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भारत-चीन गतिरोध : 13वें दौर की लद्दाख वार्ता बेनतीजा, सर्दियों में सैन्य तैनाती पर निगाहें

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Published : Oct 11, 2021, 10:07 AM IST

Updated : Oct 11, 2021, 3:06 PM IST

लद्दाख में भारत-चीन कमांडर-स्तरीय वार्ता के 13वें दौर में वांछित परिणाम नहीं मिले हैं. फिर भी दोनों पक्ष आपस में वार्ता जारी रखने के साथ स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए हैं. इस वजह से दोनों देशों की सेनाओं के दुनिया के सबसे कठिन क्षेत्रों में शामिल लद्दाख में तैनात रहेगी. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

भारत-चीन
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नई दिल्ली : भारतीय सेना ने सोमवार को कहा कि चीन की सेना के साथ रविवार को हुई 13वें दौर की वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों का कोई समाधान नहीं निकल पाया है. भारतीय सेना ने कहा कि वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव दिए, लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं लगा और वह आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव भी नहीं दे सका. फिर भी दोनों पक्ष आपस में वार्ता जारी रखने के साथ स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए हैं. इस वजह से दोनों देशों की सेनाओं के दुनिया के सबसे कठिन क्षेत्रों में शामिल लद्दाख में तैनात रहेगी.

13वें दौर की वार्ता लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चूशुल-मोल्दो सीमा क्षेत्र में चीन की तरफ रविवार को हुई. भारतीय और चीन के बीच कमांडर-स्तरीय वार्ता लगभग आठ घंटे तक चली. बैठक में बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका हालांकि इससे पहले दोनों देशों के बातचीत 16 घंटे तक भी चल चुकी है. दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच सीमा पर गतिरोध जारी रहा.

हालांकि वार्ता दोनों पक्षों के बीच चर्चा पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के समाधान पर केंद्रित थी. बैठक के दौरान, भारतीय पक्ष ने शेष क्षेत्रों को हल करने के लिए रचनात्मक सुझाव दिए लेकिन चीनी पक्ष सहमत नहीं था और कोई दूरदर्शी प्रस्ताव भी नहीं दे सका. इस प्रकार बैठक से शेष क्षेत्रों का समाधान नहीं निकला. भारत ने उम्मीद जताई है कि चीनी पक्ष द्विपक्षीय संबंधों के समग्र परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखेगा और शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान की दिशा में काम करेगा. रविवार को आठ घंटे तक शाम 7 बजे तक चली बैठक के बाद आज सोमवार को आधिकारिक बयान आया है.

इस संबंध में पीएलए वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल लॉन्ग शाओहुआ ने एक बयान में भारतीय पक्ष पर अनुचित और अवास्तविक मांगें करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इस वजह से बातचीत और अधिक कठिन हो गई. उन्होंने भारत से स्थिति को गलत तरीके से न समझने का अनुरोध किया. कर्नल लॉन्ग ने चीन-भारत सीमा क्षेत्रों में दोनों देशों और दोनों सेनाओं के बीच प्रासंगिक समझौतों और आम सहमति का पालन करने की बात कही.

ये भी पढ़ें - भारत-चीन वार्ता : 8 घंटे चली 13वें दौर की कमांडर स्तर बातचीत, सैन्य गतिरोध समाधान पर चर्चा

वहीं वार्ता से एक दिन पहले शनिवार को, भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने बड़े पैमाने पर निर्माण और चीनी पक्ष में बुनियादी ढांचे के विकास की समान मात्रा पर चिंता व्यक्त की थी. थल सेनाध्यक्ष ने कहा था कि अगर चीनी सेना अपनी तैनाती जारी रखती है, तो भारतीय सेना भी अपनी तरफ अपनी मौजूदगी बनाए रखेगी जो 'पीएलए के समान ही है.'

