पठानमथिट्टा (केरल) : सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple) के लिए इन दिनों वार्षिक तीर्थयात्रा चल रही है. इस दौरान दस दिनों में मंदिर को 52 करोड़ रुपये की आय हुई है. इस बारे में देवस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष के अनंतगोपन एडवोकेट ने जानकारी देते हुए बताया कि दस दिनों में मंदिर को 52 करोड़ रुपये की आय हुई है. इसमें अप्पम की बिक्री के लिए 2.58 करोड़ रुपये. अरावना की बिक्री के लिए 23.57 करोड़, हुंडी राजस्व के रूप में 12.73 करोड़ रुपये मिले हैं.
उन्होंने बताया कि पिछले साल इसी अवधि में राजस्व के रूप में 9.92 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे. हालांकि उस दौरान दर्शनार्थियों को कड़े कोविड प्रतिबंधों का पालन करते हुए दर्शन करना पड़ता था. अनंतगोपन ने कहा कि राजस्व का अधिकांश हिस्सा उत्सव के आयोजन के लिए इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने कहा कि मंदिर जाने के चारों रास्ते खोल दिए गए हैं और श्रद्धालु उनमें से अपनी पसंद का कोई भी रास्ता चुन सकते हैं.
बता दें कि सबरीमाला मंदिर जाने के इच्छुक श्रद्धालु दर्शन के लिए ऑनलाइन पोर्टल या स्पॉट बुकिंग के माध्यम से बुकिंग कर सकते हैं. शेड्यूल के अनुसार, मौजूदा सीजन का पहला चरण 27 दिसंबर को समाप्त हो रहा है, दूसरे चरण के लिए 30 दिसंबर को फिर से खुलेगा. धार्मिक उत्सव 'मकर विलक्कु' 14 जनवरी को समाप्त होगा, जब सूर्यास्त के तुरंत बाद क्षितिज पर एक दिव्य प्रकाश तीन बार दिखाई देगा. समुद्र तल से 914 मीटर की ऊंचाई पर पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थित, सबरीमाला मंदिर पत्तनमथिट्टा जिले के पंबा से चार किलोमीटर की ऊंचाई पर है, जो राजधानी शहर से लगभग 100 किलोमीटर दूर है. पवित्र तीर्थस्थल पर जाने से पहले, अधिकांश तीर्थयात्री सामान्य रूप से 41 दिनों की गहन तपस्या करते हैं, जहां वे शाकाहारी भोजन का पालन करते हैं, काली धोती पहनते हैं और नंगे पैर चलते हैं.
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