मुंबई: पनवेल फार्महाउस (Panvel Farmhouse Neighbor) के एक पड़ोसी के साथ बहस अभिनेता सलमान खान (Salman Khan) पर भारी पड़ने के संकेत दे रही है. इस मामले में चल रहा मामला अब सलमान की मुश्किलों में इजाफा करता नजर आ रहा है. मुंबई की दीवानी अदालत ने माना है कि सलमान के खिलाफ उनके पड़ोसी केतन कक्कड़ द्वारा जमीन को लेकर लगाए गए आरोप सही थे. उनका कोई भी आरोप झूठा नहीं है. इसलिए अदालत ने पड़ोसी के खिलाफ सलमान के मानहानि के मुकदमे (defamation suit) को खारिज कर दिया.
सलमान ने दावा किया था कि आरोप सिर्फ उन्हें बदनाम करने के लिए लगाए जा रहे हैं. हालांकि, अदालत ने माना कि सलमान का बयान केतन द्वारा पेश किए गए सबूतों पर आधारित था. सलमान के पड़ोसी केतन ने सलमान के खिलाफ सबूत पेश करते हुए कहा था कि उन्हें जमीन के प्लॉट पर आने से रोक दिया गया था. मुंबई सेशन कोर्ट के जज एएच लद्दाद ने कहा कि सलमान खान अपना केस पूरी तरह से पेश करने में नाकाम रहे हैं. वह यह साबित नहीं कर सके कि जमीन सलमान की है. हालांकि कक्कड़ द्वारा पेश किए गए सबूत उनकी बात को साबित करते हैं. अदालत ने सलमान के अपने पड़ोसी केतन कक्कड़ के खिलाफ 'रोकथाम आदेश' के आवेदन को भी खारिज कर दिया है. जिसमें कक्कड़ को पड़ोसी रायगढ़ जिले के पनवेल में खान के फार्महाउस के संबंध में उनके या उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ कोई और टिप्पणी करने से रोकने के लिए अंतरिम आदेश देने की मांग की गई थी.
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केतन कक्कड़ के वकीलों का कहना है कि सलमान ने अपने फार्महाउस के चारों ओर जो मजबूत लोहे का गेट बनाया है, वह केतन की जमीन पर है. इसलिए केतन अपनी भूमि का पूरा उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. उस जमीन पर केतन का मंदिर है. लेकिन चूंकि सलमान ने उन्हें उस जमीन पर आने से मना कर रखा है इसलिए वे साधारण देवदर्शन भी नहीं कर सकते. इतना ही नहीं सलमान ने बिजली की सप्लाई में भी बाधा उत्पन्न कर दी है. इस संबंध में शिकायत दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है. वकीलों ने दावा किया कि कक्कड़ ने 1996 में अपनी जमीन खरीदी थी. वह 2014 में सेवानिवृत्त हुए और वहां रहना चाहते थे, लेकिन सलमान खान और उनके परिवार की वजह से अपनी जमीन तक नहीं पहुंच सके. न्यायाधीश ने रिकॉर्ड में रखे गए ट्वीट और वीडियो की जांच करने के बाद कहा कि खान ने यह नहीं बताया कि ट्वीट में निहित संकेत उनसे कैसे संबंधित हैं. अदालत ने कहा कि खान द्वारा कक्कड़ को अपनी जमीन पर आने से रोकने के आरोप की पुष्टि करने के लिए 'दस्तावेजी सबूत' हैं.