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आदि कैलाश यात्रा: रोमांच के साथ जोखिम भरा सफर! दो हादसों में गई 18 लोगों की जान

Risks of Adi Kailash Yatra in Uttarakhand उत्तराखंड में आदि कैलाश यात्रा का सफर जितना रोमांच से भरा है, उतना ही इस यात्रा में जोखिम भी है. अक्टूबर महीने से हुए तीन हादसे इसकी तस्दीक कर रहे है. बीते 15 दिनों के अंदर यहां दो हादसों में 18 लोगों की मौत हो चुकी है. आदि कैलाश यात्रा के दौरान अभी तीर्थयात्रियों को किसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, उन्हें चुनौतियों से आज ईटीवी भारत को आपको अवगत कराएगा. बीते 12 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदि कैलाश यात्रा आए थे.

आदि कैलाश यात्रा
आदि कैलाश यात्रा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 26, 2023, 8:37 PM IST

Updated : Oct 26, 2023, 8:59 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के सीमावर्ती इलाके की आदि कैलाश यात्रा बीती 12 अक्टूबर से चर्चाओं में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 12 अक्टूबर को आदि कैलाश पर्वत के दर्शन किए थे और कुछ देर यहां समय बिताने के साथ ही ध्यान भी लगाया था. उत्तराखंड के इस स्थान को केंद्र और राज्य सरकार एक बड़े पर्यटन स्थल के दौर पर विकसित करने की तैयारी कर रही है, जिसके लिए सरकार वहां पर सड़क आदि के निर्माण कार्य कराने में जुटी हुई है, ताकि पर्यटक और भक्त वहां आसानी से पहुंच सके. फिलहाल आदि कैलाश की यात्रा करना आसान नहीं है.

Adi Kailash Yatra
12 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदि कैलाश के दर्शन किए थे. (फाइल फोटो)

आदि कैलाश तक पहुंचने का रास्त जिनता रोमांच से भरा है, उतना ही खतरनाक भी है. एक तरफ जहां आदि कैलाश के रास्ते में गगनचुंबी पहाड़ियां पर लगे हरे भरे जगल और बर्फली पहाड़ आपकी आंखों को सुकून देगे तो वहीं दुर्गम और खतरनाक रास्त आपकी हालत खराब कर देगा. इस मार्ग पर बीते 15 दिनों में दो बड़े हादसे हुए, जिनमें 18 लोगों की मौत हो चुकी है.

पढ़ें- PM Modi Adi Kailash Yatra: पीएम मोदी ने आदि कैलाश में लगाया ध्यान, शंख और डमरू बजाकर की शिव भक्ति

24 अक्टूबर को हुआ था हादसा: बीती 24 अक्टूबर को ही आदि कैलाश यात्रा से लौटते समय तीर्थयात्रियों का पिकअप वाहन पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में गर्बाधार के पास गहरी खाई में गिर गया था. इस हादसे में 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी. मरने वालों में चार लोग कर्नाटक के बेंगलुरु के रहने वाले थे, वहीं अन्य दो लोग स्थानीय थे, जिनका खाई से शव निकालने में करीब 24 घंटे लगे थे.

  • #WATCH | Uttarakhand | A vehicle, carrying people from Adi Kailash, rolled down a gorge from Dharchula-Gunji motorway in Pithoragarh on 24th October. SDRF, along with local Police, attempted to carry out a rescue operation but it was halted due to heavy rainfall. Six bodies - all… pic.twitter.com/pNEdspmArD

    — ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
पढ़ें- Pithoragarh Vehicle Accident: आदि कैलाश के दर्शन कर खुशी-खुशी लौट रहे थे, हादसे में चली गई 6 लोगों की जान

11 अक्टूबर को गई थी 12 लोगों की जान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 अक्टूबर को आदि कैलाश की यात्रा पर आए थे, उससे एक दिन पहले यानी 11 अक्टूबर को भी इस मार्ग पर बड़ा हादसा हुआ था. लिपुलेख-धारचूला मार्ग पर एक वाहन लैंडस्लाइड की चपेट में आ गया था, जिससे 12 लोगों की मौत हो गई थी. मृतकों की शिनाख्त बड़ी मुश्किल से हो पाई थी.

पढ़ें- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में गाड़ी पर गिरी चट्टान, 8 लोगों के दबने की सूचना

आदि कैलाश मार्ग पर चंद सेकेंड में ढह गया था पहाड़: इन दोनों घटनाओं से अलग लिपुलेख-धारचूला मार्ग पर बीते दिनों पहाड़ का बड़ा हिस्सा चंद सेकेंड में भरभरा कर गिर गया था. कुछ लोगों ने इस वाक्या को अपने कैमरे में कैद कर लिया था. गनीमत रही कि इस दौरान वहां से कोई वाहन नहीं गुजर रहा था. ऐसे तमाम घटनाएं है, जो आदि कैलाश मार्ग यानी लिपुलेख-धारचूला रोड पर होती रहती है. मॉनसून सीजन में तो हालत और भयानक हो जाते है.

