जालना (महाराष्ट्र) : मराठा आरक्षण को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जारांगे पाटिल (Manoj Jarange Patil) से मंगलवार को मंत्री संदीपन भुमरे और आरजू खोतकर ने जारांगे से मुलाकात कर चर्चा की. इस दौरान मंत्रियों ने जारांगे से अनशन वापस लेने का अनुरोध किया. इसी क्रम में शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के संस्थापक अध्यक्ष संभाजी भिड़े ने अंतरवली जाकर मनोज जारांगे से मुलाकात कर उनसे अनशन खत्म करने का अनुरोध किया. साथ ही भिड़े ने कहा कि मैं मध्यस्थता करने के लिए तैयार हूं.
दूसरी तरफ मुंबई में मराठा आरक्षण को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक में आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. बता दें कि जारांगे 15 दिन से अनशनरत हैं और उनकी तबीयत लगातार गिरती जा रही है. इस अवसर पर मंत्री संदीपन भुमरे और अर्जुन खोतकर की मौजूदगी में संभीजी भिड़े ने कहा कि मराठा आरक्षण मिलना चाहिए. वहीं भिड़े ने जारांगे से कहा कि वह अपनी लड़ाई को जारी रखें लेकिन भूख हड़ताल को समाप्त कर दें.
भिड़े ने कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना ही चाहिए. साथ ही मनोज जारांगे को बताया गया कि वह जो चाहते हैं, उन्हें दिया जाएगा. इसलिए जारांगे को अपनी भूख हड़ताल वापस ले लेनी चाहिए. भिड़े ने कहा कि आपका रुख 101 प्रतिशत सही है. जब तक मराठा समाज को आरक्षण नहीं मिल जाता है तब तक यह आंदोलन खत्म नहीं होगा, इसलिए हम आपके साथ हैं. इस मौके ने मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्रियों की भी तारीफ की.
जारांगे पाटिल बोले - सीएम, पूरी कैबिनेट और छत्रपतियों के सामने भूख हड़ताल खत्म करेंगे
वहीं लोगों को संबोधित करते हुए अनशनरत मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि वह भूख हड़ताल समाप्त करने के लिए तैयार हैं, लेकिन राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे के अलावा उनकी पूरी कैबिनेट को अंतरवली गांव में आना होगा. उन्होंने यह भी मांग की कि शाही वंशजों - छत्रपति उदयनराजे भोसले और छत्रपति संभाजीराजे भोसले को डिप्टी सीएम देवेंद्र फडनवीस, अजीत पवार और सभी कैबिनेट मंत्रियों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करनी चाहिए.
जारंगे-पाटिल ने मीडिया के सामने घोषणा की, 'मैं अपनी भूख हड़ताल तोड़ने के लिए तैयार हूं, लेकिन मैं इसी स्थान से आंदोलन जारी रखूंगा... जब तक सरकार मराठा आरक्षण नहीं दे देती, मैं अपने घर में कदम नहीं रखूंगा या अपने बच्चों से नहीं मिलूंगा.' सरकार को कोटा तय करने के लिए एक महीने का समय देते हुए उन्होंने कहा कि इसके 31वें दिन से अधिकारियों को मराठों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करना शुरू कर देना चाहिए.
जारंगे-पाटिल ने चेतावनी दी, 'मैं सरकार से यह सब लिखित में चाहता हूं... अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती है, तो 12 अक्टूबर को हम राज्यभर से आने वाले मराठों के साथ विशाल रैली का आयोजन करेंगे... यह इतनी बड़ी सभा होगी कि सरकार 'मराठा' नाम से ही कांप जाएगी.' उन्होंने दोहराया कि सरकार को पिछले कुछ दिनों में प्रदर्शनकारी मराठों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लेने चाहिए, उन पुलिस अधिकारियों को निलंबित करना चाहिए जिन्होंने 1 सितंबर को यहां समुदाय पर कार्रवाई का आदेश दिया था - जिन शर्तों को पहले ही मान लिया गया था और सोमवार देर रात सीएम द्वारा घोषणा की गई थी.
जारांगे-पाटील ने यह भी धमकी दी कि यदि आरक्षण नहीं दिया गया, तो वे उसी गांव में क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर देंगे, क्योंकि वह नहीं चाहते कि आंदोलन की गति धीमी पड़ जाए और मराठा अपनी गरिमा खो दें.
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(एक्सट्रा इनपुट-एजेंसी)