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रूस से क्रूड ऑयल के खरीद प्रस्ताव पर अमेरिका ने कहा, इतिहास भारत को गलत पक्ष में खड़ा करेगा - यूक्रेन

रूस से क्रूड ऑयल खरीद की खबरों पर अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन ने नाराजगी भरी प्रतिक्रिया दी है. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि इस सौदे से अमेरिकी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं होता है मगर इससे भारत ' इतिहास के गलत पक्ष' की ओर चला जाएगा.

Russian oil deal
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Published : Mar 16, 2022, 11:16 AM IST

वाशिंगटन : यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के बीच भारत की भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी इंडियन ऑयल कॉर्प ने 24 फरवरी को रूस से 30 लाख बैरल क्रूड ऑयल खरीदा है. क्रूड ऑयल की इस खरीद प्रस्ताव पर अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि भारत ने रियायती दर पर रूस से तेल खरीदकर अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं किया है, मगर ऐसे कदम से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र ' इतिहास के गलत पक्ष' की ओर चला जाएगा. बता दें कि अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन ने रूस से ऊर्जा आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है. कच्चे तेल समेत अन्य वस्तुओं को रियायती कीमतों पर खरीदने के लिए भारत की पेशकश पर विचार करने की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर जेन साकी ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन का संदेश देशों के लिए हमारे नियमों का पालन करने के लिए होगा.

जेन साकी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह इसका उल्लंघन होगा, लेकिन यह भी सोचें कि आप कहां खड़े होना चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा कि, जब इस समय इतिहास की किताबें लिखी जा रही हैं, रूसी नेतृत्व के लिए समर्थन विनाशकारी प्रभाव वाले आक्रमण का समर्थन है. बता दें कि भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की है और संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ मतदान से परहेज किया था. अमेरिकी अधिकारियों ने हाल के हफ्तों में कहा है कि वे चाहते हैं कि भारत जितना संभव हो सके रूस से खुद को दूर करे. साथ ही हथियारों और गोला-बारूद से लेकर मिसाइलों और लड़ाकू विमानों तक हर चीज के लिए मास्को पर अपनी भारी निर्भरता को कम करे.

पिछले हफ्ते, रूसी उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने भारतीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी को एक फोन कॉल में बताया कि देश रूसी तेल क्षेत्र में भारतीय निवेश के साथ-साथ भारत में अपने तेल और पेट्रोलियम उत्पाद निर्यात को बढ़ाने का इच्छुक है. पिछले हफ्ते मास्को में जारी रूसी सरकार की विज्ञप्ति में कहा गया था कि भारत को रूस का तेल और पेट्रोलियम उत्पाद निर्यात एक बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया है, और इस आंकड़े को बढ़ाने के स्पष्ट अवसर हैं. रूस के उप प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा था कि रूस शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के विकास में, विशेष रूप से कुडनकुलम में परमाणु ऊर्जा इकाइयों के निर्माण में सहयोग जारी रखने की उम्मीद करता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की सबसे बड़ी रिफाइनर इंडियन ऑयल कॉर्प ने रूस से 30 लाख बैरल क्रूड ऑयल खरीदा है. 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से इस तरह का पहला लेनदेन है. भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है. भारत वर्तमान में अपने तेल का 80 प्रतिशत आयात करता है, लेकिन उनमें से केवल 2 प्रतिशत से 3 प्रतिशत खरीद रूस से आता है.

पढ़ें : पाकिस्तानी संसद हमला मामला : राष्ट्रपति अल्वी, विदेश मंत्री कुरैशी व अन्य बरी

वाशिंगटन : यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के बीच भारत की भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी इंडियन ऑयल कॉर्प ने 24 फरवरी को रूस से 30 लाख बैरल क्रूड ऑयल खरीदा है. क्रूड ऑयल की इस खरीद प्रस्ताव पर अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है. व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि भारत ने रियायती दर पर रूस से तेल खरीदकर अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं किया है, मगर ऐसे कदम से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र ' इतिहास के गलत पक्ष' की ओर चला जाएगा. बता दें कि अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन ने रूस से ऊर्जा आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है. कच्चे तेल समेत अन्य वस्तुओं को रियायती कीमतों पर खरीदने के लिए भारत की पेशकश पर विचार करने की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर जेन साकी ने कहा कि जो बाइडेन प्रशासन का संदेश देशों के लिए हमारे नियमों का पालन करने के लिए होगा.

जेन साकी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह इसका उल्लंघन होगा, लेकिन यह भी सोचें कि आप कहां खड़े होना चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा कि, जब इस समय इतिहास की किताबें लिखी जा रही हैं, रूसी नेतृत्व के लिए समर्थन विनाशकारी प्रभाव वाले आक्रमण का समर्थन है. बता दें कि भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की है और संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ मतदान से परहेज किया था. अमेरिकी अधिकारियों ने हाल के हफ्तों में कहा है कि वे चाहते हैं कि भारत जितना संभव हो सके रूस से खुद को दूर करे. साथ ही हथियारों और गोला-बारूद से लेकर मिसाइलों और लड़ाकू विमानों तक हर चीज के लिए मास्को पर अपनी भारी निर्भरता को कम करे.

पिछले हफ्ते, रूसी उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने भारतीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी को एक फोन कॉल में बताया कि देश रूसी तेल क्षेत्र में भारतीय निवेश के साथ-साथ भारत में अपने तेल और पेट्रोलियम उत्पाद निर्यात को बढ़ाने का इच्छुक है. पिछले हफ्ते मास्को में जारी रूसी सरकार की विज्ञप्ति में कहा गया था कि भारत को रूस का तेल और पेट्रोलियम उत्पाद निर्यात एक बिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच गया है, और इस आंकड़े को बढ़ाने के स्पष्ट अवसर हैं. रूस के उप प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा था कि रूस शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के विकास में, विशेष रूप से कुडनकुलम में परमाणु ऊर्जा इकाइयों के निर्माण में सहयोग जारी रखने की उम्मीद करता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की सबसे बड़ी रिफाइनर इंडियन ऑयल कॉर्प ने रूस से 30 लाख बैरल क्रूड ऑयल खरीदा है. 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से इस तरह का पहला लेनदेन है. भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है. भारत वर्तमान में अपने तेल का 80 प्रतिशत आयात करता है, लेकिन उनमें से केवल 2 प्रतिशत से 3 प्रतिशत खरीद रूस से आता है.

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