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आरएसएस की चिंतन बैठक में बड़े बदलावों के साथ तय हुई आगे का रणनीति - बड़े बदलावों के साथ तय हुई आगे का रणनीति

चित्रकूट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की हुई चार दिवसीय चिंतन बैठक में कई बड़े बदलाव किए गए. साथ ही राज्यों के लिए अलग से रणनीति बनाने के साथ ही पश्चिम बंगाल को तीन भागों को बांटने के साथ ही मुस्लिम बस्तियों में भी शाखाएं खोले जाने की बात कही गई. पढ़िए संवाददाता अभिजीत ठाकुर की रिपोर्ट...

आरएसएस की चिंतन बैठक
आरएसएस की चिंतन बैठक
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Published : Jul 13, 2021, 3:20 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने चित्रकूट में आयोजित चार दिवसीय चिंतन बैठक के दौरान न केवल बड़े बदलाव किए बल्कि राज्यों के लिए भी अलग से रणनीति तय की है. आम तौर पर प्रचार प्रसार से दूरी रखने वाले संघ ने अब इस पर पुनर्विचार किया है. संघ के कामों को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए अब सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ाई जाएगी और इसके लिए बाकायदा एक आईटी सेल भी बनाया जाएगा जिसमें पेशेवर लोगों की नियुक्ति होगी. 9 जुलाई को शुरू हुए चिंतन शिविर का समापन मंगलवार को हुआ और इन पांच दिनों में कई नई बातें सामने आई हैं.

राम मंदिर निर्माण से लेकर उत्तर प्रदेश चुनाव और सियासत पर भी हुई चर्चा

हाल में अयोध्या राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निर्माण में जमीन की खरीद पर कई चर्चाएं सामने आईं और विपक्षी पार्टियों ने ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए. बताया जाता है कि इन सभी विषयों पर संघ की न केवल नजर है बल्कि चिंतन शिविर में इस पर चर्चा भी हुई. संघ ने कृष्ण गोपाल और भैयाजी जोशी को तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और विश्व हिन्दू परिषद के साथ समन्वय रखने की जिम्मेदारी दी है.
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए भी रणनीति तैयार कर ली गई है.

संघ न केवल बंद पड़ी शाखाओं को जल्द सक्रिय करेगा बल्कि अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए शाखाओं में बढ़ोतरी भी करेगा. प्रदेश में कोरोना काल में संघ के द्वारा किये राहत कार्यों के बारे में लोग ज्यादा से ज्यादा जाने, इस बात पर भी चर्चा हुई है. संघ अब काम के साथ-साथ प्रचार-प्रसार पर भी पहले से ज्यादा ध्यान देगा.

पश्चिम बंगाल पर विशेष ध्यान, तीन खंड में बांटा गया और संगठन में भी बदलाव

हाल में सम्पन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम पर भी संघ के चिंतन बैठक में विशेष चर्चा हुई. बता दें कि 2014 से ही संघ बंगाल में अपनी पैठ बढ़ाने में जुटा रहा है. पश्चिम बंगाल के हर घर तक पहुंचने का लक्ष्य भी तय किया गया था. संघ ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लगातार प्रयास किये लेकिन इसके बाद भी परिणाम अनुकूल नहीं आए. लेकिन अब तय किया गया है कि संघ और ज्यादा शक्ति के साथ बंगाल में काम करेगा.

इसके लिए पश्चिम बंगाल को तीन भाग में विभाजित किया गया है- दक्षिण, मध्य और उत्तर बंगाल. इनके मुख्यालय क्रमशः कोलकाता, वर्धमान और सिलीगुड़ी होंगे. बंगाल में संगठनात्मक जिम्मेदारियों में भी बदलाव किये गए हैं.

मुस्लिम बस्तियों में भी खोली जाएंगी शाखाएं

आम तौर पर आरएसएस को एक हिन्दूवादी संगठन माना जाता है और इन पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप भी लगते रहते हैं. हालांकि संघ इस बात से इनकार करता रहा है और संघ प्रमुख मोहन भागवत के पिछले कुछ बयानों की बात करें तो उन्होंने मुस्लिम समुदाय से नजदीकी बढ़ाने का प्रयास किया है. अब चिंतन शिविर के बाद यह जानकारी आ रही है कि स्वयं मोहन भागवत ने मुस्लिम बस्तियों में संघ की शाखाएं शुरू करने की बात कही है.

