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परमबीर सिंह का इस्तेमाल कर रही भाजपा सरकार : शिवसेना - शिवसेना का मुखपत्र सामना

मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के विवादास्पद पत्र को लेकर विपक्ष महा विकास अघाड़ी पर हमलावर है. आज संसद में भी इस मुद्दे को लेकर जमकर हंगामा हुआ. महाराष्ट्र सरकार के बचाव में शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय लेख के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त पर निशाना साधा गया. पढ़ें सामना में छपा लेख...

saamana editorial on parambir singh
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Published : Mar 22, 2021, 1:10 PM IST

मुंबई : उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक मिलने से शुरू हुआ मामला उलझता जा रहा है. मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त के विवादित पत्र के बाद से महाराष्ट्र सरकार पर संकट मंडरा रहा है. मामले को लेकर विपक्ष ने महा विकास अघाड़ी को घेर रखा है. इस बीच शिव सेना के मुखपत्र सामना में छपे एक लेख के माध्यम से विपक्ष और परमबीर सिंह पर निशाना साधा गया है.

सामना में छपे लेख में कहा गया है कि, 'मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह भरोसे लायक अधिकारी बिल्कुल नहीं हैं. उन पर विश्वास नहीं रखा जा सकता है, ऐसा मत कल तक भारतीय जनता पार्टी का था परंतु उसी परमबीर सिंह को आज भाजपा सिर पर बैठाकर नाच रही है. पुलिस आयुक्त पद से हटते ही परमबीर सिंह साहेब ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा. उसमें वे कहते हैं, गृहमंत्री देशमुख ने सचिन वाझे को हर महीने 100 करोड़ रुपए जुटाने का 'टारगेट' दिया था.'

मीडिया और भाजपा पर निशाना
'परमबीर सिंह ने उनके पत्र में और भी बहुत कुछ लिखा है. परमबीर सिंह ऐसा भी कहते हैं कि सांसद डेलकर ने मुंबई में आत्महत्या की, उस प्रकरण में आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का गुनाह दायर करने का दबाव गृहमंत्री डाल रहे थे. इस पर मीडिया के साथ-साथ भाजपा की हाय-तौबा जारी है.'

परमबीर सिंह को राज्य सरकार ने पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया है. अंटालिया विस्फोटक मामले में एपीआई सचिन वाझे एनआईए की हिरासत में हैं. ये पूरा मामला सही ढंग से संभाल नहीं पाए व पुलिस विभाग की बदनामी हुई, ऐसा मानकर सरकार ने पुलिस आयुक्त को पद से हटा दिया.

भाजपा के इशारों पर चल रहे परमबीर सिंह
'सचिन वाझे को हटाकर क्या फायदा? पुलिस आयुक्त को हटाओ', भाजपा की यही मांग थी. अब उसी परमबीर सिंह को भाजपा वाले कंधे पर उठाकर बाराती की तरह मस्त होकर नाच रहे हैं. यह राजनैतिक विरोधाभास है. परमबीर सिंह के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की है इसलिए उनकी भावनाओं का विस्फोट समझ सकते हैं. परंतु सरकारी सेवा में अत्यंत वरिष्ठ पद पर विराजमान व्यक्ति द्वारा ऐसा पत्राचार करना नियमोचित है क्या?

पढ़ें-महाराष्ट्र पर राज्यसभा में हंगामा, जावड़ेकर ने की आपत्तिजनक टिप्पणी

'गृहमंत्री पर आरोप लगानेवाला पत्र मुख्यमंत्री को लिखा जाए और उसे प्रसार माध्यमों तक पहुंचा दिया जाए, यह अनुशासन के तहत उचित नहीं है. परमबीर सिंह निश्चित तौर पर एक धड़ाकेबाज अधिकारी हैं. उन्होंने कई जिम्मेदारियों का बेहतरीन ढंग से निर्वहन किया. सुशांत राजपूत प्रकरण में उनके नेतृत्व में पुलिस ने अच्छी जांच की इसलिए सीबीआई को अंत तक हाथ मलते रहना पड़ा.'

कोरोना काल में बंद थे बार-पब
'परमबीर सिंह का कहना ऐसा है कि गृहमंत्री ने सचिन वाझे को हर महीने सौ करोड़ रुपए जुटाकर देने को कहा था. मुंबई के 1750 बार-पब में से ये पैसे जुटाए जाएं, ऐसा गृहमंत्री का कहना था. परंतु बीते करीब डेढ़ वर्षों में मुंबई-ठाणे के पब-बार कोरोना के कारण बंद ही हैं इसलिए इतना पैसा कहां से एकत्रित होगा, ये सवाल ही है.'

मोहरा हैं परमबीर सिंह
'परमबीर सिंह को थोड़ा संयम रखना चाहिए था. उस पर सरकार को परेशानी में डालने के लिए परमबीर सिंह का कोई इस्तेमाल कर रहा है क्या? ऐसी शंका भी है. असल में जिस सचिन वाझे के कारण ये पूरा तूफान खड़ा हुआ है, उन्हें इतने असीमित अधिकार दिए किसने? सचिन वाझे ने बहुत ज्यादा उधम मचाया. उसे समय पर रोका गया होता तो मुंबई पुलिस आयुक्त पद की प्रतिष्ठा बच गई होती. परंतु इस पूर्व आयुक्त द्वारा कुछ मामलों में अच्छा काम करने के बावजूद वाझे प्रकरण में उनकी बदनामी हुई.'

'कहीं किसी हिस्से में चार मुर्गियां और दो कौवे बिजली के तार से करंट लगने से मर गए तब भी केंद्र सरकार महाराष्ट्र में सीबीआई अथवा एनआईए को भेज सकती है, ऐसा कुल मिलाकर नजर आ रहा है. महाराष्ट्र के संदर्भ में कानून व व्यवस्था आदि ठीक न होने का ठीकरा फोड़ा जाए और राष्ट्रपति शासन का हथौड़ा चलाया जाए, यही महाराष्ट्र के विपक्ष का अंतिम ध्येय नजर आता है और इसके लिए नए प्यादे तैयार किए जा रहे हैं.'

पढ़ें-संजय राउत ने कहा- ...मुश्किल होगा सरकार चलाना, एजेंसियों के दुरुपयोग पर खुद भी जलेंगे

'परमबीर सिंह का इस्तेमाल इसी तरह से किया जा रहा है, यह अब स्पष्ट दिखाई दे रहा है. अर्थात पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने जो आरोपों की धूल उड़ाई है, उसके कारण गृह विभाग की छवि निश्चित ही मलीन हुई है. यह सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है और विपक्ष को बैठे-बैठाए मौका मिल गया है. उसी प्रतिष्ठा पर विपक्ष ने कीचड़ उछाला है. इसमें महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा मलीन हुई, यह विपक्ष भूल गया होगा तो इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहना होगा.'

एनआईए के घेरे में आ सकते हैं परमबीर सिंह
'वाझे पर मनसुख हिरेन की हत्या का आरोप लगा है. एनआईए इस पूरे प्रकरण में परमबीर सिंह को जांच के लिए बुला सकती है, ऐसा कहा जा रहा है. गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अब स्पष्ट कर दिया है कि अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटकों के मामले में, साथ ही मनसुख हिरेन हत्या मामले में सचिन वाझे की भूमिका स्पष्ट हो रही है. इस प्रकरण के तार परमबीर सिंह तक पहुंचेंगे ऐसी आशंका जांच में सामने आने से परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए इस तरह के आरोप लगाए हैं, यह सत्य होगा तो इस पूरे प्रकरण में भाजपा, सरकार को बदनाम करने के लिए परमबीर सिंह का इस्तेमाल कर रही है.'

मुंबई : उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक मिलने से शुरू हुआ मामला उलझता जा रहा है. मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त के विवादित पत्र के बाद से महाराष्ट्र सरकार पर संकट मंडरा रहा है. मामले को लेकर विपक्ष ने महा विकास अघाड़ी को घेर रखा है. इस बीच शिव सेना के मुखपत्र सामना में छपे एक लेख के माध्यम से विपक्ष और परमबीर सिंह पर निशाना साधा गया है.

सामना में छपे लेख में कहा गया है कि, 'मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह भरोसे लायक अधिकारी बिल्कुल नहीं हैं. उन पर विश्वास नहीं रखा जा सकता है, ऐसा मत कल तक भारतीय जनता पार्टी का था परंतु उसी परमबीर सिंह को आज भाजपा सिर पर बैठाकर नाच रही है. पुलिस आयुक्त पद से हटते ही परमबीर सिंह साहेब ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा. उसमें वे कहते हैं, गृहमंत्री देशमुख ने सचिन वाझे को हर महीने 100 करोड़ रुपए जुटाने का 'टारगेट' दिया था.'

मीडिया और भाजपा पर निशाना
'परमबीर सिंह ने उनके पत्र में और भी बहुत कुछ लिखा है. परमबीर सिंह ऐसा भी कहते हैं कि सांसद डेलकर ने मुंबई में आत्महत्या की, उस प्रकरण में आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का गुनाह दायर करने का दबाव गृहमंत्री डाल रहे थे. इस पर मीडिया के साथ-साथ भाजपा की हाय-तौबा जारी है.'

परमबीर सिंह को राज्य सरकार ने पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया है. अंटालिया विस्फोटक मामले में एपीआई सचिन वाझे एनआईए की हिरासत में हैं. ये पूरा मामला सही ढंग से संभाल नहीं पाए व पुलिस विभाग की बदनामी हुई, ऐसा मानकर सरकार ने पुलिस आयुक्त को पद से हटा दिया.

भाजपा के इशारों पर चल रहे परमबीर सिंह
'सचिन वाझे को हटाकर क्या फायदा? पुलिस आयुक्त को हटाओ', भाजपा की यही मांग थी. अब उसी परमबीर सिंह को भाजपा वाले कंधे पर उठाकर बाराती की तरह मस्त होकर नाच रहे हैं. यह राजनैतिक विरोधाभास है. परमबीर सिंह के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की है इसलिए उनकी भावनाओं का विस्फोट समझ सकते हैं. परंतु सरकारी सेवा में अत्यंत वरिष्ठ पद पर विराजमान व्यक्ति द्वारा ऐसा पत्राचार करना नियमोचित है क्या?

पढ़ें-महाराष्ट्र पर राज्यसभा में हंगामा, जावड़ेकर ने की आपत्तिजनक टिप्पणी

'गृहमंत्री पर आरोप लगानेवाला पत्र मुख्यमंत्री को लिखा जाए और उसे प्रसार माध्यमों तक पहुंचा दिया जाए, यह अनुशासन के तहत उचित नहीं है. परमबीर सिंह निश्चित तौर पर एक धड़ाकेबाज अधिकारी हैं. उन्होंने कई जिम्मेदारियों का बेहतरीन ढंग से निर्वहन किया. सुशांत राजपूत प्रकरण में उनके नेतृत्व में पुलिस ने अच्छी जांच की इसलिए सीबीआई को अंत तक हाथ मलते रहना पड़ा.'

कोरोना काल में बंद थे बार-पब
'परमबीर सिंह का कहना ऐसा है कि गृहमंत्री ने सचिन वाझे को हर महीने सौ करोड़ रुपए जुटाकर देने को कहा था. मुंबई के 1750 बार-पब में से ये पैसे जुटाए जाएं, ऐसा गृहमंत्री का कहना था. परंतु बीते करीब डेढ़ वर्षों में मुंबई-ठाणे के पब-बार कोरोना के कारण बंद ही हैं इसलिए इतना पैसा कहां से एकत्रित होगा, ये सवाल ही है.'

मोहरा हैं परमबीर सिंह
'परमबीर सिंह को थोड़ा संयम रखना चाहिए था. उस पर सरकार को परेशानी में डालने के लिए परमबीर सिंह का कोई इस्तेमाल कर रहा है क्या? ऐसी शंका भी है. असल में जिस सचिन वाझे के कारण ये पूरा तूफान खड़ा हुआ है, उन्हें इतने असीमित अधिकार दिए किसने? सचिन वाझे ने बहुत ज्यादा उधम मचाया. उसे समय पर रोका गया होता तो मुंबई पुलिस आयुक्त पद की प्रतिष्ठा बच गई होती. परंतु इस पूर्व आयुक्त द्वारा कुछ मामलों में अच्छा काम करने के बावजूद वाझे प्रकरण में उनकी बदनामी हुई.'

'कहीं किसी हिस्से में चार मुर्गियां और दो कौवे बिजली के तार से करंट लगने से मर गए तब भी केंद्र सरकार महाराष्ट्र में सीबीआई अथवा एनआईए को भेज सकती है, ऐसा कुल मिलाकर नजर आ रहा है. महाराष्ट्र के संदर्भ में कानून व व्यवस्था आदि ठीक न होने का ठीकरा फोड़ा जाए और राष्ट्रपति शासन का हथौड़ा चलाया जाए, यही महाराष्ट्र के विपक्ष का अंतिम ध्येय नजर आता है और इसके लिए नए प्यादे तैयार किए जा रहे हैं.'

पढ़ें-संजय राउत ने कहा- ...मुश्किल होगा सरकार चलाना, एजेंसियों के दुरुपयोग पर खुद भी जलेंगे

'परमबीर सिंह का इस्तेमाल इसी तरह से किया जा रहा है, यह अब स्पष्ट दिखाई दे रहा है. अर्थात पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने जो आरोपों की धूल उड़ाई है, उसके कारण गृह विभाग की छवि निश्चित ही मलीन हुई है. यह सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है और विपक्ष को बैठे-बैठाए मौका मिल गया है. उसी प्रतिष्ठा पर विपक्ष ने कीचड़ उछाला है. इसमें महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा मलीन हुई, यह विपक्ष भूल गया होगा तो इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहना होगा.'

एनआईए के घेरे में आ सकते हैं परमबीर सिंह
'वाझे पर मनसुख हिरेन की हत्या का आरोप लगा है. एनआईए इस पूरे प्रकरण में परमबीर सिंह को जांच के लिए बुला सकती है, ऐसा कहा जा रहा है. गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अब स्पष्ट कर दिया है कि अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटकों के मामले में, साथ ही मनसुख हिरेन हत्या मामले में सचिन वाझे की भूमिका स्पष्ट हो रही है. इस प्रकरण के तार परमबीर सिंह तक पहुंचेंगे ऐसी आशंका जांच में सामने आने से परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए इस तरह के आरोप लगाए हैं, यह सत्य होगा तो इस पूरे प्रकरण में भाजपा, सरकार को बदनाम करने के लिए परमबीर सिंह का इस्तेमाल कर रही है.'

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