नई दिल्ली : राजधानी में भारत-रूस के बीच हुई उच्चस्तरीय बैठक के दौरान रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव और एनएसए अजीत डोभाल ने द्विपक्षीय सहयोग पर विस्तार से चर्चा की.
रूसी दूतावास के अनुसार इस दौरान आतंकवाद विरोधी ट्रैक, अवैध प्रवास और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने पर जोर देने के साथ सुरक्षा में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की गई.
इसके अलावा अफगान समझौते पर बहुपक्षीय प्रारूपों में रूस और भारत के दृष्टिकोणों का समन्वय करने के लिए दोनों देश सहमत हुए. बैठक को प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में टेलीफोन पर हुई बातचीत के परिणाम के रूप में देखा जा रहा है.
रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव पत्रुशेव मंगलवार शाम दिल्ली पहुंचे और एनएसए के साथ बैठक की गई. यह बैठक तालिबान द्वारा उन नेताओं के नामों की घोषणा करने के एक दिन बाद हुई, जो अब अफगानिस्तान पर शासन करेंगे. जिसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी सूची में शामिल व्यक्ति भी शामिल हैं.
तालिबान के सत्ता में आने के साथ ही दुनिया अफगानिस्तान में फैली बड़ी त्रासदी को देख रही है, जिसमें भय और अनिश्चितता व्याप्त है. 'वेट एंड वॉच' की नीति को बनाए रखते हुए भारत, रूस के साथ अफगानिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे की बारीकी से निगरानी कर रहा है.
दोनों देश शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ढांचे और अफगानिस्तान पर इसके कार्य समूह के तहत भी सहयोग कर रहे हैं. यह ध्यान देने योग्य है कि भारत और रूस ने ईरान के साथ 1996-2001 के बीच उत्तरी गठबंधन का समर्थन किया है.
इससे पहले सोमवार को पत्रकारों के एक समूह को संबोधित करते हुए रूसी राजदूत निकोले कुदाशेव ने काबुल के तालिबान अधिग्रहण के बीच अफगानिस्तान से कश्मीर में फैलने वाले आतंकवाद पर चिंता व्यक्त की थी.
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कुदाशेव ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और रूस ने आतंकवाद के बारे में चिंता साझा की और दोहराया कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. रूसी एनएसए, जो राष्ट्रपति पुतिन के सबसे भरोसेमंद सहयोगी हैं, विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करेंगे. साथ ही वे अफगानिस्तान में राजनीतिक, सुरक्षा और मानवीय स्थिति की समीक्षा करेंगे.
गौरतलब है कि अफगान संकट पर जहां भारत ने 'वेट एंड वॉच' की रणनीति अपनाई है, वहीं भारत रूस के साथ मिलकर अफगानिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे पर भी बारीकी से नजर रख रहा है. दोनों देश शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ढांचे और अफगानिस्तान पर इसके कार्य समूह के तहत भी सहयोग कर रहे हैं.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 अगस्त को फोन पर अफगानिस्तान संकट पर चर्चा की थी. पीएम मोदी और पुतिन के बीच बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में शांति तथा स्थिरता की स्थापना पर जोर दिया था, ताकि पूरे क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
इससे पहले अप्रैल में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दिल्ली का दौरा किया था, लेकिन प्रधानमंत्री से मुलाकात नहीं की थी.
पीएम मोदी ने गत तीन सितंबर को ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम के सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत-रूस की दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है. मोदी ने कहा कि भारत की 'एक्ट फॉर ईस्ट' नीति रूस के साथ भारत की 'विशेष और करीबी रणनीतिक साझेदारी' का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
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