नई दिल्ली : रूस दुनिया की सबसे अडवांस S-500 मिसाइल सिस्टम भारत और चीन को बेच सकता है. रशियन फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री-टेक्निकल कोऑपरेशन के डायरेक्टर दमित्री शुगेव ने कहा कि रूसी सशस्त्र बलों के पास इस अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम की पर्याप्त उपलब्धता हो जाने के बाद इसे अन्य देशों को निर्यात किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एस-500 मिसाइल सिस्टम दुनिया की सबसे आधुनिक और ताकतवर एंटी एयर डिफेंस सिस्टम है. यह न केवल स्टील्थ टॉरगेट को डिटेक्ट कर सकता है, बल्कि अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट्स तक को मार गिराने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि भारत इसी मिसाइल सिस्टम की पिछली पीढ़ी के हथियार एस-400 को रूस से खरीद रहा है. रूसी अधिकारियों का दावा है कि इस साल के अंत तक भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की पहली बैच को सुपुर्द कर दिया जाएगा.
एक रूसी-सरकार नियंत्रित समाचार एजेंसी से बात करते हुए शुगेव ने कहा कि हम भारत और चीन समेत उन सभी देशों के बारे में विचार कर रहे हैं, जिसने हमारे पुराने और पारस्परिक संबंध हैं. ये सभी देश भविष्य में एस-500 मिसाइल सिस्टम के मालिक हो सकते हैं. S-500 मिसाइल सिस्टम को रूसी हथियार कंपनी अल्माज-एनेटी कॉर्पोरेशन ने बनाया है. यह वही कंपनी है, जिसने इसके पहले S-300 और S-400 का उत्पादन किया है. दुनिया के सबसे ज्यादा अडवांस माने जाने वाले इस सिस्टम को जल्द ही रूसी सेना में तैनात किया जाएगा.
रूसी सेना के एक अधिकारी ने विस्तार से बताया कि S-500 को मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने के उद्देश्य से विकसित किया गया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि इस एंटी एयरक्राफ्ट और एंटी मिसाइल सिस्टम को पूरी तरह से नई पीढ़ी के हथियार के रूप में विकसित किया गया है. अगर, जरूरी हो तो यह सिस्टम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) को उनके उड़ान पथ के अंतिम चरण में नष्ट कर सकता है. इतना ही नहीं, एस-500 हाइपरसोनिक विमान और मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) को नष्ट करने में सक्षम है.
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हालांकि रूस के हथियार निर्यातक रोसोबोरोनएक्सपर्ट के प्रमुख अलेक्जेंडर मिखेव ने रूसी मीडिया के हवाले से कहा था कि S-500 को 2030 तक वैश्विक बाजार में उतारने की योजना थी. वहीं दिसंबर में भारत और रूस के बीच संभावित द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में कुछ प्रमुख रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है. इस दौरान अगले दशक 2021-2031 के लिए सैन्य तकनीकी सहयोग की भी घोषणा हो सकती है. लेकिन इस दौरान होने वाली वार्ता में S-500 शामिल होगा या नहीं.
रूस में भारत के राजदूत बाला वेंकटेश वर्मा ने एक साक्षात्कार में कहा कि रूस भारत के शीर्ष रक्षा भागीदार के रूप में फिर से वापस आ गया है. उन्होंने कहा कि 2018 में जहां भारत-रूस रक्षा अनुबंध प्रति वर्ष केवल 2-3 अरब डॉलर का था जो अब बढ़कर लगभग 9-10 अरब डॉलर का हो गया है.
एस-500 मिसाइल सिस्टम 600 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मनों की बैलिस्टिक मिसाइलों और लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर विमान को मार सकता है. टेस्टिंग के दौरान इसके जरिये आधुनिक एयरोस्पेस हमले के हथियारों या अधिक उन्नत क्षमताओं वाले तकनीकी विशिष्टताओं से भरे लक्ष्यों पर निशाना साधा गया. साथ ही यह बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों और घुसपैठ करने वाले विमानों को रोकने के अलावा उन्हें नष्ट भी कर सकती है.