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आरएन रवि ने नगा शांति वार्ता के वार्ताकार पद से दिया इस्तीफा, जानें क्यों?

तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने नगा शांति वार्ता के वार्ताकार पद से बुधवार को त्यागपत्र दे दिया और उसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया है. गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी.

RN Ravi
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Published : Sep 22, 2021, 10:48 PM IST

नई दिल्ली : तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने नगा शांति वार्ता के वार्ताकार पद से त्यागपत्र दे दिया है. आरएन रवि 2014 से ही नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन-आईएम के साथ शांति वार्ता कर रहे थे.

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि नगा शांति प्रक्रिया के वार्ताकार के रूप में आरएन रवि का त्यागपत्र उनके द्वारा आज सौंपा गया जिसे भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है. रवि को जुलाई 2019 में नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और वह केंद्र सरकार की ओर से वार्ताकार की भूमिका भी निभा रहे थे. एनएससीएन -आईएम ने उनपर शांति वार्ता में अड़ंगा लगाने का आरोप लगाते हुए पिछले साल से उनसे वार्ता करने से इनकार कर दिया था.

इस माह के प्रारंभ में रवि का तमिलनाडु के राज्यपाल के तौर पर तबादला कर दिया गया. केंद्र सरकार ने पहले ही खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को नगा संगठनों के साथ शांति वार्ता में लगा दिया है. मिश्रा नगा विद्रोही संगठनों के साथ वार्ता बहाल कर चुके हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा और नगालैंड के उनके समकक्ष नीफू रियो ने मंगलवार का एनएससीएन-आईएम टी मुइवा के साथ बैठक की थी.

रवि ने अंतिम विवाद समाधान की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में तीन अगस्त 2015 को मुइवा के साथ प्रारूप समझौते पर दस्तखत किए थे. इस समझौते से पहले 18 सालों तक 80 दौर की वार्ता हुई थी और 1997 में पहली सफलता तब मिली जब नगालैंड में दशकों के उग्रवाद के बाद संघर्षविराम समझौता हुआ.

यह भी पढ़ें- ग्लोबल कोविड-19 समिट : पीएम बोले, 20 करोड़ से अधिक भारतीयों को लगी वैक्सीन, दुनिया को परिवार मानता है भारत

लेकिन शांति वार्ता पर प्रगति नहीं हुई क्योंकि नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड- इसाक मुइवा (एनएससीएन)-आईएम ने नगालैंड के लिए पृथक झंडे एवं संविधान की मांग की. केंद्र ने यह मांग ठुकरा दी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने नगा शांति वार्ता के वार्ताकार पद से त्यागपत्र दे दिया है. आरएन रवि 2014 से ही नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन-आईएम के साथ शांति वार्ता कर रहे थे.

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि नगा शांति प्रक्रिया के वार्ताकार के रूप में आरएन रवि का त्यागपत्र उनके द्वारा आज सौंपा गया जिसे भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है. रवि को जुलाई 2019 में नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और वह केंद्र सरकार की ओर से वार्ताकार की भूमिका भी निभा रहे थे. एनएससीएन -आईएम ने उनपर शांति वार्ता में अड़ंगा लगाने का आरोप लगाते हुए पिछले साल से उनसे वार्ता करने से इनकार कर दिया था.

इस माह के प्रारंभ में रवि का तमिलनाडु के राज्यपाल के तौर पर तबादला कर दिया गया. केंद्र सरकार ने पहले ही खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को नगा संगठनों के साथ शांति वार्ता में लगा दिया है. मिश्रा नगा विद्रोही संगठनों के साथ वार्ता बहाल कर चुके हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा और नगालैंड के उनके समकक्ष नीफू रियो ने मंगलवार का एनएससीएन-आईएम टी मुइवा के साथ बैठक की थी.

रवि ने अंतिम विवाद समाधान की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में तीन अगस्त 2015 को मुइवा के साथ प्रारूप समझौते पर दस्तखत किए थे. इस समझौते से पहले 18 सालों तक 80 दौर की वार्ता हुई थी और 1997 में पहली सफलता तब मिली जब नगालैंड में दशकों के उग्रवाद के बाद संघर्षविराम समझौता हुआ.

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लेकिन शांति वार्ता पर प्रगति नहीं हुई क्योंकि नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड- इसाक मुइवा (एनएससीएन)-आईएम ने नगालैंड के लिए पृथक झंडे एवं संविधान की मांग की. केंद्र ने यह मांग ठुकरा दी.

(पीटीआई-भाषा)

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