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Dharm Sansad में विवादित बयान: जितेंद्र नारायण त्यागी को एक हफ्ते में करें रिहा, नहीं तो असेंबली कांड...

यूपी के प्रयागराज Dharm Sansad में साधु-संतों ने कई विवादित बयानबाजी की है. संतों ने गिरफ्तार संतों की एक हफ्ते में रिहाई न होने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतवानी दी है. उन्होंने धर्मांतरण कराने वालों को फांसी दिए जाने की मांग भी की है.

Dharm Sansad
यूपी के प्रयागराज
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Published : Jan 29, 2022, 11:50 PM IST

प्रयागराज: संगमनगरी में चल रहे माघ मेले में हरिद्वार (Haridwar) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarah) में धर्म संसद करने वाली समिति ने संत सम्मेलन का आयोजन किया. धर्म संसद की जगह संत सम्मेलन के आयोजन में भी साधु संतों ने कई विवादित बयानबाजी की है.

संत सम्मेलन में देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के साथ ही 3 प्रस्ताव पारित करके सरकार को भेजा गया है. जिसमें गिरफ्तार संतों की एक हफ्ते में रिहाई न होने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतवानी दी गई है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को धर्मादेश देकर देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए कहा गया है. धर्मांतरण रोकने के कानून को कठोर बनाकर धर्मांतरण कराने वालों को फांसी दिए जाने की मांग भी की गई है.

धर्म संसद में विवादित बयान

संत सम्मेलन में हिंदू राष्ट्र बनाने समेत 3 प्रस्ताव पास

धर्म संसद के आयोजक स्वामी आनंद स्वरूप ने भड़काऊ बयान देते हुए कहा कि 'अगर स्वामी यति नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी (WASIM RIZVI JITENDRA NARAYAN SINGH TYAGI) को एक हफ्ते में जेल से रिहा नहीं किया गया तो उसका अंजाम बुरा होगा. उनकी आजादी के लिए उस तरह का आंदोलन हो सकता है जैसा शहीद भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए असेंबली कांड करके किया था.'

यही नहीं गिरफ्तार यति नरसिम्हानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को धर्मयोद्धा बताते हुए हफ्ते भर में उनकी रिहाई न होने पर उग्र आंदोलन की धमकी भी दी है. इसके अलावा तीसरे प्रस्ताव के रूप में धर्मांतरण को पूरी तरह से रोकने के लिए कानून को और सख्त किए जाने की मांग की है. उन्होंने धर्मांतरण कराने वालों को फांसी की सजा दिए जाने को लेकर सख्त कानून बनाने की भी मांग की है.

माघ मेले में आयोजित इस धर्म संसद का संचालन समिति के संयोजक स्वामी आनंद स्वरूप ने किया था. जबकि माघ मेले में मौजूद शंकराचार्य या उनके प्रतिनिधि भी इस संत सम्मेलन में शामिल होने नहीं पहुंचे. आयोजकों ने दावा किया है कि कई बड़े साधु संत इस संत सम्मेलन में शामिल हुए हैं.

पढ़ें: अलीगढ़ में अब दो और तीन अप्रैल को होगी धर्म संसद...

स्वामी नरेंद्रानंद ने भी दिया विवादित बयान

स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने इस संत सम्मेलन के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने देश भर के उन मठ मंदिरों से सरकारी संरक्षण से मुक्त करवाने की मांग की, जिन पर सरकार ने अपना नियंत्रण किया है उन्हें सरकारी नियंत्रण से मुक्त करवाने की भी मांग की गई है. इसके साथ ही धर्म विशेष के लोगों द्वारा एक से ज्यादा शादी करने और कई बच्चे पैदा करने पर भी कानून बनाने की मांग की है.

इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर भी विवादित बयान दिया है. उनका कहना है कि राष्ट्रपिता कोई नहीं हो सकता है, राष्ट्रपिता की जगह राष्ट्रपुत्र कहा जा सकता है, लेकिन वो किसी को राष्ट्रपिता नहीं मान सकते हैं.

प्रयागराज: संगमनगरी में चल रहे माघ मेले में हरिद्वार (Haridwar) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarah) में धर्म संसद करने वाली समिति ने संत सम्मेलन का आयोजन किया. धर्म संसद की जगह संत सम्मेलन के आयोजन में भी साधु संतों ने कई विवादित बयानबाजी की है.

संत सम्मेलन में देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के साथ ही 3 प्रस्ताव पारित करके सरकार को भेजा गया है. जिसमें गिरफ्तार संतों की एक हफ्ते में रिहाई न होने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतवानी दी गई है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को धर्मादेश देकर देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए कहा गया है. धर्मांतरण रोकने के कानून को कठोर बनाकर धर्मांतरण कराने वालों को फांसी दिए जाने की मांग भी की गई है.

धर्म संसद में विवादित बयान

संत सम्मेलन में हिंदू राष्ट्र बनाने समेत 3 प्रस्ताव पास

धर्म संसद के आयोजक स्वामी आनंद स्वरूप ने भड़काऊ बयान देते हुए कहा कि 'अगर स्वामी यति नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी (WASIM RIZVI JITENDRA NARAYAN SINGH TYAGI) को एक हफ्ते में जेल से रिहा नहीं किया गया तो उसका अंजाम बुरा होगा. उनकी आजादी के लिए उस तरह का आंदोलन हो सकता है जैसा शहीद भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए असेंबली कांड करके किया था.'

यही नहीं गिरफ्तार यति नरसिम्हानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को धर्मयोद्धा बताते हुए हफ्ते भर में उनकी रिहाई न होने पर उग्र आंदोलन की धमकी भी दी है. इसके अलावा तीसरे प्रस्ताव के रूप में धर्मांतरण को पूरी तरह से रोकने के लिए कानून को और सख्त किए जाने की मांग की है. उन्होंने धर्मांतरण कराने वालों को फांसी की सजा दिए जाने को लेकर सख्त कानून बनाने की भी मांग की है.

माघ मेले में आयोजित इस धर्म संसद का संचालन समिति के संयोजक स्वामी आनंद स्वरूप ने किया था. जबकि माघ मेले में मौजूद शंकराचार्य या उनके प्रतिनिधि भी इस संत सम्मेलन में शामिल होने नहीं पहुंचे. आयोजकों ने दावा किया है कि कई बड़े साधु संत इस संत सम्मेलन में शामिल हुए हैं.

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स्वामी नरेंद्रानंद ने भी दिया विवादित बयान

स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने इस संत सम्मेलन के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने देश भर के उन मठ मंदिरों से सरकारी संरक्षण से मुक्त करवाने की मांग की, जिन पर सरकार ने अपना नियंत्रण किया है उन्हें सरकारी नियंत्रण से मुक्त करवाने की भी मांग की गई है. इसके साथ ही धर्म विशेष के लोगों द्वारा एक से ज्यादा शादी करने और कई बच्चे पैदा करने पर भी कानून बनाने की मांग की है.

इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर भी विवादित बयान दिया है. उनका कहना है कि राष्ट्रपिता कोई नहीं हो सकता है, राष्ट्रपिता की जगह राष्ट्रपुत्र कहा जा सकता है, लेकिन वो किसी को राष्ट्रपिता नहीं मान सकते हैं.

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