नवीनतम घटनाक्रमों में चीन मध्य और पूर्वी क्षेत्र में कम से कम दो जगहों पर उसने घुसपैठ की. इसमें एक उत्तराखंड के चमोली जिले के बाराहोटी में 30 अगस्त, 2021 को लगभग 55 घोड़ों के साथ करीब 100 पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक भारतीय सीमा में 5 किमी अंदर तक आ गए थे. हालांकि इस क्षेत्र में ऐसी घटनाएं आम हैं, लेकिन इसमें शामिल सैनिकों की संख्या ने भारतीय पक्ष को आश्चर्यचकित कर दिया था. दूसरी घटना 28 सितंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में मैकमोहन लाइन पर यांग्त्से के पास हुई, जब दोनों पक्षों के गश्ती दलों के बीच आमना-सामना हुआ. इसमें बताया गया कि दोनों गश्ती दलों के बीच भिड़ंत हो गई थी, लेकिन बाद में किसी सैनिक के घायल होने की बात कही गई. वहीं भारतीय सेना ने इसे सामान्य बताते हुए कहा कि चीन के द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ द्विपक्षीय समझौते के खिलाफ है.

भारत की चीन से लगी सीमा पश्चिम से पूर्व तक लगभग 3,488 किलोमीटर तक फैली हुई है. इसमें भारत-चीन सीमा हिमालय पर दुनिया के सबसे कठिन और चरम इलाकों में से एक है. वहीं भारत-चीन सीमा लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से लगी हुई है. सीमा की समस्या इसलिए भी जटिल है क्योंकि दोनों देशों की सीमा का औपचारिक रूप से सीमांकन नहीं किया गया है, जिसकी वजह सेदोनों देशों के बीच की सीमा को लेकर मतभेद रहते हैं.

इससे पहले अप्रैल-मई 2020 में शुरू हुआ जब दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर और उत्तरी सिक्किम में एक और सीमा पर विवाद हुआ और फिर 15 जून, 2020 को दोनों पक्षों के बीच एक और हिंसक लड़ाई में कम से कम 24 सैनिकों की मौत हो गई थी. इसके बाद बड़ी संख्या में सैनिकों और युद्ध साजो सामान की तैनाती से सीमा क्षेत्र को एक अत्यधिक सैन्यीकृत क्षेत्र बना दिया है. रविवार के 13वें दौर की वार्ता से पहले 31 जुलाई, 9 अप्रैल, 6 जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई, 2 अगस्त, 21 सितंबर, 12 अक्टूबर, 6 नवंबर, 24 जनवरी और 20 फरवरी को दोनों देशों के बीच बातचीत हो चुकी है. हालांकि 13वें दौर की वार्ता में भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर ने किया था जबकि पीएलए का नेतृत्व पीएलए के दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर ने किया था. इस दौरान वरिष्ठ राजनयिक, सीमा सुरक्षा अधिकारी और स्थानीय अधिकारी भी मौजूद थे.

नई दिल्ली : भारतीय सेना ने सोमवार को कहा कि चीन की सेना के साथ रविवार को हुई 13वें दौर की वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों का कोई समाधान नहीं निकल पाया है. भारतीय सेना ने कहा कि वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव दिए, लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं लगा और वह आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव भी नहीं दे सका. फिर भी दोनों पक्ष आपस में वार्ता जारी रखने के साथ स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए हैं. इस वजह से दोनों देशों की सेनाओं के दुनिया के सबसे कठिन क्षेत्रों में शामिल लद्दाख में तैनात रहेगी.

13वें दौर की वार्ता लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चूशुल-मोल्दो सीमा क्षेत्र में चीन की तरफ रविवार को हुई. भारतीय और चीन के बीच कमांडर-स्तरीय वार्ता लगभग आठ घंटे तक चली. बैठक में बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका हालांकि इससे पहले दोनों देशों के बातचीत 16 घंटे तक भी चल चुकी है. दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच सीमा पर गतिरोध जारी रहा.

हालांकि वार्ता दोनों पक्षों के बीच चर्चा पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के समाधान पर केंद्रित थी. बैठक के दौरान, भारतीय पक्ष ने शेष क्षेत्रों को हल करने के लिए रचनात्मक सुझाव दिए लेकिन चीनी पक्ष सहमत नहीं था और कोई दूरदर्शी प्रस्ताव भी नहीं दे सका. इस प्रकार बैठक से शेष क्षेत्रों का समाधान नहीं निकला. भारत ने उम्मीद जताई है कि चीनी पक्ष द्विपक्षीय संबंधों के समग्र परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखेगा और शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान की दिशा में काम करेगा. रविवार को आठ घंटे तक शाम 7 बजे तक चली बैठक के बाद आज सोमवार को आधिकारिक बयान आया है.

इस संबंध में पीएलए वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल लॉन्ग शाओहुआ ने एक बयान में भारतीय पक्ष पर अनुचित और अवास्तविक मांगें करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इस वजह से बातचीत और अधिक कठिन हो गई. उन्होंने भारत से स्थिति को गलत तरीके से न समझने का अनुरोध किया. कर्नल लॉन्ग ने चीन-भारत सीमा क्षेत्रों में दोनों देशों और दोनों सेनाओं के बीच प्रासंगिक समझौतों और आम सहमति का पालन करने की बात कही.

ये भी पढ़ें - भारत-चीन वार्ता : 8 घंटे चली 13वें दौर की कमांडर स्तर बातचीत, सैन्य गतिरोध समाधान पर चर्चा

वहीं वार्ता से एक दिन पहले शनिवार को, भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने बड़े पैमाने पर निर्माण और चीनी पक्ष में बुनियादी ढांचे के विकास की समान मात्रा पर चिंता व्यक्त की थी. थल सेनाध्यक्ष ने कहा था कि अगर चीनी सेना अपनी तैनाती जारी रखती है, तो भारतीय सेना भी अपनी तरफ अपनी मौजूदगी बनाए रखेगी जो 'पीएलए के समान ही है.'

नवीनतम घटनाक्रमों में चीन मध्य और पूर्वी क्षेत्र में कम से कम दो जगहों पर उसने घुसपैठ की. इसमें एक उत्तराखंड के चमोली जिले के बाराहोटी में 30 अगस्त, 2021 को लगभग 55 घोड़ों के साथ करीब 100 पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक भारतीय सीमा में 5 किमी अंदर तक आ गए थे. हालांकि इस क्षेत्र में ऐसी घटनाएं आम हैं, लेकिन इसमें शामिल सैनिकों की संख्या ने भारतीय पक्ष को आश्चर्यचकित कर दिया था. दूसरी घटना 28 सितंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में मैकमोहन लाइन पर यांग्त्से के पास हुई, जब दोनों पक्षों के गश्ती दलों के बीच आमना-सामना हुआ. इसमें बताया गया कि दोनों गश्ती दलों के बीच भिड़ंत हो गई थी, लेकिन बाद में किसी सैनिक के घायल होने की बात कही गई. वहीं भारतीय सेना ने इसे सामान्य बताते हुए कहा कि चीन के द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ द्विपक्षीय समझौते के खिलाफ है.

भारत की चीन से लगी सीमा पश्चिम से पूर्व तक लगभग 3,488 किलोमीटर तक फैली हुई है. इसमें भारत-चीन सीमा हिमालय पर दुनिया के सबसे कठिन और चरम इलाकों में से एक है. वहीं भारत-चीन सीमा लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से लगी हुई है. सीमा की समस्या इसलिए भी जटिल है क्योंकि दोनों देशों की सीमा का औपचारिक रूप से सीमांकन नहीं किया गया है, जिसकी वजह सेदोनों देशों के बीच की सीमा को लेकर मतभेद रहते हैं.

इससे पहले अप्रैल-मई 2020 में शुरू हुआ जब दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर और उत्तरी सिक्किम में एक और सीमा पर विवाद हुआ और फिर 15 जून, 2020 को दोनों पक्षों के बीच एक और हिंसक लड़ाई में कम से कम 24 सैनिकों की मौत हो गई थी. इसके बाद बड़ी संख्या में सैनिकों और युद्ध साजो सामान की तैनाती से सीमा क्षेत्र को एक अत्यधिक सैन्यीकृत क्षेत्र बना दिया है. रविवार के 13वें दौर की वार्ता से पहले 31 जुलाई, 9 अप्रैल, 6 जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई, 2 अगस्त, 21 सितंबर, 12 अक्टूबर, 6 नवंबर, 24 जनवरी और 20 फरवरी को दोनों देशों के बीच बातचीत हो चुकी है. हालांकि 13वें दौर की वार्ता में भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर ने किया था जबकि पीएलए का नेतृत्व पीएलए के दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर ने किया था. इस दौरान वरिष्ठ राजनयिक, सीमा सुरक्षा अधिकारी और स्थानीय अधिकारी भी मौजूद थे.

Last Updated : Oct 11, 2021, 3:06 PM IST
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