ETV Bharat / bharat

RSS से जुड़े BMS ने लिखा उप राष्ट्रपति को पत्र, लेबर कोड में संशोधन की मांग

आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (RSS affiliated Bharatiya Mazdoor Sangh) ने उपराष्ट्रपति को पत्र लिखकर श्रम संहिताओं में संशोधन की मांग की है. आरएसएस से संबद्ध ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ ने श्रम संहिता में संशोधन की मांग (Demand for amendment in labor code) उठाई है.

BMS
भारतीय मजदूर संघ
author img

By

Published : Feb 12, 2022, 8:33 PM IST

नई दिल्ली : आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (RSS affiliated Bharatiya Mazdoor Sangh) ने उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर लेबर कोड में संशोधन की मांग की है. साथ ही इस मामले में उनके हस्तक्षेप की मांग की है. सरकार द्वारा वर्ष 2019 में 44 केंद्रीय कोडों को युक्ति संगत बनाने के लिए चार श्रम कोड प्रस्तावित किए गए थे. ये वेतन कोड, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति कोड, सामाजिक सुरक्षा कोड और औद्योगिक संबंध कोड हैं.

2020 में पारित होने के बाद यह कोड अप्रैल 2021 तक लागू होने वाले थे लेकिन किसी न किसी कारण से इसमें लगातार देरी हो रही है. इसमें प्रमुख कारणों में से एक यह है कि श्रम समवर्ती सूची में आता है, इस प्रकार राज्य और केंद्र दोनों को कोड के तहत नियमों को अधिसूचित करना पड़ता है, ताकि उन्हें परिवर्तित और कानूनों के रूप में लागू किया जा सके.

वर्तमान जानकारी के अनुसार कुछ राज्यों ने अभी तक कोड के तहत नियमों को अधिसूचित नहीं किया है. दूसरा कारण ट्रेड यूनियनों का विरोध है. वाम समर्थित केंद्रीय ट्रेड यूनियनें जब से प्रस्तावित की गई हैं, तब से वे नए श्रम संहिताओं के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के समूह जिसमें सीटू, इंटक, एटक जैसी यूनियनें शामिल हैं, ने भी संसद के बजट सत्र के दौरान इन श्रम संहिताओं के खिलाफ दो दिनों की आम हड़ताल का आह्वान किया है.

यह भी पढ़ें- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ 70 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं

सीटू के तहत संघ इन संहिताओं को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. उच्च प्रतिरोध और प्रस्तावित कोड के खिलाफ विरोध के बीच सरकार को आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ का समर्थन है. भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बिनॉय कुमार सिन्हा ने कहा कि बीएमएस को भी चार संहिताओं के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है. हालांकि श्रम निकाय केवल संशोधन की मांग कर रहा है, न कि संहिताओं को पूर्ण रूप से निरस्त करने की. श्रम कानूनों का संहिताकरण और सरलीकरण विभिन्न ट्रेड यूनियनों की लंबे समय से लंबित मांग थी. संहिताओं में कई प्रावधान हैं जो श्रमिकों के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन कुछ प्रावधान हैं जो श्रमिकों के खिलाफ हैं.

नई दिल्ली : आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (RSS affiliated Bharatiya Mazdoor Sangh) ने उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर लेबर कोड में संशोधन की मांग की है. साथ ही इस मामले में उनके हस्तक्षेप की मांग की है. सरकार द्वारा वर्ष 2019 में 44 केंद्रीय कोडों को युक्ति संगत बनाने के लिए चार श्रम कोड प्रस्तावित किए गए थे. ये वेतन कोड, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति कोड, सामाजिक सुरक्षा कोड और औद्योगिक संबंध कोड हैं.

2020 में पारित होने के बाद यह कोड अप्रैल 2021 तक लागू होने वाले थे लेकिन किसी न किसी कारण से इसमें लगातार देरी हो रही है. इसमें प्रमुख कारणों में से एक यह है कि श्रम समवर्ती सूची में आता है, इस प्रकार राज्य और केंद्र दोनों को कोड के तहत नियमों को अधिसूचित करना पड़ता है, ताकि उन्हें परिवर्तित और कानूनों के रूप में लागू किया जा सके.

वर्तमान जानकारी के अनुसार कुछ राज्यों ने अभी तक कोड के तहत नियमों को अधिसूचित नहीं किया है. दूसरा कारण ट्रेड यूनियनों का विरोध है. वाम समर्थित केंद्रीय ट्रेड यूनियनें जब से प्रस्तावित की गई हैं, तब से वे नए श्रम संहिताओं के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के समूह जिसमें सीटू, इंटक, एटक जैसी यूनियनें शामिल हैं, ने भी संसद के बजट सत्र के दौरान इन श्रम संहिताओं के खिलाफ दो दिनों की आम हड़ताल का आह्वान किया है.

यह भी पढ़ें- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ 70 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं

सीटू के तहत संघ इन संहिताओं को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. उच्च प्रतिरोध और प्रस्तावित कोड के खिलाफ विरोध के बीच सरकार को आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ का समर्थन है. भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बिनॉय कुमार सिन्हा ने कहा कि बीएमएस को भी चार संहिताओं के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है. हालांकि श्रम निकाय केवल संशोधन की मांग कर रहा है, न कि संहिताओं को पूर्ण रूप से निरस्त करने की. श्रम कानूनों का संहिताकरण और सरलीकरण विभिन्न ट्रेड यूनियनों की लंबे समय से लंबित मांग थी. संहिताओं में कई प्रावधान हैं जो श्रमिकों के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन कुछ प्रावधान हैं जो श्रमिकों के खिलाफ हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.