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योगी आदित्यनाथ के 'जबरा' फैन हुए धर्मनगरी के संत, 2024 लोकसभा चुनाव में हरिद्वार से मांगा टिकट

भारतीय राजानीति में साधु संतों का बोलबाला है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सभी संतों में सबसे आगे हैं. योगी आदित्यनाथ से प्रभावित होकर हरिद्वार के संतों ने भी सियासत में उतरने का मन बना लिया है. हरिद्वार के साधु संत 2024 लोकसभा चुनाव में हरिद्वार से किसी संत को टिकट देने की मांग कर रहे हैं. वहीं, तीर्थ पुरोहितों ने भी संतों का समर्थन किया है.

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योगी आदित्यानाथ के 'जबरा' फैन हुए धर्मनगरी के संत
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Published : Apr 19, 2023, 7:34 PM IST

Updated : Apr 29, 2023, 2:51 PM IST

योगी आदित्यानाथ के 'जबरा' फैन हुए धर्मनगरी के संत

हरिद्वार (उत्तराखंड): राजनीति में संतों का आना कोई नई बात नहीं है. भक्ति और आस्था का पाठ पढ़ाने वाले कई संत भारतीय राजनीति में अपना कमाल दिखा चुके हैं. उमा भारती, साध्वी प्राची, साध्वी प्रज्ञा, साक्षी महाराज, ये वो तमाम संत हैं जो वर्तमान में सक्रिय राजनीति में जमे हैं. लेकिन पिछले 6-7 सालों से एक संत ऐसा भी है जिसने अपनी गजब की फैन फॉलोइंग बनाई है. ये संत कोई और नहीं बल्कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हैं. योगी के बयानों, एक्शन और अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के कारण उनकी वर्किंग स्टाइल के लाखों प्रशंसक हैं. उधर, योगी आदित्यनाथ से प्रभावित होकर अब हरिद्वार के संत भी राजनीति में आने की इच्छा जता रहे हैं. इसी कारण ये संत 2024 लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट से टिकट की मांग कर रहे हैं.

संत मांगें लोकसभा का टिकट: लोकसभा चुनाव 2024 के नजदीक आते ही सियासत तेज हो गई है. ये सियासत सबसे ज्यादा धर्मनगरी हरिद्वार की संसदीय सीट पर दिखाई दे रही है. हरिद्वार से इस बार कई संत इस बार सांसदी का टिकट मांग रहे हैं. ये सभी योगी आदित्यनाथ से प्रभावित हैं. इन सभी का कहना है कि वो भी योगी आदित्यनाथ की तरह ही हिंदुत्व का झंडा बुलंद करना चाहते हैं. मोह माया से दूर रहने वाली संन्यासी इस बार खुद हरिद्वार से लोकसभा चुनाव में प्रतिनिधित्व करना चाह रहे हैं, जिसके लिए वो टिकट की मांग कर रहे हैं.

पढे़ं- Saints Vs Madani: अरशद मदनी के बयान से बिफरे हरिद्वार के संत, सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी दी

अखाड़ा परिषद ने की संत को उतारने की मांग: साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने रविंद्र पुरी का मानना है कि आज के समय में भारत देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री एक संत हैं. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक संत की तरह ही अपना जीवन जीते हैं. संत अपने लिए नहीं बल्कि समाज के लिए ही जीता है. देश में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर संतों का एक विशेष महत्व है. उसी में से धर्मनगरी हरिद्वार भी ऐसा ही क्षेत्र है.

रविंद्र पुरी का कहना है कि हरिद्वार में संतों के हजारों आश्रम हैं. बड़ी तागात में संत यहां पर रहते हैं. ऐसे में अगर किसी संत को भारतीय जनता पार्टी इस बार हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनती है तो यह बहुत ही लाभदायक होगा. इतना ही नहीं, आज तक जितने भी संतों ने राजनीति में अपना कदम रखा है उन्होंने समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है. उन्होंने कहा कि, अखाड़ा परिषद की भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं से यही मांग है कि इस बार एक संत को ही हरिद्वार लोकसभा सीट से मौका दिया जाए.