देशव्यापी अभियान चलाकर मुस्लिम बस्तियों में संघ की शाखाएं शुरू करने की कार्ययोजना भी तैयार कर ली गई है. यह एक नया प्रयोग है जिस पर सबकी नजर रहेगी. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के माध्यम से संघ प्रचारक इंद्रेश कुमार अब तक मुस्लिम समुदाय को संघ के करीब लाने का प्रयास करते रहे हैं लेकिन संघ की शाखाओं तक मुस्लिम समुदाय के कितने लोग पहुंचते हैं यह देखने वाली बात होगी.

संगठन में हुए बड़े बदलाव, जिम्मेदारियां तय

चार दिवसीय चिंतन बैठक में जिम्मेदारियों में भी बड़े बदलाव किये गए. सबसे पहले सर कार्यवाह अरुण कुमार को संघ और भाजपा के बीच समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई थी. अब जानकारी आ रही है कि संघ की ओर से विहिप के संपर्क अधिकारी सुरेश भैयाजी जोशी होंगे. वहीं कृष्ण गोपाल अब विद्या भारती के संपर्क अधिकारी होंगे. बंगाल में क्षेत्र प्रचारक रहे प्रदीप जोशी को अब अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख बनाया गया है. बंगाल में उनके रिक्त स्थान को रामपदो पाल भरेंगे. रामपदो पाल ही ओडिशा के क्षेत्र प्रचारक की जिम्मेदारी भी निभाएंगे.

कोरोना की संभावित तीसरी लहर पर भी हुई चर्चा

इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान संघ और उसके सम्बद्ध संगठनों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा और संभावित तीसरी लहर पर भी बैठक में चर्चा हुई है. संघ ने कोरोना महामारी के दौरान किये राहत कार्यों को जारी रखते हुए अपने कार्यकर्ताओं को संभावित तीसरी लहर के लिए भी तैयार रहने के लिए कहा है. संघ अपनी गतिविधियों में और गति लाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने और उनको संघ से जोड़ने का प्रयास करेगा. इसमें सभी जाति, पंथ और सम्प्रदाय के लोग शामिल हों यह भी लक्ष्य तय किया गया है.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने चित्रकूट में आयोजित चार दिवसीय चिंतन बैठक के दौरान न केवल बड़े बदलाव किए बल्कि राज्यों के लिए भी अलग से रणनीति तय की है. आम तौर पर प्रचार प्रसार से दूरी रखने वाले संघ ने अब इस पर पुनर्विचार किया है. संघ के कामों को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए अब सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ाई जाएगी और इसके लिए बाकायदा एक आईटी सेल भी बनाया जाएगा जिसमें पेशेवर लोगों की नियुक्ति होगी. 9 जुलाई को शुरू हुए चिंतन शिविर का समापन मंगलवार को हुआ और इन पांच दिनों में कई नई बातें सामने आई हैं.

राम मंदिर निर्माण से लेकर उत्तर प्रदेश चुनाव और सियासत पर भी हुई चर्चा

हाल में अयोध्या राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निर्माण में जमीन की खरीद पर कई चर्चाएं सामने आईं और विपक्षी पार्टियों ने ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए. बताया जाता है कि इन सभी विषयों पर संघ की न केवल नजर है बल्कि चिंतन शिविर में इस पर चर्चा भी हुई. संघ ने कृष्ण गोपाल और भैयाजी जोशी को तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और विश्व हिन्दू परिषद के साथ समन्वय रखने की जिम्मेदारी दी है.
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए भी रणनीति तैयार कर ली गई है.

संघ न केवल बंद पड़ी शाखाओं को जल्द सक्रिय करेगा बल्कि अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए शाखाओं में बढ़ोतरी भी करेगा. प्रदेश में कोरोना काल में संघ के द्वारा किये राहत कार्यों के बारे में लोग ज्यादा से ज्यादा जाने, इस बात पर भी चर्चा हुई है. संघ अब काम के साथ-साथ प्रचार-प्रसार पर भी पहले से ज्यादा ध्यान देगा.

