ये भी जान लेते हैं कि किन-किन देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी मिल चुकी है और किन-किन देशों में अभी भी इस पर प्रतिबंध हैं.
35 देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी को मान्यता प्राप्त
बता दें दुनिया के 35 देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी को मान्याता प्राप्त है. जिनमें न्यूजीलैंड, कनाडा, अर्जेंटीना, उरुग्वे, नीदरलैंड, कोलंबिया, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, मेक्सिको, स्पेन और स्वीडन शामिल हैं. वहीं इस लिस्ट में क्यूबा, इंडोरा, स्लोवेनिया, चिली, कोस्टारिका, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ताईवान, ब्रिटेन, इक्वेडोर, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, माल्टा, लक्समबर्ग और पुर्तगाल शामिल हैं.
इन देशों में समलैंगिक विवाह को माना जाता है अवैध
दरअसल, दुनिया में कई ऐसे देश भी है जहां समलैंगिक संबंध और समलैंगिक विवाह को अवैध माना जाता है कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां समलैंगिक विवाह करने पर या समलैंगिक संबंध बनाने पर फंसी की सजा भी दी जाती है.बता दें पाकिस्तान, अरब अमीरात, अफगानिस्तान, कतर, सीरिया और उत्तरी नाइजीरिया के कुछ हिस्सों में समलैंगिक संबंधों को अवैध माना जाता है और इस अवैध संबंध के लिए मौत की सजा सुनाई जाती है. इरान और सोमालिया में भी समलैंगिक संबंधों को अवैध माना जाता है और यहां भी इसके लिए मौत की सजा सुनाई जाती है. वहीं कई अफ्रीकी देशों जैसे की युगांडा में समलैंगिक संबंधों के खिलाफ फांसी और आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है.
भारत में समलैंगिक विवाह के लिए कानून बनाने पर विचार
बता दें भारत में 25 नवंबर 2022 को दो समलैंगिक जोड़ों ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. जिसके बाद आदालत की तरफ से इन याचिका पर नोटिस जारी किया गया. जिसके बाद केंद्र सरकार समान-लिंग वाले जोड़ों के लिए बुनियादी सामाजिक लाभों के संबंध में कुछ चिंताओं को दूर करने के लिए उठाए जा सकने वाले प्रशासनिक कदमों की जांच करने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने पर सहमत हुई थी.
शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था कि वह समलैंगिक जोड़ों को उनकी वैवाहिक स्थिति की कानूनी मान्यता के बिना भी संयुक्त बैंक खाते या बीमा पॉलिसियों में भागीदार को नामांकित करने जैसे बुनियादी सामाजिक लाभ देने का एक तरीका ढूंढे. राजस्थान, आंध्र प्रदेश और असम की सरकारों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने का विरोध किया है, जबकि मणिपुर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और सिक्किम सरकार ने कहा है कि इस मुद्दे पर "बहुत गहन और व्यापक बहस" की जरूरत है और तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती.