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भारत में हथियारों के आयात में रूस का हिस्सा घटकर 2017-21 में 46 प्रतिशत रह गया: रिपोर्ट - एसआईपीआरआई जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी

भारत में हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 2012-17 के 69 प्रतिशत से घटकर 2017-21 में 46 प्रतिशत रह गई (Russia's share in arms imports to India declined ). स्वीडन स्थित थिंक टैंक स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान 'एसआईपीआरआई' द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.

Russia's share in arms imports to India declined to 46 per cent in 2017-21: Report
भारत में हथियारों के आयात में रूस का हिस्सा घटकर 2017-21 में 46 प्रतिशत रह गया: रिपोर्ट
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Published : Mar 16, 2022, 9:46 AM IST

नई दिल्ली: भारत में हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 2012-17 के 69 प्रतिशत से घटकर 2017-21 में 46 प्रतिशत रह गई (Russia's share in arms imports to India declined ). स्वीडन स्थित थिंक टैंक स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान 'एसआईपीआरआई' द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.

रूस ने 24 फरवरी से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू किया, जिसके कारण अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने उस पर अत्यधिक कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. रिपोर्ट में कहा गया, ‘2012-16 और 2017-21 के बीच भारत में हथियारों के आयात में 21 प्रतिशत की कमी आई. इसके बावजूद, भारत 2017-21 में प्रमुख हथियारों का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक रहा और इस अवधि में विश्व में हथियारों के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत रही.'

एसआईपीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012-16 और 2017-21 की अवधि में रूस भारत को प्रमुख हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा, लेकिन भारत में रूसी हथियारों के आयात में इन दो अवधियों के बीच 47 प्रतिशत की गिरावट आई, क्योंकि रूसी हथियारों के लिए कई बड़े कार्यक्रम बंद हो गए. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अपने हथियार आपूर्तिकर्ता आधार में विविधता लाने के भारत के बढ़ते प्रयासों के कारण कुल भारतीय हथियारों के आयात में रूस का हिस्सा 69 प्रतिशत से गिरकर 46 प्रतिशत हो गया. इसके विपरीत, फ्रांस से भारत के हथियारों का आयात दस गुना से अधिक बढ़ गया, जिससे वह 2017–21 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया.

रिपोर्ट के अनुसार, चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरों और स्वदेश में प्रमुख हथियारों के उत्पादन में उल्लेखनीय देरी के कारण भारत के पास हथियारों के आयात के लिए व्यापक योजनाएं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत के हथियारों के आयात में कमी संभवत: इसकी धीमी और जटिल खरीद प्रक्रिया के साथ-साथ आपूर्तिकर्ताओं में बदलाव का एक अस्थायी परिणाम है.' वैश्विक स्तर पर 2012-16 और 2017-21 के बीच रूस के हथियारों के निर्यात में 26 प्रतिशत की गिरावट आई और वैश्विक हथियारों के निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 24 प्रतिशत से घटकर 19 प्रतिशत हो गई. रूस ने 2017-21 में 45 देशों को बड़े हथियार दिए.

ये भी पढ़ें- यूक्रेन से भारतीयों की सुरक्षित निकासी के अभियान में शामिल अधिकारियों से पीएम ने की बात

रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि अमेरिका के विपरीत 2017-21 में रूस का निर्यात चार देशों - भारत, चीन, मिस्र और अल्जीरिया पर अधिक केंद्रित था. इन देशों ने कुल रूसी हथियारों के निर्यात का 73 प्रतिशत प्राप्त किया. एसआईपीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार, ‘2012-16 और 2017-21 के बीच रूसी हथियारों के निर्यात में कुल कमी लगभग पूरी तरह से भारत (-47 प्रतिशत) और वियतनाम (-71 प्रतिशत) को हथियारों के निर्यात में कमी के कारण थी.' पिछले 10 वर्षों में हस्ताक्षरित कई हथियार निर्यात अनुबंध 2021 के अंत तक पूरे हो गए थे, हालांकि कई बड़े रूसी हथियारों की आपूर्ति अब भी लंबित है, इसमें आठ वायु रक्षा प्रणाली, चार जंगी जहाज और एक परमाणु-संचालित पनडुब्बी शामिल हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: भारत में हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 2012-17 के 69 प्रतिशत से घटकर 2017-21 में 46 प्रतिशत रह गई (Russia's share in arms imports to India declined ). स्वीडन स्थित थिंक टैंक स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान 'एसआईपीआरआई' द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.

रूस ने 24 फरवरी से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू किया, जिसके कारण अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने उस पर अत्यधिक कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. रिपोर्ट में कहा गया, ‘2012-16 और 2017-21 के बीच भारत में हथियारों के आयात में 21 प्रतिशत की कमी आई. इसके बावजूद, भारत 2017-21 में प्रमुख हथियारों का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक रहा और इस अवधि में विश्व में हथियारों के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत रही.'

एसआईपीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012-16 और 2017-21 की अवधि में रूस भारत को प्रमुख हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा, लेकिन भारत में रूसी हथियारों के आयात में इन दो अवधियों के बीच 47 प्रतिशत की गिरावट आई, क्योंकि रूसी हथियारों के लिए कई बड़े कार्यक्रम बंद हो गए. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अपने हथियार आपूर्तिकर्ता आधार में विविधता लाने के भारत के बढ़ते प्रयासों के कारण कुल भारतीय हथियारों के आयात में रूस का हिस्सा 69 प्रतिशत से गिरकर 46 प्रतिशत हो गया. इसके विपरीत, फ्रांस से भारत के हथियारों का आयात दस गुना से अधिक बढ़ गया, जिससे वह 2017–21 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया.

रिपोर्ट के अनुसार, चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरों और स्वदेश में प्रमुख हथियारों के उत्पादन में उल्लेखनीय देरी के कारण भारत के पास हथियारों के आयात के लिए व्यापक योजनाएं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत के हथियारों के आयात में कमी संभवत: इसकी धीमी और जटिल खरीद प्रक्रिया के साथ-साथ आपूर्तिकर्ताओं में बदलाव का एक अस्थायी परिणाम है.' वैश्विक स्तर पर 2012-16 और 2017-21 के बीच रूस के हथियारों के निर्यात में 26 प्रतिशत की गिरावट आई और वैश्विक हथियारों के निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 24 प्रतिशत से घटकर 19 प्रतिशत हो गई. रूस ने 2017-21 में 45 देशों को बड़े हथियार दिए.

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रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि अमेरिका के विपरीत 2017-21 में रूस का निर्यात चार देशों - भारत, चीन, मिस्र और अल्जीरिया पर अधिक केंद्रित था. इन देशों ने कुल रूसी हथियारों के निर्यात का 73 प्रतिशत प्राप्त किया. एसआईपीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार, ‘2012-16 और 2017-21 के बीच रूसी हथियारों के निर्यात में कुल कमी लगभग पूरी तरह से भारत (-47 प्रतिशत) और वियतनाम (-71 प्रतिशत) को हथियारों के निर्यात में कमी के कारण थी.' पिछले 10 वर्षों में हस्ताक्षरित कई हथियार निर्यात अनुबंध 2021 के अंत तक पूरे हो गए थे, हालांकि कई बड़े रूसी हथियारों की आपूर्ति अब भी लंबित है, इसमें आठ वायु रक्षा प्रणाली, चार जंगी जहाज और एक परमाणु-संचालित पनडुब्बी शामिल हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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