Adi Kailash Yatra
आदि कैलाश यात्रा मार्ग पर सबसे ज्यादा खतरा लैंडस्लाइड का रहता है. (फाइल फोटो)
पढ़ें- Watch: पिथौरागढ़ में आदि कैलाश मार्ग पर चंद सेकेंड में ढह गया पहाड़, चीन सीमा को जोड़ती है ये सड़क

भूस्खलन बड़ी चुनौती: पिथौरागढ़ जिले के अधिकारी भी इस बात से इंकार नहीं कर रहे है कि फिलहाल आदि कैलाश मार्ग पर यात्रा करना चुनौती पूर्ण है. क्योंकि यहां लैंडस्लाइड एक बड़ी चुनौती है. वहीं सड़कों की स्थिति भी अभी बहुत खराब है. हालांकि बीआरओ (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन) लिपुलेख-धारचूला सड़क मार्ग का काम बड़ी तेजी से कर रहा है.
पढ़ें- आदि कैलाश के दर्शन करने के बाद गूंजी पहुंचे पीएम मोदी, स्थानीय वाद्य यंत्र में आजमाया हाथ

मॉनसून में ज्यादा हालात खराब: धारचूला से आगे जैसे-जैसे रास्ता नेपाल बॉर्डर की ओर बढ़ता है, मार्ग और सकरा होता चला जाता है. नेपाल और भारत के बॉर्डर को अलग करने वाले काली नदी मॉनसून में विकराल रूप धारण कर लेती है. मौजूद समय में राज्य सरकार भक्तों को हल्द्वानी से बागेश्वर, धारचूला, तवाघाट, गूंजी, कालापानी, लिपुलेख दर्रा, तकलाकोट,तर्जन और डेरा बुक से होते आदि कैलाश भेज रही है.

Adi Kailash Yatra
आदि कैलाश यात्रा मार्ग पर सबसे ज्यादा खतरा लैंडस्लाइड का रहता है. (फाइल फोटो)
पढ़ें- पिथौरागढ़ स्थित आदि कैलाश क्यों नहीं आ सकते बिग बी? प्रधानमंत्री मोदी ने दे दिया यहां आने का न्योता

सरकार इंतजाम करने में जुटी: आदि कैलाश यात्रा को लेकर सरकार काफी गंभीर नजर आ रही है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद लोग बड़ी संख्या में आदि कैलाश यात्रा में रूची दिखा रहे है. यहीं कारण है कि सरकार यहां पर विकास का रोड मैप तैयार करने में जुटी हुई है, ताकि पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले.

इस बारे में जब उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बात से दु:खी है कि हाल ही में दो बड़े हादसे हो गए. जिसमें कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. आदि कैलाश यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार समीक्षा बैठक भी कर रहे है और जल्द ही आदि कैलाश यात्रा में जो भी अवरुद्ध आ रहे है, उनको सही करेंगे. फ़िलहाल बीआरओ इस सड़क का निर्माण कर रही है और ख़ुशी उस बात की भी है कि ये काम बेहद तेज़ी से चल रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के सीमावर्ती इलाके की आदि कैलाश यात्रा बीती 12 अक्टूबर से चर्चाओं में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 12 अक्टूबर को आदि कैलाश पर्वत के दर्शन किए थे और कुछ देर यहां समय बिताने के साथ ही ध्यान भी लगाया था. उत्तराखंड के इस स्थान को केंद्र और राज्य सरकार एक बड़े पर्यटन स्थल के दौर पर विकसित करने की तैयारी कर रही है, जिसके लिए सरकार वहां पर सड़क आदि के निर्माण कार्य कराने में जुटी हुई है, ताकि पर्यटक और भक्त वहां आसानी से पहुंच सके. फिलहाल आदि कैलाश की यात्रा करना आसान नहीं है.

Adi Kailash Yatra
12 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदि कैलाश के दर्शन किए थे. (फाइल फोटो)

आदि कैलाश तक पहुंचने का रास्त जिनता रोमांच से भरा है, उतना ही खतरनाक भी है. एक तरफ जहां आदि कैलाश के रास्ते में गगनचुंबी पहाड़ियां पर लगे हरे भरे जगल और बर्फली पहाड़ आपकी आंखों को सुकून देगे तो वहीं दुर्गम और खतरनाक रास्त आपकी हालत खराब कर देगा. इस मार्ग पर बीते 15 दिनों में दो बड़े हादसे हुए, जिनमें 18 लोगों की मौत हो चुकी है.

पढ़ें- PM Modi Adi Kailash Yatra: पीएम मोदी ने आदि कैलाश में लगाया ध्यान, शंख और डमरू बजाकर की शिव भक्ति

24 अक्टूबर को हुआ था हादसा: बीती 24 अक्टूबर को ही आदि कैलाश यात्रा से लौटते समय तीर्थयात्रियों का पिकअप वाहन पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में गर्बाधार के पास गहरी खाई में गिर गया था. इस हादसे में 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी. मरने वालों में चार लोग कर्नाटक के बेंगलुरु के रहने वाले थे, वहीं अन्य दो लोग स्थानीय थे, जिनका खाई से शव निकालने में करीब 24 घंटे लगे थे.

  • #WATCH | Uttarakhand | A vehicle, carrying people from Adi Kailash, rolled down a gorge from Dharchula-Gunji motorway in Pithoragarh on 24th October. SDRF, along with local Police, attempted to carry out a rescue operation but it was halted due to heavy rainfall. Six bodies - all… pic.twitter.com/pNEdspmArD

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पढ़ें- Pithoragarh Vehicle Accident: आदि कैलाश के दर्शन कर खुशी-खुशी लौट रहे थे, हादसे में चली गई 6 लोगों की जान

11 अक्टूबर को गई थी 12 लोगों की जान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 अक्टूबर को आदि कैलाश की यात्रा पर आए थे, उससे एक दिन पहले यानी 11 अक्टूबर को भी इस मार्ग पर बड़ा हादसा हुआ था. लिपुलेख-धारचूला मार्ग पर एक वाहन लैंडस्लाइड की चपेट में आ गया था, जिससे 12 लोगों की मौत हो गई थी. मृतकों की शिनाख्त बड़ी मुश्किल से हो पाई थी.

पढ़ें- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में गाड़ी पर गिरी चट्टान, 8 लोगों के दबने की सूचना

आदि कैलाश मार्ग पर चंद सेकेंड में ढह गया था पहाड़: इन दोनों घटनाओं से अलग लिपुलेख-धारचूला मार्ग पर बीते दिनों पहाड़ का बड़ा हिस्सा चंद सेकेंड में भरभरा कर गिर गया था. कुछ लोगों ने इस वाक्या को अपने कैमरे में कैद कर लिया था. गनीमत रही कि इस दौरान वहां से कोई वाहन नहीं गुजर रहा था. ऐसे तमाम घटनाएं है, जो आदि कैलाश मार्ग यानी लिपुलेख-धारचूला रोड पर होती रहती है. मॉनसून सीजन में तो हालत और भयानक हो जाते है.

Adi Kailash Yatra
आदि कैलाश यात्रा मार्ग पर सबसे ज्यादा खतरा लैंडस्लाइड का रहता है. (फाइल फोटो)
पढ़ें- Watch: पिथौरागढ़ में आदि कैलाश मार्ग पर चंद सेकेंड में ढह गया पहाड़, चीन सीमा को जोड़ती है ये सड़क

भूस्खलन बड़ी चुनौती: पिथौरागढ़ जिले के अधिकारी भी इस बात से इंकार नहीं कर रहे है कि फिलहाल आदि कैलाश मार्ग पर यात्रा करना चुनौती पूर्ण है. क्योंकि यहां लैंडस्लाइड एक बड़ी चुनौती है. वहीं सड़कों की स्थिति भी अभी बहुत खराब है. हालांकि बीआरओ (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन) लिपुलेख-धारचूला सड़क मार्ग का काम बड़ी तेजी से कर रहा है.
पढ़ें- आदि कैलाश के दर्शन करने के बाद गूंजी पहुंचे पीएम मोदी, स्थानीय वाद्य यंत्र में आजमाया हाथ

मॉनसून में ज्यादा हालात खराब: धारचूला से आगे जैसे-जैसे रास्ता नेपाल बॉर्डर की ओर बढ़ता है, मार्ग और सकरा होता चला जाता है. नेपाल और भारत के बॉर्डर को अलग करने वाले काली नदी मॉनसून में विकराल रूप धारण कर लेती है. मौजूद समय में राज्य सरकार भक्तों को हल्द्वानी से बागेश्वर, धारचूला, तवाघाट, गूंजी, कालापानी, लिपुलेख दर्रा, तकलाकोट,तर्जन और डेरा बुक से होते आदि कैलाश भेज रही है.

Adi Kailash Yatra
आदि कैलाश यात्रा मार्ग पर सबसे ज्यादा खतरा लैंडस्लाइड का रहता है. (फाइल फोटो)
पढ़ें- पिथौरागढ़ स्थित आदि कैलाश क्यों नहीं आ सकते बिग बी? प्रधानमंत्री मोदी ने दे दिया यहां आने का न्योता

सरकार इंतजाम करने में जुटी: आदि कैलाश यात्रा को लेकर सरकार काफी गंभीर नजर आ रही है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद लोग बड़ी संख्या में आदि कैलाश यात्रा में रूची दिखा रहे है. यहीं कारण है कि सरकार यहां पर विकास का रोड मैप तैयार करने में जुटी हुई है, ताकि पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले.

इस बारे में जब उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बात से दु:खी है कि हाल ही में दो बड़े हादसे हो गए. जिसमें कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. आदि कैलाश यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार समीक्षा बैठक भी कर रहे है और जल्द ही आदि कैलाश यात्रा में जो भी अवरुद्ध आ रहे है, उनको सही करेंगे. फ़िलहाल बीआरओ इस सड़क का निर्माण कर रही है और ख़ुशी उस बात की भी है कि ये काम बेहद तेज़ी से चल रहा है.

Last Updated : Oct 26, 2023, 8:59 PM IST
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