भोपाल : सम्राट मिहिर भोज को लेकर दो समुदायों के बीच ग्वालियर से शुरू हुए विवाद की लपटें मुरैना तक पहुंच गई है. सम्राट को अपनी-अपनी जाति और वंश का बताकर गुर्जर और क्षत्रिय आमने-सामने (Gujjar and Kshatriya Face to Face) आ गए हैं. मुरैना में सड़क जाम के बाद नुराबाद और बानमोर थाना क्षेत्र में 12 से अधिक युवकों ने गुरुवार रात को मुरैना और ग्वालियर के बीच चलने वाली बसों में तोड़फोड़ (Buses Vandalized) की. फिलहाल किसी के घायल होने की सूचना नहीं है. यह इलाका गुर्जर बाहुल्य है. वर्ग संघर्ष की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने तीन दिनों तक कोचिंग संस्थान बंद (Coaching Institute Closed) रखने के आदेश देर रात जारी कर दिए हैं.
वहीं शुक्रवार सुबह फिर तोड़ फोड़ का सिलसिला फिर शुरू हो गया. इससे नाराज क्षत्रिय समाज (Kshatriya Samaj) ने पुलिस और प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर सुरक्षा की मांग की है. साथ ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. उधर, कलेक्टर ने एहतियात के तौर पर जिले में धारा-144 लागू कर दी है. वहीं कोचिंग सेंटर और अन्य संस्थानों की छूट्टी करा दी गई है.
शिलालेख में मिहिर भोज को गुर्जर बताया
दरअसल कुछ दिन पहले ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति लगाई गई. इसके बाद ग्वालियर में लगी मुर्ती को लेकर मुरैना में विवाद शुरू हो गया. इस मूर्ति के नीचे लगे शिलालेख में मिहिर भोज को गुर्जर बताया गया. इसी बात को लेकर दोनों वर्गों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है.
जिसके बाद गुरुवार को क्षत्रिय समाज के युवाओं ने मिहिर भोज को राजपूत क्षत्रिय बताते हुए प्रतिमा के साथ छेड़खानी करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग को लेकर एसडीएम को ज्ञापन दिया. वहीं, ऑल इंडिया गुर्जर विकास संगठन के बैनर तले गुर्जर समाज के सैकड़ों लोगों ने देर शाम को एसपी ऑफिस पहुंचकर एएसपी को ज्ञापन दिया. रात होते-होते कई इलाकों में मारपीट और बसों में तोड़फोड़ की खबरें आई. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है.
क्षत्रिय समाज के युवाओं ने किया प्रदर्शन
विवाद को लेकर क्षत्रिय समाज के सैकड़ों युवा गुरुवार को मुरैना शहर की एमएस रोड स्थित संग्रहालय पर एकत्रित हुए. जहां उन्होंने प्रदर्शन किया. जिसके बाद वे रैली के रूप में पुरानी कलेक्ट्रेट पहुंचें. यहां प्रदर्शन करने के बाद उन्होंने एसडीएम के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में मिहिर भोज की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ करने वालों और सोशल मीडिया पर क्षत्रिय समाज के संबंध में भद्दी पोस्ट करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की.
गुर्जर समाज के युवाओं ने किया प्रदर्शन
ऑल इंडिया गुर्जर विकास संगठन के बैनर तले गुर्जर समाज के एक 100 से अधिक लोग प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह हर्षाना रान्सू के नेतृत्व में गुरुवार की देर शाम एसपी ऑफिस पहुंचें. जहां पर सभी लोग पहले परिसर में बैठकर भजन गाने लगे. इसके बाद उन्होंने एएसपी को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में गुर्जर समाज के संतजनों, आराध्यों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने वाले असामाजिक तत्वों के विरुद्ध उचित कार्रवाई किए जाने की मांग की है.
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पुलिस छावनी में बदलेगा मुरैना
मुरैना जिला प्रशासन को इस बात का अंदेशा हो गया है कि वर्ग संघर्ष भड़क सकता है. लिहाजा आनन-फानन में देर शाम जिला प्रशासन ने एक आदेश निकालकर जिले के कोचिंग संस्थानों को तीन दिन के लिए बंद रखने के आदेश जारी कर दिए हैं. दूसरी तरफ शुक्रवार से शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की जा रही है.
ग्वालियर में प्रदरर्शनकारियों पर लगाया जाएगा NSA
कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, SP अमित सांघी ने दोनों जातियों के नेताओं का बुलाकर कहा कि सम्राट मिहिर किसी भी वंश या समुदाय के हों, लेकिन उनको लेकर शहर में माहौल न बिगाड़ा जाए. यदि चेतावनी के बाद भी कोई नहीं मानता है, तो वह NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) और जिलाबदर की कार्रवाई के लिए तैयार रहे. मामला न्यायालय में है और जब तक कोई फैसला नहीं हो जाता है, तब तक किसी भी तरह का विवाद न करें. दोनों पक्षों ने एक दूसरे से गले मिलकर वादा किया है कि वह किसी तरह का कोई विवाद नहीं करेंगे.