संतों ने लोकसभा सीट की अव्यवस्थाओं का दिया हवाला: वहीं, प्राचीन अवधूत मंडल के महंत और बड़ा उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने भी हरिद्वार लोकसभा सीट संत उम्मीदवार उतारने की मांग की है. उन्होंने कहा हरिद्वार की परिस्थितियों को एक संत से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है. उन्होंने कहा आज के समय में कुंभ मेला, कांवड़ मेला या फिर दूसरी सभी व्यवस्थाएं यहां ठप हो जाती हैं. एक संत के लिए कांवड़ मेला, चारधाम यात्रा और कुंभ मेला एक उत्सव होता है. वो इस उत्सव को कैसे मनाएंगे, उसके लिए क्या व्यवस्थाएं होंगी, ये एक संत अच्छी तरह से जानता है. इसलिए अगर हरिद्वार संसदीय सीट से किसी संत को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया जाता है तो यहां की व्यवस्थाओं में सुधार होगा. उन्होंने कहा अगर ऐसा होता है तो यह धर्मनगरी हरिद्वार के लिए सौभाग्य की बात होगी.

पढे़ं- एक तरफ संतों ने की जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग, दूसरी ओर हिंदुओं से की दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील

तीर्थ पुरोहितों ने किया संतों का समर्थन: हरिद्वार के संत ही नहीं बल्कि तीर्थ पुरोहित भी कुछ इसी तरह की बात कह रहे हैं. तीर्थ पुरोहितों ने हरिद्वार लोकसभा सीट पर संत की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए कहा हरिद्वार धर्म से जुड़ा हुआ ऐसा क्षेत्र है जहां से राम मंदिर निर्माण के आंदोलन की शुरुआत हुई थी. यहीं पर सभी साधु-संतों ने मिलकर राम मंदिर निर्माण के लिए बैठकें की थी. आज उसी का परिणाम है कि राम मंदिर बन रहा है. उन्होंने कहा अगर ऐसे में हरिद्वार की कमान साधु-संतों के हाथ में जाती है तो इसका संदेश पूरे देश में जाएगा. एक संत की जरूरत धर्मनगरी को भी उतनी है जितनी उत्तर प्रदेश में है.

वहीं, हरिद्वार के जिला महामंत्री आशुतोष शर्मा ने हरिद्वार सीट पर किसी संत उम्मीदवार के चुने जाने पर बोलते हुए कहा भारतीय जनता पार्टी में किसी भी व्यक्ति को चुनने की लोकतांत्रिक प्रक्रिया है. लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव, स्थानीय जनता को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है. उनके सुझावों से ही कमेटी यह चयन करती है. संतों का विषय भी केंद्रीय कमेटी के पास जाएगा, जिस पर उच्च स्तरीय नेता निर्णय लेंगे. आशुतोष शर्मा ने कहा साधु संतों का आशीर्वाद शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी को मिलता रहा है. संतों से हमेशा पार्टी को लाभ हुआ है. लोकसभा का टिकट मौजूदा स्थिति पर ज्यादा निर्भर करता है.

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कांग्रेस ने शुरू से ही जताया संतों पर भरोसा: वहीं, जब इस विषय पर हरिद्वार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अमन गर्ग से बात की गई तो उन्होंने कहा कांग्रेस शुरू से ही संतों पर विश्वास जताती आई है. लोकसभा, विधानसभा, यहां तक की मेयर तक के चुनाव में कांग्रेस ने संतों पर भरोसा किया है. उन्होंने कहा कांग्रेस ने संतों को हरिद्वार से चुनाव लड़ाने का काम किया है. इससे पहले विधानसभा चुनाव में ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, सतपाल ब्रह्मचारी, मेयर चुनाव में संजय महंत तक को कांग्रेस ने चुनाव लड़ाया है, जिसमें एक बार जीत हासिल हुई है.

हरिद्वार में संतों का चुनावी इतिहास: इस मामले पर राजनीतिक विश्लेषक और पूर्व नेता रहे मुरली मनोहर ने बताया चुनाव हमेशा मुद्दों से जीता जाता है. उन्होंने कहा कई बार कांग्रेस, बीजेपी संतों को चुनावों में उतार चुकी है, लेकिन उसका परिणाम विफल ही रहा है. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से लेकर निकाय चुनाव तक में संतों को प्रत्याशी घोषित किया, लेकिन कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, बीजेपी ने भी 2009 में रुड़की के स्वामी यतींद्रानंद गिरि को हरीश रावत के सामने उतारा था, लेकिन उसका परिणाम भी भाजपा के विपरीत ही रहा. इसलिए चुनाव में कोई व्यक्ति विशेष का महत्व नहीं होता है. उन्होंने कहा चुनाव हमेशा ही माहौल और मुद्दों पर ही निर्भर करता है.

