सागर। मध्यप्रदेश की एकमात्र सेंट्रल यूनिवर्सिटी डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर अपने नवाचारों के लिए जानी जाती है. फिलहाल विश्वविद्यालय का एक नवाचार काफी सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विद्यार्थियों को खुले वातावरण में पढ़ने के लिए विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के साथ मुक्ताकाश अध्ययन केंद्र बनाया गया है. इस अध्ययन केंद्र में विद्यार्थी पढ़ाई करते है, एक दूसरे से चर्चा करते हैं और साथ ही लंच भी करते हैं. विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय का यह नवाचार काफी अच्छा लग रहा है. इसकी सफलता को देखते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने तय किया है कि अब विश्वविद्यालय में ओपन क्लास रूम भी बनाया जाएगा. जहां किसी भी विभाग का शिक्षक अपने छात्रों को ले जाकर खुले वातावरण में पढ़ा सकेगा. इस नवाचार के पीछे विश्वविद्यालय की सोच है कि छात्रों को बंद क्लास रूम के अनुशासित और तनावपूर्ण माहौल से हटकर प्राकृतिक वातावरण के बीच खुले आसमान के नीचे पढ़ाया जाए. जल्द ही विश्वविद्यालय में ओपन क्लासरूम आकार ले लेगा और फिर खुले आसमान के नीचे शिक्षक छात्रों को पढ़ाते हुए नजर आएंगे.
क्या है मुक्ताकाश अध्ययन केंद्र: सागर विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू पुस्तकालय के सामने एक मुक्ताकाश अध्ययन केंद्र बनाया गया है. इस अध्ययन केंद्र में विद्यार्थियों को बैठने की व्यवस्था की गई है. छात्र अध्ययन केंद्र में पढ़ाई लिखाई के साथ खाना-पीना और आपस में चर्चा और किसी विषय पर शांतिपूर्ण वाद-विवाद कर सकते हैं. दरअसल विश्वविद्यालय के विद्यार्थी जवाहरलाल नेहरू पुस्तकालय में अध्ययन तो कर सकते हैं, लेकिन वहां के शांतिपूर्ण माहौल में खलल नहीं डाल सकते हैं. विद्यार्थी पुस्तकालय के अंदर ना तो आपस में बातचीत कर सकते हैं. ना ही छात्रों को जोर से पढ़ने या किसी समस्या के समाधान के लिए किसी से मदद की इजाजत होती है. छात्रों की समस्या को देखते हुए विश्वविद्यालय के पुस्तकालय के ही सामने ओपन स्टडी सेंटर यानि मुक्ताकाश अध्ययन केंद्र बनाया गया है. विश्वविद्यालय का यह नवाचार छात्रों को काफी पसंद आया है. छात्र यहां पहुंच कर पढ़ाई लिखाई और चर्चा के अलावा वाद विवाद भी करते हैं. विद्यार्थियों की रुचि को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने ओपन क्लास रूम तैयार करने का फैसला किया है.
कैसा होगा ओपन क्लासरूम: स्टडी सेंटर की सफलता के बाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने ओपन क्लास रूम बनाने का भी फैसला किया है. विश्वविद्यालय कि जवाहरलाल नेहरू पुस्तकालय का विस्तार किया जा रहा है और नए भवन के साथ दो ओपन क्लास रूम तैयार किए जा रहे हैं. ओपन क्लास रूम में विद्यार्थी के अलावा शिक्षक भी पहुंचेंगे और अपने विषय से संबंधित पढ़ाई करा सकेंगे. यहां का माहौल किसी क्लास रूम के माहौल से अलग होगा. यहां बिना तनाव और अनुशासन के छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई कर सकेंगे और शिक्षक से अपनी समस्याओं का समाधान कर सकेंगे. विश्वविद्यालय प्रशासन की कोशिश यह होगी कि प्राकृतिक वातावरण के बीच विद्यार्थी खुले माहौल में पठन पाठन कर सके.
नवाचार से आया ओपन क्लासरूम का विचार: विश्वविद्यालय के पुस्तकालय के सामने ओपन स्टडी सेंटर का विचार विश्वविद्यालय के कल्चरल कोऑर्डिनेटर डॉ राकेश सोनी के दिमाग की उपज है. जब उन्होंने विश्वविद्यालय की कुलपति के समक्ष ओपन स्टडी सेंटर को लेकर अपने विचार रखा, तो इस नवाचार को आगे बढ़ाने की उन्होंने तुरंत अनुमति दी. कुलपति की स्वीकृति के बाद लाइब्रेरी के सामने ओपन स्टडी सेंटर बनाया गया. जिसमें छात्रों को बैठने की व्यवस्था खाने-पीने के लिए शेड और बेहतरीन प्राकृतिक माहौल उपलब्ध कराया गया है. जहां छात्र आपको समूह में पढ़ते हुए नजर आएंगे. एक दूसरे को विषय से संबंधित जानकारी देते हुए नजर आएंगे और साथ में खाना-पीना भी करेंगे. ओपन स्टडी सेंटर में विद्यार्थियों की रुचि को देखते हुए कुलपति ने ओपन क्लासरूम तैयार करने के निर्देश दिए हैं और विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के नजदीक दो ओपन क्लास रूम बनाए जा रहे हैं.