पश्चिम बंगाल पर विशेष ध्यान, तीन खंड में बांटा गया और संगठन में भी बदलाव

हाल में सम्पन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम पर भी संघ के चिंतन बैठक में विशेष चर्चा हुई. बता दें कि 2014 से ही संघ बंगाल में अपनी पैठ बढ़ाने में जुटा रहा है. पश्चिम बंगाल के हर घर तक पहुंचने का लक्ष्य भी तय किया गया था. संघ ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लगातार प्रयास किये लेकिन इसके बाद भी परिणाम अनुकूल नहीं आए. लेकिन अब तय किया गया है कि संघ और ज्यादा शक्ति के साथ बंगाल में काम करेगा.

इसके लिए पश्चिम बंगाल को तीन भाग में विभाजित किया गया है- दक्षिण, मध्य और उत्तर बंगाल. इनके मुख्यालय क्रमशः कोलकाता, वर्धमान और सिलीगुड़ी होंगे. बंगाल में संगठनात्मक जिम्मेदारियों में भी बदलाव किये गए हैं.

मुस्लिम बस्तियों में भी खोली जाएंगी शाखाएं

आम तौर पर आरएसएस को एक हिन्दूवादी संगठन माना जाता है और इन पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप भी लगते रहते हैं. हालांकि संघ इस बात से इनकार करता रहा है और संघ प्रमुख मोहन भागवत के पिछले कुछ बयानों की बात करें तो उन्होंने मुस्लिम समुदाय से नजदीकी बढ़ाने का प्रयास किया है. अब चिंतन शिविर के बाद यह जानकारी आ रही है कि स्वयं मोहन भागवत ने मुस्लिम बस्तियों में संघ की शाखाएं शुरू करने की बात कही है.

देशव्यापी अभियान चलाकर मुस्लिम बस्तियों में संघ की शाखाएं शुरू करने की कार्ययोजना भी तैयार कर ली गई है. यह एक नया प्रयोग है जिस पर सबकी नजर रहेगी. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के माध्यम से संघ प्रचारक इंद्रेश कुमार अब तक मुस्लिम समुदाय को संघ के करीब लाने का प्रयास करते रहे हैं लेकिन संघ की शाखाओं तक मुस्लिम समुदाय के कितने लोग पहुंचते हैं यह देखने वाली बात होगी.

संगठन में हुए बड़े बदलाव, जिम्मेदारियां तय

चार दिवसीय चिंतन बैठक में जिम्मेदारियों में भी बड़े बदलाव किये गए. सबसे पहले सर कार्यवाह अरुण कुमार को संघ और भाजपा के बीच समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई थी. अब जानकारी आ रही है कि संघ की ओर से विहिप के संपर्क अधिकारी सुरेश भैयाजी जोशी होंगे. वहीं कृष्ण गोपाल अब विद्या भारती के संपर्क अधिकारी होंगे. बंगाल में क्षेत्र प्रचारक रहे प्रदीप जोशी को अब अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख बनाया गया है. बंगाल में उनके रिक्त स्थान को रामपदो पाल भरेंगे. रामपदो पाल ही ओडिशा के क्षेत्र प्रचारक की जिम्मेदारी भी निभाएंगे.

कोरोना की संभावित तीसरी लहर पर भी हुई चर्चा

इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान संघ और उसके सम्बद्ध संगठनों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा और संभावित तीसरी लहर पर भी बैठक में चर्चा हुई है. संघ ने कोरोना महामारी के दौरान किये राहत कार्यों को जारी रखते हुए अपने कार्यकर्ताओं को संभावित तीसरी लहर के लिए भी तैयार रहने के लिए कहा है. संघ अपनी गतिविधियों में और गति लाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने और उनको संघ से जोड़ने का प्रयास करेगा. इसमें सभी जाति, पंथ और सम्प्रदाय के लोग शामिल हों यह भी लक्ष्य तय किया गया है.

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