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हरिद्वार लोकसभा सीट का इतिहास: बता दें इससे पहले 2009 में भारतीय जनता पार्टी ने हरीश रावत के सामने स्वामी यतींद्रानंद गिरि को चुनावी अखाड़े में उतारा था. तब हरीश रावत ने स्वामी यतींद्रानंद गिरि को 127412 वोटों से हराया था. स्वामी यतींद्रानंद गिरि जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं. फिलहाल अभी हरिद्वार संसदीय लोकसभा सीट से बीजेपी के रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हैं. रमेश पोखरियाल निशंक केंद्रीय मंत्री के साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उनका हरिद्वार में एक बड़ा जनाधार है.

योगी आदित्यानाथ के 'जबरा' फैन हुए धर्मनगरी के संत

हरिद्वार (उत्तराखंड): राजनीति में संतों का आना कोई नई बात नहीं है. भक्ति और आस्था का पाठ पढ़ाने वाले कई संत भारतीय राजनीति में अपना कमाल दिखा चुके हैं. उमा भारती, साध्वी प्राची, साध्वी प्रज्ञा, साक्षी महाराज, ये वो तमाम संत हैं जो वर्तमान में सक्रिय राजनीति में जमे हैं. लेकिन पिछले 6-7 सालों से एक संत ऐसा भी है जिसने अपनी गजब की फैन फॉलोइंग बनाई है. ये संत कोई और नहीं बल्कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हैं. योगी के बयानों, एक्शन और अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के कारण उनकी वर्किंग स्टाइल के लाखों प्रशंसक हैं. उधर, योगी आदित्यनाथ से प्रभावित होकर अब हरिद्वार के संत भी राजनीति में आने की इच्छा जता रहे हैं. इसी कारण ये संत 2024 लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट से टिकट की मांग कर रहे हैं.

संत मांगें लोकसभा का टिकट: लोकसभा चुनाव 2024 के नजदीक आते ही सियासत तेज हो गई है. ये सियासत सबसे ज्यादा धर्मनगरी हरिद्वार की संसदीय सीट पर दिखाई दे रही है. हरिद्वार से इस बार कई संत इस बार सांसदी का टिकट मांग रहे हैं. ये सभी योगी आदित्यनाथ से प्रभावित हैं. इन सभी का कहना है कि वो भी योगी आदित्यनाथ की तरह ही हिंदुत्व का झंडा बुलंद करना चाहते हैं. मोह माया से दूर रहने वाली संन्यासी इस बार खुद हरिद्वार से लोकसभा चुनाव में प्रतिनिधित्व करना चाह रहे हैं, जिसके लिए वो टिकट की मांग कर रहे हैं.

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अखाड़ा परिषद ने की संत को उतारने की मांग: साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने रविंद्र पुरी का मानना है कि आज के समय में भारत देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री एक संत हैं. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक संत की तरह ही अपना जीवन जीते हैं. संत अपने लिए नहीं बल्कि समाज के लिए ही जीता है. देश में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर संतों का एक विशेष महत्व है. उसी में से धर्मनगरी हरिद्वार भी ऐसा ही क्षेत्र है.

रविंद्र पुरी का कहना है कि हरिद्वार में संतों के हजारों आश्रम हैं. बड़ी तागात में संत यहां पर रहते हैं. ऐसे में अगर किसी संत को भारतीय जनता पार्टी इस बार हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनती है तो यह बहुत ही लाभदायक होगा. इतना ही नहीं, आज तक जितने भी संतों ने राजनीति में अपना कदम रखा है उन्होंने समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है. उन्होंने कहा कि, अखाड़ा परिषद की भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं से यही मांग है कि इस बार एक संत को ही हरिद्वार लोकसभा सीट से मौका दिया जाए.

संतों ने लोकसभा सीट की अव्यवस्थाओं का दिया हवाला: वहीं, प्राचीन अवधूत मंडल के महंत और बड़ा उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने भी हरिद्वार लोकसभा सीट संत उम्मीदवार उतारने की मांग की है. उन्होंने कहा हरिद्वार की परिस्थितियों को एक संत से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है. उन्होंने कहा आज के समय में कुंभ मेला, कांवड़ मेला या फिर दूसरी सभी व्यवस्थाएं यहां ठप हो जाती हैं. एक संत के लिए कांवड़ मेला, चारधाम यात्रा और कुंभ मेला एक उत्सव होता है. वो इस उत्सव को कैसे मनाएंगे, उसके लिए क्या व्यवस्थाएं होंगी, ये एक संत अच्छी तरह से जानता है. इसलिए अगर हरिद्वार संसदीय सीट से किसी संत को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया जाता है तो यहां की व्यवस्थाओं में सुधार होगा. उन्होंने कहा अगर ऐसा होता है तो यह धर्मनगरी हरिद्वार के लिए सौभाग्य की बात होगी.