वर्गों में बदलने लगी जाति पर छिड़ी जंग
इस विवाद की वजह है कि इसी महीने के दूसरे सप्ताह में ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज की एक मूर्ति लगाई गई थी, इस मूर्ति के नीचे लगे शिलालेख में उन्हें गुर्जर बताया गया है, बस यही बात क्षत्रियों को नागवार गुजरी और इसके विरोध (Gurjar Kshatriya Face to Face) में वो सड़क पर आ गए. अब दो जातियों के बीच छिड़ी इस जंग का दायरा बढ़ता जा रहा है, जोकि अब धीरे-धीरे वर्ग संघर्ष का रूप लेता जा रहा है. जब ये विवाद सुलग रहा था, तभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार यानि 22 सितंबर को ग्रेटर नोएडा के दादरी में गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया था, जिसके बाद इस आग को और हवा मिल गई.
जाति पर गुर्जर-क्षत्रिय के अपने-अपने दावे
हालांकि, सम्राट मिहिर भोज को लेकर हाल में कई विवादित घटनायें घटी हैं, जिनमें इनके गुर्जर या राजपूत होने को लेकर कई जगहों पर विवाद हुआ है, गुर्जर समुदाय के लोगों का दावा है कि मिहिर भोज गुर्जर थे, जबकि राजपूत समुदाय के लोग यह दावा करते हैं कि ये राजपूत क्षत्रिय थे और गुर्जर नाम केवल गुर्जरा देश के एक क्षेत्र के नाम के चलते प्रयोग किया जाता है. इन दोनों ही दावों को लेकर अलग-अलग इतिहासकारों के मतों का प्रमाण हाल में मिला है. वर्तमान में यही मुद्दा दोनों समुदायों के बीच कटुता और संघर्ष का कारण बन गया है.
इस तरह शुरू हुआ जाति पर विवाद
सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के नीचे लगे शिलालेख पर लिखे गुर्जर शब्द पर ही ये विवाद शुरू हुआ है, गुर्जर समाज का मानना है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर शासक थे, जबकि राजपूत समाज का कहना है कि वो प्रतिहार वंश के शासक थे. सम्राट मिहिर भोज के नाम से पहले गुर्जर शब्द लगाने को लेकर ठाकुर समाज के लोगों ने जगह-जगह महापंचायत की थी, जबकि गुरुवार को ही राजपूत करणी सेना ने सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर एतेहासिक तथ्यों को सामने लाने के लिए गौतमबुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई से मिलकर इतिहासकारों की कमेटी गाठित करने की मांग की थी.
'कन्नौज' थी सम्राट मिहिर भोज की राजधानी
सम्राट मिहिर भोज (836-885 ई) या प्रथम भोज, गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के राजा थे, जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से में लगभग 49 वर्षों तक शासन किया, उस वक्त उनकी राजधानी कन्नौज (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) थी. इनके राज्य का विस्तार नर्मदा के उत्तर से लेकर हिमालय की तराई तक था, जबकि पूर्व में वर्तमान पश्चिम बंगाल की सीमा तक माना जाता है. इनके पूर्ववर्ती राजा इनके पिता रामभद्र थे, इनके काल के सिक्कों पर आदिवाराह की उपाधि मिलती है, जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि ये विष्णु के उपासक थे, इनके बाद इनके पुत्र प्रथम महेंद्रपाल राजा बने. ग्वालियर किले के समीप तेली का मंदिर में स्थित मूर्तियां मिहिर भोज द्वारा बनवाया गया था, ऐसा माना जाता है.
ऐहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का पहली बार उल्लेख
ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो प्रतिहार वंश की स्थापना आठवीं शताब्दी में नाग भट्ट ने की थी और गुर्जरों की शाखा से संबंधित होने के कारण इतिहास में इन्हें गुर्जर-प्रतिहार कहा जाता है. इतिहासकार केसी श्रीवास्तव की पुस्तक 'प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति' में लिखा है कि 'इस वंश की प्राचीनता 5वीं शती तक जाती है'. पुलकेशिन द्वितीय के ऐहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का उल्लेख पहली बार हुआ है. हर्षचरित में भी गुर्जरों का उल्लेख है. चीनी यात्री व्हेनसांग ने भी गुर्जर देश का उल्लेख किया है. उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में करीब 300 सालों तक इस वंश का शासन रहा और सम्राट हर्षवर्धन के बाद प्रतिहार शासकों ने ही उत्तर भारत को राजनीतिक एकता प्रदान की थी. मिहिर भोज के ग्वालियर अभिलेख के मुताबिक, नाग भट्ट ने अरबों को सिंध से आगे बढ़ने से रोक दिया था, लेकिन राष्ट्रकूट शासक दंतिदुर्ग से उसे पराजय का सामना करना पड़ा था.
सम्राट मिहिर भोज की जाति पर सियासत
सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर या राजपूत बताए जाने को लेकर जानकारों का कहना है कि इसका इतिहास से मतलब कम, राजनीति से ज्यादा है, मिहिर भोज राजपूत थे या गुर्जर थे, इसमें ऐतिहासिकता कम राजनीति ज्यादा हो रही है. इतिहास तो यही कहता है कि आज के जो गूजर या गुज्जर-गुर्जर हैं, उनका संबंध कहीं न कहीं गुर्जर प्रतिहार वंश से ही रहा है. दूसरी बात, यह गुर्जर-प्रतिहार वंश भी राजपूत वंश ही था. ऐसे में विवाद की बात होनी ही नहीं चाहिए, लेकिन अब लोग कर रहे हैं तो क्या ही कहा जाए.