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हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक की रिहाई की मांग

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने गृह मंत्री अमित शाह से मीरवाइज उमर फारूक को रिहा करने की अपील की है. वहीं, हुर्रियत ने भी अपने नेता की रिहाई की मांग की है.

Mirwaiz Umar Farooq
हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक
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Published : Aug 4, 2022, 3:05 PM IST

Updated : Aug 4, 2022, 11:01 PM IST

श्रीनगर : पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन (Chairman of Peoples Conference Sajad Gani Lone) ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) से हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक (Mirwaiz Umar Farooq) की रिहाई सुनिश्चित करने की अपील की. ट्विटर पर लोन ने कहा कि मीरवाइज एक धार्मिक नेता हैं और पिछले चार वर्षो से उनकी निरंतर हिरासत उनके खिलाफ एक अपराध है. उन्होंने कहा कि मीरवाइज खुद हिंसा का शिकार रहे हैं और ऐसे बयानों पर अड़े रहे हैं जो इस्लाम के वास्तविक सार का प्रतिनिधित्व करते हैं.

लोन ने ट्वीट किया, 'मीरवाइज के लिए जरा सोचें. वो पिछले चार वर्षों से नजरबंद हैं और हममें से किसी ने भी उनके बारे में बात नहीं की है. क्षमा करें. हम राजनीतिक रूप से भिन्न हो सकते हैं लेकिन वह हमें एक धार्मिक प्रमुख के रूप में प्रेरित करते हैं. एक धार्मिक प्रमुख जिसने संयम की ताकत सिखाई.'

'मीरवाइज उन बयानों पर अड़े रहे हैं जो उदारवादी हैं और इस्लाम के वास्तविक सार का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनके पास धार्मिक कर्तव्य हैं. उनका निरंतर कारावास उनके खिलाफ और उन सभी के खिलाफ एक अपराध है, जिन्हें वह धार्मिक स्तर पर प्रेरित करते हैं.'

हुर्रियत ने भी उठाई रिहाई की मांग : ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) ने एक बयान में कहा कि उसके अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक की नजरबंदी को आज तीन साल हो गए हैं. अधिकारियों ने उन्हें 4 अगस्त 2019 को नजरबंद किया था. बयान में कहा गया है कि 'APHC अपने अध्यक्ष को घर में जबरन हिरासत में लेने के अधिकारियों के इस मनमाने, निरंकुश कृत्य की कड़ी निंदा करता है. ये सभी मौलिक और बुनियादी मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है. संचार के सभी चैनल अवरुद्ध हैं. उन्हें लोगों-दोस्तों और पार्टी कैडर के संपर्क से रोक दिया गया है.'

APHC ने कहा कि 'ऐसा लगता है कि हमारे अध्यक्ष को कश्मीर संघर्ष का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिए निकलने के प्रयासों के चलते दंडित किया जा रहा है. जबकि हुर्रियत के रूप में हमने अपने गठन के बाद से हमने हमेशा शांतिपूर्ण ढंग से सभी मसलों के समाधान की बात की है.' APHC ने कहा कि 'कश्मीरी राजनीतिक नेतृत्व, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, युवाओं और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को पूरे भारत की जेलों में बंद करना और असंतोष या प्रतिरोध को दबाने के लिए सभी प्रकार के दमनकारी उपायों का उपयोग करना समस्या समाधान के लिए एक निरंकुश दृष्टिकोण है.'

बयान में कहा गया है कि 'हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि एपीएचसी के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक सहित सभी कश्मीरी राजनीतिक कैदियों को बिना शर्त रिहा करें और शांतिपूर्ण तरीकों से संघर्ष समाधान की प्रक्रिया को बातचीत के जरिए फिर से शुरू करें.'

पढ़ें- सरकार मीरवाइज उमर फारूक को रिहा करने के फैसले से पीछे हटी : हुर्रियत

पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकवाद में कमी: पुलिस

पढ़ें- जम्मू कश्मीर: पुलवामा में ग्रेनेड हमला, एक की मौत

श्रीनगर : पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन (Chairman of Peoples Conference Sajad Gani Lone) ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) से हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक (Mirwaiz Umar Farooq) की रिहाई सुनिश्चित करने की अपील की. ट्विटर पर लोन ने कहा कि मीरवाइज एक धार्मिक नेता हैं और पिछले चार वर्षो से उनकी निरंतर हिरासत उनके खिलाफ एक अपराध है. उन्होंने कहा कि मीरवाइज खुद हिंसा का शिकार रहे हैं और ऐसे बयानों पर अड़े रहे हैं जो इस्लाम के वास्तविक सार का प्रतिनिधित्व करते हैं.

लोन ने ट्वीट किया, 'मीरवाइज के लिए जरा सोचें. वो पिछले चार वर्षों से नजरबंद हैं और हममें से किसी ने भी उनके बारे में बात नहीं की है. क्षमा करें. हम राजनीतिक रूप से भिन्न हो सकते हैं लेकिन वह हमें एक धार्मिक प्रमुख के रूप में प्रेरित करते हैं. एक धार्मिक प्रमुख जिसने संयम की ताकत सिखाई.'

'मीरवाइज उन बयानों पर अड़े रहे हैं जो उदारवादी हैं और इस्लाम के वास्तविक सार का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनके पास धार्मिक कर्तव्य हैं. उनका निरंतर कारावास उनके खिलाफ और उन सभी के खिलाफ एक अपराध है, जिन्हें वह धार्मिक स्तर पर प्रेरित करते हैं.'

हुर्रियत ने भी उठाई रिहाई की मांग : ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) ने एक बयान में कहा कि उसके अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक की नजरबंदी को आज तीन साल हो गए हैं. अधिकारियों ने उन्हें 4 अगस्त 2019 को नजरबंद किया था. बयान में कहा गया है कि 'APHC अपने अध्यक्ष को घर में जबरन हिरासत में लेने के अधिकारियों के इस मनमाने, निरंकुश कृत्य की कड़ी निंदा करता है. ये सभी मौलिक और बुनियादी मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है. संचार के सभी चैनल अवरुद्ध हैं. उन्हें लोगों-दोस्तों और पार्टी कैडर के संपर्क से रोक दिया गया है.'

APHC ने कहा कि 'ऐसा लगता है कि हमारे अध्यक्ष को कश्मीर संघर्ष का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिए निकलने के प्रयासों के चलते दंडित किया जा रहा है. जबकि हुर्रियत के रूप में हमने अपने गठन के बाद से हमने हमेशा शांतिपूर्ण ढंग से सभी मसलों के समाधान की बात की है.' APHC ने कहा कि 'कश्मीरी राजनीतिक नेतृत्व, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, युवाओं और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को पूरे भारत की जेलों में बंद करना और असंतोष या प्रतिरोध को दबाने के लिए सभी प्रकार के दमनकारी उपायों का उपयोग करना समस्या समाधान के लिए एक निरंकुश दृष्टिकोण है.'

बयान में कहा गया है कि 'हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि एपीएचसी के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक सहित सभी कश्मीरी राजनीतिक कैदियों को बिना शर्त रिहा करें और शांतिपूर्ण तरीकों से संघर्ष समाधान की प्रक्रिया को बातचीत के जरिए फिर से शुरू करें.'

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Last Updated : Aug 4, 2022, 11:01 PM IST
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