पटना : क्या HAM प्रमुख जीतन राम मांझी फिर से पाला बदल सकते हैं? राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव (RJD Chief Lalu Yadav) के जन्मदिन के मौके पर हुई बैठक ने इस सवाल को चर्चा में ला दिया है. शुक्रवार को तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) से मुलाकात की. बंद कमरे में दोनों नेताओं के बीच 1 घंटे तक बात हुई. सूत्रों के अनुसार इस दौरान मांझी की बात लालू यादव से हुई. तेज प्रताप ने फोन पर मांझी की बात लालू से कराई.
मांझी ने कहा- नहीं थी राजनीतिक मुलाकात
जीतन राम मांझी से मिलने तेज प्रताप उनके आवास पर पहुंचे थे. दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद सियासत तेज हो गई है. हालांकि मुलाकात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि इसका कोई राजनीतिक मतलब नहीं निकालना चाहिए.
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, यह कोई राजनीतिक मुलाकात नहीं थी. इसका कुछ दूसरा अर्थ नहीं निकालना चाहिए. पारिवारिक मुलाकात थी. बहुत दिनों से हम लोगों की मुलाकात नहीं हुई थी. तेज प्रताप आ गए और हम दोनों ने बैठकर पारिवारिक बात की.
मुलाकात का राजनीतिक अर्थ न निकालें
राजद नेता तेज प्रताप यादव ने कहा, देखिए इसका कोई अर्थ नहीं निकालना चाहिए. पारिवारिक मुलाकात है. मैं इधर से आता-जाता रहता हूं. आज मुलाकात करने का मन हुआ और चला आया. मैं जीतन राम मांझी से मिला. इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं है.
नाराज चल रहे हैं मांझी
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से एनडीए में जीतन राम मांझी की नाराजगी की खबरें सामने आ रहीं हैं. मांझी लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. उन्होंने एनडीए में कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग की है. दूसरी ओर जीतन राम मांझी तेज प्रताप यादव से मिले हैं. दोनों ने मुलाकात को पारिवारिक बताया है, लेकिन इसका बिहार की राजनीति पर क्या असर होता है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.
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मांझी और सहनी को न्योता
बता दें कि इससे पहले तेजप्रताप यादव ने बिहार एनडीए में चल रही उठापटक पर बयान देते हुए साफ कह दिया है कि यदि सहनी और मांझी जी का एनडीए से मोह भंग हो गया है तो वे महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं.
मुकेश सहनी के द्वारा एमएलसी फंड लौटाने की मांग पर तेजप्रताप यादव ने कहा, हम भी विधायक हैं. हमें भी अपने क्षेत्रों में विकास के कार्य करने हैं. विधायकों और एमएलसी के फंड लेने के बाद भी सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था जर्जर है. डीएमसीएच की हालत आज भी जर्जर है. बाकी अस्पतालों में भी सुविधाओं का अभाव है. ऐसे में सरकार से सवाल उठाना जायज है. राज्य को अनलॉक कर दिया गया है, लेकिन इसके बाद सरकार को आगे की जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
बिहार एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं
इधर बिहार एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि सरकार में शामिल घटक दल सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं. हाल ही में वीआईपी प्रमुख और मंत्री मुकेश सहनी ने विपक्ष से सुर मिलाते हुए सीएम नीतीश से एमएलसी फंड की मांग कर दी थी. इतना ही नहीं मुकेश सहनी के यूपी चुनाव को लेकर दिए गए बयान और चुनाव पूर्व एनडीए गठबंधन के द्वारा किए गए 19 लाख वादे पर भी साफ प्रतिक्रिया आने के एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं होने के कयास लगाए जा रहे हैं.