हैदराबाद : रैनसमवेयर के बारे में वो लोग अच्छी तरह जानते हैं, जो डिजिटल दुनिया से वाकिफ हैं. फिर भी हम आपको आसान भाषा में समझाते हैं कि आखिर रैनसमवेयर क्या है और साथ ही चर्चा करेंगे उन पांच प्रभावी उपायों पर, जिन्हें रैनसमवेयर टास्क फोर्स ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इससे निपटने के लिए सुझाए हैं.
क्या है रैनसमवेयर
दरअसल, रैनसमवेयर का असल मतलब होता है डिजिटली किडनैपिंग. इसमें रैनसमवेयर आपके कंप्यूटर सिस्टम और मोबाइल फोन को तकनीकी कलाबाजियों से अपने अधीन कर लेता है. फिर वह आपसे इस चंगुल से निकालने के लिए फिरौती की मांग करने लगता है. रैनसमवेयर में किडनैपिंग शारीरिक तौर पर नहीं बल्कि तकनीकी तौर पर होती है. इसमें वह मेलवेयर के जरिए आपके सिस्टम में सेंध मारता है. मेलवेयर का काम आपके डेटा को इन्क्रिप्ट करने का होता है. कई आपराधिक संगठन इस हथकंडे को अपने मंसूबे पूरे करने के लिए इस्तेमाल में लाते हैं. चिंता करने वाली बात यह है कि कोरोना महामारी के बीच रैनसमवेयर अटैक का नेटवर्क बड़ गया है और वो लोगों का फायदा उठाकर उनसे फिरौती की मांग कर रहे हैं. इस तरह, रैनसमवेयर अटैक में जान और माल दोनों की हानि का खतरा बराबर होता है.
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रैनसमवेयर अटैक के कुछ ऐसे हैं आंकडे़
- रैनसेमवेयर अटैक के कारण इसका औसत डानउटाइम 21 दिनों का होता है.
- एक व्यवसाय को डिजिटली अटैक से उबरने में 287 दिनों का समय लग जाता है.
- रैनसमवेयर अटैक के जरिए साल 2020 में 350 मिलियन डॉलर की उगाही की गई थी, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 311 फीसदी की वृद्धि हुई.
- 2019 की तुलना में इसके औसत भुगतान में 2020 में 171 फीसदी की वृद्धि हुई.
- साल 2020 में ही तकरीबन 2,400 यूएस आधारित सरकारें, स्वास्थ्य सुविधाएं और स्कूल रैंसमवेयर के शिकार हुए थे.
रैनसमवेयर अटैक से क्या नुकसान उठाने पड़े
2021 यूनिट 42 रैनसमवेयर थ्रेट रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित संगठनों द्वारा भुगतान की गई औसत फिरौती COVID-19 महामारी में दोगुनी से अधिक हुई है, जो पिछले साल 312,493 डॉलर तक पहुंच गई.
रैनसमवेयर अपने कुप्रयास से अस्पताल, शैक्षिक संस्थान और सराकारों के प्रभावी रूप से काम करने में बाधा डालता है और कभी-कभी वह इन संस्थाओं के काम पर पूरी तरह से हफ्तों तक ठप कर देता है.
रैनसमवेयर अटैक होने पर आईटी प्रशासन को डेटा को रिकवर करने और ऑपरेशन को रिस्टोर करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है.
रैनसमवेयर अटैक पर वरिष्ठ नेता गहन आंतरिक विचार-विमर्श करने में जुट जाते हैं और यह बहस करते हैं कि फिरौती का भुगतान करना है या इस निवारण प्रक्रिया के जरिए इससे निजात पानी है.
अस्पताल में रैनसमवेयर अटैक के कारण मरीजों को कीमोथैरपी की खुराक तक पहुंच कम हो जाती है और कई बार ऑपरेशन में भी देरी होती है. इसके कारण कोविड 19 की वैक्सीन की डिलीवरी में समस्या खड़ी हो चुकी है. इससे बच्चे अशिक्षित हो जाते हैं. नगर निगम और क्षेत्रीय सरकारें इस समस्या के चलते मूलभूत सुविधाएं रोक लगा देती हैं.
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रैनसमवेयर अटैक से बचने के पांच कारगर उपाय
इस समस्या से निपटने के लिए 65 व्यवसाय, गैर-लाभकारी और सरकारी संगठन ने मिलकर एक रैनसमवेयर टास्क फोर्स का गठन किया, जिसने रैनसमवेयर अटैक से निजात पाने के लिए निम्नलिखित पांच सुझाव दिए हैं.
- अतंरराष्ट्रीय राजनयिक और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इसे प्राथमिकता देकर एक व्यापक और संसाधन वाली रणनीति का अनुसरण करना चाहिए, जिसमें राष्ट्र राज्यों को रैंसमवेयर संगठनों को सुरक्षा प्रदान करने से रोकने के उपाय शामिल होंगे.
- व्हाइट हाउस को रैनसमवेयर अटैक से निपटने के लिए एक उन आक्रामक, निरंतर और खूफिया ऑपरेशन अभियान के साथ समन्वय करना चाहिए, जो निजी उद्योग और अन्य सरकारों के साथ एकजुट होकर काम कर रहा है.
- सरकारों को साइबर प्रतिक्रिया और रिकवरी फंड बनाने की जरूरत है. ऐसे में व्यवसायों और अन्य संगठनों को फिरौती के भुगतान की रिपोर्ट देना भी आवश्यक होगा. इसके बाद भुगतान करने से पहले संगठन को इसके विकल्पों पर विचार करने का आदेश देने होंगे।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकल और व्यापक रूप से अपनाए गए रैंसमवेयर फ्रेमवर्क को विकसित करने के प्रयासों का समन्वय करना चाहिए, जो संगठनों को रैंसमवेयर हमलों के लिए तैयार करने और प्रतिक्रिया देने में मदद करेगा.
- सरकारों को क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र को अधिक बारीकी से विनियमित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक्सचेंज, कियोस्क और ओवर-द-काउंटर ट्रेडिंग डेस्क उन मौजूदा नियमों का पालन करते हैं, जिसमें नो योअर कस्टमर, एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी कानूनों के वित्तपोषण का मुकाबला करना शामिल हो.