नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध कृषक इकाई भारतीय किसान संघ ने लखीमपुर खीरी में हुई घटना के विरोध में दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी स्मृति पर सांकेतिक धरना प्रदर्शन और मौन रह कर अपना विरोध जताया, लेकिन पूरे प्रकरण पर किसान संघ की राय बाकी किसान संगठनों से अलग है.
जहां एक ओर कृषि कानूनों के विरोध में लामबंद किसान संगठन इसे भाजपा और आरएसएस की साजिश बता रहे हैं, वहीं किसान संघ ने घटना के वीडियो के आधार पर कहा है कि असली किसान कभी हिंसक प्रदर्शन नहीं कर सकते. भारतीय किसान संघ के मुताबिक, घटना में लिप्त लोग किसान नहीं, बल्कि विविध राजनीतिक पार्टियों के थे और वामपंथी तरीकों से घटना को अंजाम दिया गया.
गौरतलब है कि इससे पहले सोमवार को वाम दल सीपीएम से संबद्ध किसान संगठन ऑल इंडिया किसान सभा ने प्रेस कांफ्रेंस कर घटना के लिए आरएसएस और भाजपा कि सुनियोजित साजिश को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि एक योजना के तहत नेता बयान दे रहे हैं और उसके बाद तीन राज्यों में किसानों की हत्या हुई है.
वहीं संघ से संबद्ध किसान संगठन ने घटना के लिये वामपंथी विचारधारा से प्रेरित लोगों को ही जिम्मेदार ठहराया है. भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने सोशल मीडिया पर वीडियो व्यक्तव्य के जरिये घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने एक वीडियो का जिक्रकिया, जिसमें एक शख्स लाठियों से जमीन पर पड़े एक व्यक्ति को पीट रहा है. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश में विरोध प्रदर्शन का यह तरीका कतई उचित नहीं है. प्रदर्शनकारियों को कम से कम दो अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई गई, इसका लिहाज करना चाहिये था.
बद्रीनारायण चौधरी ने कहा कि किसानों की समस्याओं पर आए दिन गांव, तहसील, ब्लॉक और जिला स्तर पर प्रदर्शन होते रहते हैं और संवाद के माध्यम से कुछ समस्याओं का निवारण तत्काल होता है तो कुछ में समय भी लगता है, लेकिन इस तरह की हिंसा जिसमें लाठियों से पीट-पीट कर किसी की हत्या कर दी जाये ऐसा जघन्य कृत्य कभी किसान नहीं कर सकते. किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा है कि किसानों के नाम पर सियासत करने वाले तथाकथित किसान नेताओं का यह कृत्य है, जिसे देश की जनता कभी माफ नहीं करेगी.
यह भी पढ़ें- प्रियंका गांधी गिरफ्तार, शांति भंग करने समेत कई धाराओं में FIR दर्ज
भारतीय किसान संघ इस तरह की आशंका पहले भी व्यक्त करता रहा है कि मंदसौर जैसी घटनाओं को दोहरा कर ये लोग गरीब किसानों को मरवाने का काम कर सकते हैं. इस तरह की घटनाओं में कोई नेता कभी नहीं मरता लेकिन गरीब का परिवार बर्बाद हो जाता है.
विरोध प्रदर्शन और हत्या के दौरान जो तरीके अपनाए गए वो वामपंथी और नक्सलियों के तरीके हैं, जो राष्ट्रविरोधी ताकते हैं. 8 सितंबर को MSP के मुद्दे पर भारतीय किसान संघ ने भी देशव्यापी आंदोलन किया था, जिसके तहत हर जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम था. कुल 513 जिला मुख्यालय पर 97000 किसानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया लेकिन कहीं से भी कोई हिंसा या अप्रिय घटना सामने नहीं आई. 8 सितंबर का आंदोलन सांकेतिक था और भारतीय किसान संघ अपने अगले कदम की घोषणा जल्द करेगा, लेकिन जो घटना लखीमपुर में हुई है वह निंदनीय है.