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ऋषिकेश एम्स में हुआ तीन बच्चों के दिल का सफल बीडी ग्लेन ऑपरेशन - All India Institute of Medical Science

ऋषिकेश एम्स के डॉक्टरों ने तीन बच्चों के दिल का सफल बीडी ग्लेन ऑपरेशन कर नौनिहालों को नया जीवन दिया है. एक डेढ़ साल की बच्ची और दो-दो साल के 2 बच्चों का सफल ऑपरेशन किया गया है.

All India Institute of Medical Science
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Published : Mar 31, 2021, 11:33 AM IST

ऋषिकेश : ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) के सीटीवीएस विभाग ने तीन बच्चों के दिल का सफल बीडी ग्लेन ऑपरेशन कर नौनिहालों को नया जीवन दिया है. एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने सीटीवीएस विभाग की इस उपलब्धि पर टीम की सराहना की है.

चिकित्सकों के मुताबिक उत्तरकाशी निवासी एक डेढ़ साल की बच्ची के दिल में जन्म से ही छेद था. और उसके दिल का सीधा हिस्सा (राइट वेंट्रिकल) पूरे तरीके से विकसित नहीं था. इसे सिंगल वेंट्रिकल कहते हैं. ऐसे में बच्चे के दिल में जन्म से बने छेद को बंद करना नामुमकिन होता है. साथ ही इससे हार्ट फेल होने का खतरा भी बना रहता है.

बच्ची के दिल का ऑपरेशन करने वाली टीम के प्रमुख व सीटीवीएस विभाग के पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन डॉ. अनीश गुप्ता ने बताया कि उन्होंने इस पेशेंट के सिर से अशुद्ध रक्त लाने वाली नस (एसवीसी) को काटकर उसके फेफड़े से सीधे जाेड़ दिया. जिससे बच्ची के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा 60 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत तक हो गई.

डॉ. अनीश ने बताया कि इस प्रक्रिया को पहली बार डॉ. ग्लेन ने किया था. इसी लिए इसे ग्लेन प्रोसीजर कहा जाता है. इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम में डॉ. अनीश के अलावा डॉ. अजेय मिश्रा, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. यश श्रीवास्तव व डॉ. राहुल शर्मा शामिल थे.

पढ़ें : देखें कैसे खुद की ब्रेन सर्जरी के लिए पैसे जुटा रही सात साल की यह बच्ची

इसके अलावा चिकित्सकों की इसी टीम ने देहरादून निवासी दो-दो साल के दो अन्य बच्चों की भी बीडी ग्लेन (बाई डायरेक्शनल ग्लेन) सर्जरी को अंजाम दिया है. अब यह बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हैं. सफल ऑपरेशन के बाद इन बच्चों के माता-पिता ने डॉ. अनीश व टीम और एम्स का धन्यवाद किया है.

ऋषिकेश : ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) के सीटीवीएस विभाग ने तीन बच्चों के दिल का सफल बीडी ग्लेन ऑपरेशन कर नौनिहालों को नया जीवन दिया है. एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने सीटीवीएस विभाग की इस उपलब्धि पर टीम की सराहना की है.

चिकित्सकों के मुताबिक उत्तरकाशी निवासी एक डेढ़ साल की बच्ची के दिल में जन्म से ही छेद था. और उसके दिल का सीधा हिस्सा (राइट वेंट्रिकल) पूरे तरीके से विकसित नहीं था. इसे सिंगल वेंट्रिकल कहते हैं. ऐसे में बच्चे के दिल में जन्म से बने छेद को बंद करना नामुमकिन होता है. साथ ही इससे हार्ट फेल होने का खतरा भी बना रहता है.

बच्ची के दिल का ऑपरेशन करने वाली टीम के प्रमुख व सीटीवीएस विभाग के पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन डॉ. अनीश गुप्ता ने बताया कि उन्होंने इस पेशेंट के सिर से अशुद्ध रक्त लाने वाली नस (एसवीसी) को काटकर उसके फेफड़े से सीधे जाेड़ दिया. जिससे बच्ची के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा 60 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत तक हो गई.

डॉ. अनीश ने बताया कि इस प्रक्रिया को पहली बार डॉ. ग्लेन ने किया था. इसी लिए इसे ग्लेन प्रोसीजर कहा जाता है. इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम में डॉ. अनीश के अलावा डॉ. अजेय मिश्रा, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. यश श्रीवास्तव व डॉ. राहुल शर्मा शामिल थे.

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इसके अलावा चिकित्सकों की इसी टीम ने देहरादून निवासी दो-दो साल के दो अन्य बच्चों की भी बीडी ग्लेन (बाई डायरेक्शनल ग्लेन) सर्जरी को अंजाम दिया है. अब यह बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हैं. सफल ऑपरेशन के बाद इन बच्चों के माता-पिता ने डॉ. अनीश व टीम और एम्स का धन्यवाद किया है.

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