पढे़ं- एक तरफ संतों ने की जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग, दूसरी ओर हिंदुओं से की दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील

तीर्थ पुरोहितों ने किया संतों का समर्थन: हरिद्वार के संत ही नहीं बल्कि तीर्थ पुरोहित भी कुछ इसी तरह की बात कह रहे हैं. तीर्थ पुरोहितों ने हरिद्वार लोकसभा सीट पर संत की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए कहा हरिद्वार धर्म से जुड़ा हुआ ऐसा क्षेत्र है जहां से राम मंदिर निर्माण के आंदोलन की शुरुआत हुई थी. यहीं पर सभी साधु-संतों ने मिलकर राम मंदिर निर्माण के लिए बैठकें की थी. आज उसी का परिणाम है कि राम मंदिर बन रहा है. उन्होंने कहा अगर ऐसे में हरिद्वार की कमान साधु-संतों के हाथ में जाती है तो इसका संदेश पूरे देश में जाएगा. एक संत की जरूरत धर्मनगरी को भी उतनी है जितनी उत्तर प्रदेश में है.

वहीं, हरिद्वार के जिला महामंत्री आशुतोष शर्मा ने हरिद्वार सीट पर किसी संत उम्मीदवार के चुने जाने पर बोलते हुए कहा भारतीय जनता पार्टी में किसी भी व्यक्ति को चुनने की लोकतांत्रिक प्रक्रिया है. लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव, स्थानीय जनता को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है. उनके सुझावों से ही कमेटी यह चयन करती है. संतों का विषय भी केंद्रीय कमेटी के पास जाएगा, जिस पर उच्च स्तरीय नेता निर्णय लेंगे. आशुतोष शर्मा ने कहा साधु संतों का आशीर्वाद शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी को मिलता रहा है. संतों से हमेशा पार्टी को लाभ हुआ है. लोकसभा का टिकट मौजूदा स्थिति पर ज्यादा निर्भर करता है.

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कांग्रेस ने शुरू से ही जताया संतों पर भरोसा: वहीं, जब इस विषय पर हरिद्वार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अमन गर्ग से बात की गई तो उन्होंने कहा कांग्रेस शुरू से ही संतों पर विश्वास जताती आई है. लोकसभा, विधानसभा, यहां तक की मेयर तक के चुनाव में कांग्रेस ने संतों पर भरोसा किया है. उन्होंने कहा कांग्रेस ने संतों को हरिद्वार से चुनाव लड़ाने का काम किया है. इससे पहले विधानसभा चुनाव में ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, सतपाल ब्रह्मचारी, मेयर चुनाव में संजय महंत तक को कांग्रेस ने चुनाव लड़ाया है, जिसमें एक बार जीत हासिल हुई है.

हरिद्वार में संतों का चुनावी इतिहास: इस मामले पर राजनीतिक विश्लेषक और पूर्व नेता रहे मुरली मनोहर ने बताया चुनाव हमेशा मुद्दों से जीता जाता है. उन्होंने कहा कई बार कांग्रेस, बीजेपी संतों को चुनावों में उतार चुकी है, लेकिन उसका परिणाम विफल ही रहा है. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से लेकर निकाय चुनाव तक में संतों को प्रत्याशी घोषित किया, लेकिन कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, बीजेपी ने भी 2009 में रुड़की के स्वामी यतींद्रानंद गिरि को हरीश रावत के सामने उतारा था, लेकिन उसका परिणाम भी भाजपा के विपरीत ही रहा. इसलिए चुनाव में कोई व्यक्ति विशेष का महत्व नहीं होता है. उन्होंने कहा चुनाव हमेशा ही माहौल और मुद्दों पर ही निर्भर करता है.

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हरिद्वार लोकसभा सीट का इतिहास: बता दें इससे पहले 2009 में भारतीय जनता पार्टी ने हरीश रावत के सामने स्वामी यतींद्रानंद गिरि को चुनावी अखाड़े में उतारा था. तब हरीश रावत ने स्वामी यतींद्रानंद गिरि को 127412 वोटों से हराया था. स्वामी यतींद्रानंद गिरि जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं. फिलहाल अभी हरिद्वार संसदीय लोकसभा सीट से बीजेपी के रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हैं. रमेश पोखरियाल निशंक केंद्रीय मंत्री के साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उनका हरिद्वार में एक बड़ा जनाधार है.

Last Updated : Apr 29, 2023, 2:51 PM IST
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