नई दिल्ली: रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) ने कहा कि मॉस्को ने भारतीय बैंकों में अरबों रुपये जमा किए हैं. उनकी यह टिप्पणी इस खबर के आने के बाद आई है कि भारत और रूस ने रुपये में द्विपक्षीय व्यापार की बातचीत को निलंबित कर दिया है.
गोवा में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद भारत और रूस के बीच रुपया-रूबल व्यापार वार्ता के निलंबन पर मीडिया के एक प्रश्न के जवाब में सर्गेई लावरोव ने कहा कि 'जहां तक रुपये की बात है, यह एक समस्या है. हमने भारतीय बैंकों में अरबों रुपये जमा किए हैं. हमें इस धन का उपयोग करने की आवश्यकता है लेकिन ऐसा करने के लिए, इन रुपयों को दूसरी मुद्रा में कंवर्ट किया जाना चाहिए, और इस पर अभी चर्चा की जा रही है.'
भारत की जी20 अध्यक्षता पर रूस के दृष्टिकोण और आज दुनिया के सामने मौजूद प्रमुख चुनौतियों के समाधान में इसकी भूमिका के बारे में पूछे जाने पर लावरोव ने कहा, हम इस पर काम कर रहे हैं. हमने भारतीय अध्यक्षता का समर्थन किया. भारतीय अध्यक्षता में पहले ही लगभग 100 कार्यक्रम हो चुके हैं. हम शिखर सम्मेलन के बाद अपना अंतिम मूल्यांकन आपके सामने प्रस्तुत कर सकेंगे, जो जल्द ही आ रहा है.'
विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 4 और 5 मई को भारत के गोवा राज्य के पणजी में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की विदेश मंत्री परिषद की बैठक में भाग लिया. विदेश मंत्रियों ने एससीओ प्रमुखों की राज्य परिषद (एचएससी) की आगामी बैठक के एजेंडे पर चर्चा की, जो 3 और 4 जुलाई को नई दिल्ली में होने वाली है. अन्य बातों के अलावा, उन्होंने मसौदा दस्तावेजों की समीक्षा की. नई दिल्ली घोषणा एससीओ एजेंडे की प्रमुख वस्तुओं के साथ-साथ सामयिक वैश्विक और क्षेत्रीय मामलों में भाग लेने वाले दलों के समेकित दृष्टिकोण को दर्शाएगी.
HSC से जलवायु परिवर्तन, डिजिटल परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा सहित विशिष्ट मुद्दों पर बयान अपनाने की भी उम्मीद है. मंत्रियों ने संगठन की सदस्यता के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया, ईरान को आगामी शिखर सम्मेलन में पूर्ण एससीओ सदस्यता प्रदान किए जाने की उम्मीद है.
बेलारूस को संगठन में स्वीकार करने की प्रक्रियाएं शुरू की जा चुकी हैं और अच्छी तरह से चल रही हैं. बहरीन, कुवैत, म्यांमार, मालदीव और यूएई नए संवाद भागीदारों के रूप में एससीओ के नेतृत्व वाले सहयोग प्रयासों में शामिल होने वाले हैं.
बैठक में प्रमुख क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर विचारों का विस्तृत आदान-प्रदान शामिल था, जिसके दौरान सहभागी मुख्य रूप से संयुक्त राष्ट्र में एससीओ देशों के बीच गहन विदेश नीति समन्वय के महत्व को बताते हुए एकमत थे.
आतंकवाद, उग्रवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी, सीमा पार संगठित अपराध का मुकाबला करने के लिए एससीओ सदस्य देशों ने तात्कालिकता पर विचार करते हुए अफगानिस्तान की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया. सर्गेई लावरोव ने कई द्विपक्षीय बैठकें भी कीं.