ओपन स्टडी सेंटर के बाद ओपन क्लासरूम: विश्वविद्यालय के कल्चरल कोऑर्डिनेटर राकेश सोनी बताते हैं कि "कुलपति महोदय के निर्देशन में यह काम किए जा रहे हैं. दरअसल लाइब्रेरी का माहौल ऐसा होता है कि ना तो आप उसके अंदर बातचीत कर सकते हैं और ना शोरगुल कर सकते हैं. अगर विद्यार्थियों को एक दूसरे को कुछ बताना है और कोई चर्चा करना है तो अनुमति नहीं होती है. इस समस्या को देखते हुए और विश्वविद्यालय के प्राकृतिक वातावरण को देखते हुए विचार आया कि क्यों ना लाइब्रेरी के नजदीक ओपन स्टडी सेंटर बनाया जाए, जहां विद्यार्थी खुले में बैठ कर पढ़ सकें." इस नवाचार की सफलता को देखते हुए कुलपति ने अब लाइब्रेरी के नजदीक ओपन क्लास रूम भी बनाए जाने के निर्देश दिए हैं. हमें नहीं लगता है कि देश के किसी विश्वविद्यालय में ऐसी व्यवस्था होगी कि विश्वविद्यालय के टीचर, इंस्ट्रक्टर और ट्यूटर खुले आसमान के नीचे अपने विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे. लाइब्रेरी से पाठ्य सामग्री इकट्ठा कर एक जगह खुले में चर्चा की जा सकेगी. आने वाले तीन चार महीनों में ओपन क्लासरूम में विद्यार्थी आप को पढ़ते हुए नजर आएंगे.
ये भी पढ़ें... |
क्या कहना है विद्यार्थियों का: विश्वविद्यालय के छात्र अभिषेक शुक्ला का कहना है कि "एक बंद कमरे में पढ़ाई की अपेक्षा खुले वातावरण में पढ़ना और समस्याओं को लेकर एक दूसरे से चर्चा करना और समझना काफी अच्छा है. हम लाइब्रेरी के अंदर किसी भी विषय पर चर्चा नहीं कर पाते हैं, ना ही किसी विषय को लेकर बातचीत कर पाते हैं. यहां ओपन स्टडी सेंटर में हम पढ़ने के साथ-साथ चर्चा और संबंधित विषय पर वाद-विवाद भी करते हैं और आपस में एक दूसरे की समस्याओं का निदान भी करते हैं."
क्या कहना है कुलपति का: कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता कहती हैं कि "हम लोगों ने तय किया कि बच्चों को लाइब्रेरी में बैठाते हैं या उनके डिपार्टमेंट के क्लास रूम में बैठाते हैं, तो उन्हें काफी अनुशासित और तनावपूर्ण माहौल में पढ़ना होता है. जब हम खुले वातावरण में उन्हें पढ़ने की सुविधा देते हैं तो उन्हें ऐसा लगता है कि हम लोग खेलकूद के माध्यम से खुली हवा में अच्छे वातावरण में बैठकर पढ़ रहे हैं. हमने कुछ महीने पहले ये प्रयोग किया और लाइब्रेरी के सामने ओपन स्टडी सेंटर बनाया. यह छोटा सा प्रयोग था और हमें प्रसन्नता है कि हमारे विद्यार्थी यहां आकर बैठते हैं, खाते पीते हैं और पढ़ाई भी करते हैं. इस तरह उन्हें एक बढ़िया पढ़ाई का माहौल मिला है. जब यह प्रयोग सफल हुआ और मैंने देखा कि विद्यार्थी ओपन स्टडी सेंटर का भरपूर उपयोग कर रहे हैं, तो मेरे मन में विचार आया कि क्यों ना इस तरह की क्लास रूम की भी सुविधा दी जाए. हमने तय किया कि जो हमारी लाइब्रेरी का विस्तार हो रहा है, उसके साथ हम दो ओपन क्लासरूम भी बनाएंगे. जहां विश्वविद्यालय के किसी भी विभाग का शिक्षक अपने विद्यार्थियों के साथ आकर उनकी क्लास ले सकेगा. इससे विद्यार्थियों को एक बदलाव महसूस होगा और छात्र छात्राओं को ऐसा नहीं लगेगा कि वह बंद क्लासरूम में पढ़ रहे हैं. ऐसे खुले वातावरण में उनकी पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी.