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बिहार में शेर...बाहर ढेर! RJD को युवा नेतृत्व पर भरोसा काहे नइखे? - यूपी चुनाव

देश के 26 राज्यों में संगठन होने का दावा करने वाले राष्ट्रीय जनता दल को लेकर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. एक समय राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त आरजेडी ने बिहार-झारखंड के अलावा किसी दूसरे राज्य में पिछले कई सालों से अपनी प्रभावी राजनीति नहीं दिखाई है. पढ़ें पूरी खबर...

राष्ट्रीय जनता दल
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Published : Jul 22, 2021, 2:55 AM IST

पटना: लालू यादव ( Lalu Yadav ) की पार्टी आरजेडी ( RJD ) दावा करती है कि 26 राज्यों में संगठन है. कभी आरजेडी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त था, लेकिन आज बिहार-झारखंड ( Bihar-Jharkhand ) के अलावा किसी दूसरे राज्य में पिछले कई सालों से अपनी प्रभावी राजनीति नहीं दिखाई है.

हाल में संपन्न पश्चिम बंगाल चुनाव में भी आरजेडी ने खुद को किनारा कर लिया और अब यूपी चुनाव में भी शामिल होने के आसार कम नजर आ रहे हैं. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि आरजेडी अपने युवा नेतृत्व को लेकर आशंकित तो नहीं है.

ये भी पढ़ें- Karnataka Politics: येदियुरप्पा के उत्तराधिकारी के लिए कहीं इस फार्मूले पर तो नहीं चल रही BJP ?

पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता चितरंजन गगन बताते हैं कि राष्ट्रीय जनता दल को वर्ष 2004 से करीब 6 वर्षों तक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में चुनाव आयोग से दर्जा प्राप्त था. हालांकि बाद के वर्षों में बिहार के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी पार्टी कमजोर होती गई. हाल के वर्षों में राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार-झारखंड के अलावा असम और दिल्ली में चुनाव लड़ा है लेकिन वर्तमान समय में सिर्फ बिहार और झारखंड में पार्टी का एक्टिव संगठन दिखाई दे रहा है.

देखें वीडियो

चितरंजन गगन ने बताया कि केरल, पांडिचेरी, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के पार्टी संगठन के नेता चुनाव लड़ने के लिए बार-बार पार्टी नेतृत्व से आग्रह कर रहे हैं लेकिन अब तक आखरी फैसला नहीं हुआ है.

वहीं, जेडीयू नेता अभिषेक झा ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल सिर्फ परिवार के चंद लोगों के द्वारा चलाई जाने वाली पार्टी है. विधानसभा चुनाव में अगर वह नंबर वन पार्टी बनी तो उसके पीछे उनका अपना कोई जनाधार नहीं बल्कि लोजपा थी. अगर लोजपा ने अकेले चुनाव नहीं लड़ा होता तो राजद शून्य पर आउट हो जाता.

इस बारे में जेडीयू नेता अभिषेक झा का कहना है कि युवा नेतृत्व तेजस्वी की बात करने वाले आरजेडी को बताना चाहिए कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वे किसके नेतृत्व में चुनाव लड़े कि जीरो पर आउट हो गए. यूपी में आरजेडी चुनाव लड़े या ना लड़े, इससे क्या फर्क पड़ता है. आरजेडी का तो कहीं कोई नाम लेने वाला भी उत्तर प्रदेश में नहीं है.

गौरतलब है कि 2022 ( फरवरी-मार्च ) में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में विधानसभा चुनाव होना है. वहीं, अक्टूबर से दिसंबर के बीच हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी चुनाव होंगे.

ये भी पढ़ें- सचिन पायलट का केंद्र सरकार पर हमला, 'ऑक्सीजन किल्लत से हुई मौतों को नकारना घिनौना मजाक'

इधर आरजेडी नेता और पार्टी के पूर्व विधायक शक्ति सिंह यादव ने कहा कि आरजेडी का वेस्ट बंगाल में चुनाव नहीं लड़ना कितना फायदेमंद साबित हुआ, यह सबके सामने है. जब बीजेपी को ममता बनर्जी के हाथों मुंह की खानी पड़ी. उन्होंने कहा कि यूपी चुनाव और अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर पार्टी आने वाले समय में फैसला करेगी, लेकिन आरजेडी की तेजी से उभरते युवा नेतृत्व को लेकर एनडीए नेताओं में बेचैनी साफ नजर आ रही है.

उन्होंने कहा कि किस राज्य में पार्टी चुनाव लड़ेगी और किस राज्य में नहीं, इस पर फैसला होना बाकी है. लेकिन इतना तय है कि हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे सांप्रदायिक ताकतों को कोई फायदा हो.

कुल मिलाकर देखा जाए तो पिछले 5 साल में राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार-झारखंड और असम के अलावा कहीं और चुनाव नहीं लड़ा है. फिलहाल पार्टी में बड़े परिवर्तन का दौर चल रहा है. चर्चा इस बात की है कि तेजस्वी यादव को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है. इन सब के बीच सवाल ये भी खड़े हो रहे हैं कि युवा नेतृत्व तेजस्वी के दम पर बिहार विधानसभा चुनाव में नंबर वन पार्टी बनने का दावा करने वाले आरजेडी को अन्य राज्यों में चुनाव लड़ने में परहेज क्यों है?

पटना: लालू यादव ( Lalu Yadav ) की पार्टी आरजेडी ( RJD ) दावा करती है कि 26 राज्यों में संगठन है. कभी आरजेडी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त था, लेकिन आज बिहार-झारखंड ( Bihar-Jharkhand ) के अलावा किसी दूसरे राज्य में पिछले कई सालों से अपनी प्रभावी राजनीति नहीं दिखाई है.

हाल में संपन्न पश्चिम बंगाल चुनाव में भी आरजेडी ने खुद को किनारा कर लिया और अब यूपी चुनाव में भी शामिल होने के आसार कम नजर आ रहे हैं. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि आरजेडी अपने युवा नेतृत्व को लेकर आशंकित तो नहीं है.

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पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता चितरंजन गगन बताते हैं कि राष्ट्रीय जनता दल को वर्ष 2004 से करीब 6 वर्षों तक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में चुनाव आयोग से दर्जा प्राप्त था. हालांकि बाद के वर्षों में बिहार के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी पार्टी कमजोर होती गई. हाल के वर्षों में राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार-झारखंड के अलावा असम और दिल्ली में चुनाव लड़ा है लेकिन वर्तमान समय में सिर्फ बिहार और झारखंड में पार्टी का एक्टिव संगठन दिखाई दे रहा है.

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चितरंजन गगन ने बताया कि केरल, पांडिचेरी, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के पार्टी संगठन के नेता चुनाव लड़ने के लिए बार-बार पार्टी नेतृत्व से आग्रह कर रहे हैं लेकिन अब तक आखरी फैसला नहीं हुआ है.

वहीं, जेडीयू नेता अभिषेक झा ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल सिर्फ परिवार के चंद लोगों के द्वारा चलाई जाने वाली पार्टी है. विधानसभा चुनाव में अगर वह नंबर वन पार्टी बनी तो उसके पीछे उनका अपना कोई जनाधार नहीं बल्कि लोजपा थी. अगर लोजपा ने अकेले चुनाव नहीं लड़ा होता तो राजद शून्य पर आउट हो जाता.

इस बारे में जेडीयू नेता अभिषेक झा का कहना है कि युवा नेतृत्व तेजस्वी की बात करने वाले आरजेडी को बताना चाहिए कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वे किसके नेतृत्व में चुनाव लड़े कि जीरो पर आउट हो गए. यूपी में आरजेडी चुनाव लड़े या ना लड़े, इससे क्या फर्क पड़ता है. आरजेडी का तो कहीं कोई नाम लेने वाला भी उत्तर प्रदेश में नहीं है.

गौरतलब है कि 2022 ( फरवरी-मार्च ) में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में विधानसभा चुनाव होना है. वहीं, अक्टूबर से दिसंबर के बीच हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी चुनाव होंगे.

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इधर आरजेडी नेता और पार्टी के पूर्व विधायक शक्ति सिंह यादव ने कहा कि आरजेडी का वेस्ट बंगाल में चुनाव नहीं लड़ना कितना फायदेमंद साबित हुआ, यह सबके सामने है. जब बीजेपी को ममता बनर्जी के हाथों मुंह की खानी पड़ी. उन्होंने कहा कि यूपी चुनाव और अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर पार्टी आने वाले समय में फैसला करेगी, लेकिन आरजेडी की तेजी से उभरते युवा नेतृत्व को लेकर एनडीए नेताओं में बेचैनी साफ नजर आ रही है.

उन्होंने कहा कि किस राज्य में पार्टी चुनाव लड़ेगी और किस राज्य में नहीं, इस पर फैसला होना बाकी है. लेकिन इतना तय है कि हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे सांप्रदायिक ताकतों को कोई फायदा हो.

कुल मिलाकर देखा जाए तो पिछले 5 साल में राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार-झारखंड और असम के अलावा कहीं और चुनाव नहीं लड़ा है. फिलहाल पार्टी में बड़े परिवर्तन का दौर चल रहा है. चर्चा इस बात की है कि तेजस्वी यादव को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है. इन सब के बीच सवाल ये भी खड़े हो रहे हैं कि युवा नेतृत्व तेजस्वी के दम पर बिहार विधानसभा चुनाव में नंबर वन पार्टी बनने का दावा करने वाले आरजेडी को अन्य राज्यों में चुनाव लड़ने में परहेज क्यों है?

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