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Rio Olympics: 10 से अधिक मुक्केबाजी मुकाबलों में पैसे की हेराफेरी

स्वतंत्र जांच में खुलासा हुआ है कि साल 2016 रियो ओलंपिक की मुक्केबाजी प्रतियोगिता के 10 से अधिक मुकाबलों में 'पैसे' या अन्य 'फायदों' के लिए हेरफेर की गई थी. इस खुलासे के बाद अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने आगामी पुरुष विश्व चैंपियनशिप में रैफरी और जज के लिए 'कड़ी' चयन प्रक्रिया का वादा किया है.

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Rio Olympics
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Published : Sep 30, 2021, 8:38 PM IST

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ को मैकलारेन ग्लोबल स्पोर्ट्स सॉल्युशंस (एमजीएसएस) की मुक्केबाजी की स्वतंत्र जांच की पहले चरण की रिपोर्ट मिल गई है, जो पीटीआई के पास भी है. इसमें खुलासा किया गया है कि रियो में अधिकारियों द्वारा मुकाबलों में हेरफेर की प्रणाली मौजूद थी. कुल मिलाकर दो फाइनल सहित 14 मुकाबले जांच के दायरे में हैं.

रिपोर्ट में खेलों में अधिकारियों की संदेहास्पद नियुक्तियों के संदर्भ में किया गया, यह सेंटा क्लॉज के भ्रष्ट और शिष्ट के मिथक का पूरी तरह उलट है. भ्रष्ट लोगों को रियो में नियुक्ति दी गई, क्योंकि वे इच्छुक थे या दबाव में हेराफेरी के किसी आग्रह का समर्थन करने को तैयार थे. जबकि शिष्ट लोगों को बाहर कर दिया गया.

जांच में खुलासा हुआ है कि रियो के नतीजों को हेराफेरी का षड्यंत्र लंदन ओलंपिक 2012 से पहले भी रचा गया. साल 2016 टूर्नामेंट के क्वालीफाइंग टूर्नामेंटों के दौरान इसका ट्रायल किया गया.

यह भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश सीनियर क्रिकेट टीम के हेड कोच बने विजय दहिया

इसमें कहा गया, पैसे और एआईबीए से फायदे के लिए मुकाबलों में हेरफेर की गई या राष्ट्रीय महासंघों और उनकी ओलंपिक समितियों का आभार जताने के लिए और कुछ मौकों पर प्रतियोगिता के मेजबान की उसके वित्तीय समर्थन और राजनीतिक समर्थन के लिए.

इसमें कहा गया, आज तक की जांच में निष्कर्ष निकलता है कि इस तरह की हेराफेरी में कई मौकों पर छह अंक की मोटी धनराशि जुड़ी होती थी. हेराफेरी की प्रणाली भ्रष्ट रैफरी और जज तथा ड्रॉ आयोग से जुड़ी थी.

एआईबीए ने विस्तृत कार्रवाई और रैफरी तथा जजों की नियुक्ति के लिए कड़ी प्रक्रिया का वादा किया है.

यह भी पढ़ें: बोतल या जूते रखकर Perfect Yorker डालने का अभ्यास करते हैं Avesh

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से दोबारा मान्यता हासिल करने का प्रयास कर रहे एआईबीए ने कहा, एआईबीए रियो 2016 मुक्केबाजी टूर्नामेंट की जांच के नतीजों से चिंतित है और पुष्टि करता है कि विस्तृत सुधारवादी कदम उठाए जाएंगे, जिससे कि मौजूदा एआईबीए प्रतियोगिताओं की अखंडता बनी रहे.

अब 24 अक्टूबर से सर्बिया के बेलग्राद में शुरू हो रही विश्व चैंपियनशिप के लिए नियुक्त होने वाले रैफरी, जज और तकनीकी अधिकारियों को कड़ी चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें रिचर्ड मैकलारेन की अगुआई वाला एमजीएसए उनकी पृष्ठभूमि और अन्य जांच भी करेगा.

एआईबीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि एआईबीए के तत्कालीन प्रमुख चिंग कुओ वू रियो में हुए प्रकरण के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थे.

यह भी पढ़ें: आईपीएल 2021: आखिर क्यों...शानदार जीत के बावजूद Points Table में बैंगलोर ऊपर नहीं पहुंची

जांच में कहा गया है, दो मुकाबले ऐसे थे जिन्होंने पूरी प्रणाली को सार्वजनिक तौर पर धाराशाई कर दिया.

पहला मुकाबला विश्व एवं यूरोपीय चैंपियन माइकल कोनलान तथा रूस के व्लादिमीर निकितिन के बीच बैंटमवेट क्वार्टर फाइनल था. इसमें कोनलान को रिंग में दबदबा बनाने के बावजूद हार झेलनी पड़ी. कोनलान ने रैफरी और जज से कैमरा के सामने दुर्व्यवहार किया और बाद में पेशेवर मुक्केबाज बन गए.

दूसरा स्वर्ण पदक का हैवीवेट मुकाबला था, जो रूस के येवगेनी तिसचेंको और कजाखस्तान के वेसिली लेविट के बीच खेला गया. लेविट को भी दबदबा बनाने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा था.

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ को मैकलारेन ग्लोबल स्पोर्ट्स सॉल्युशंस (एमजीएसएस) की मुक्केबाजी की स्वतंत्र जांच की पहले चरण की रिपोर्ट मिल गई है, जो पीटीआई के पास भी है. इसमें खुलासा किया गया है कि रियो में अधिकारियों द्वारा मुकाबलों में हेरफेर की प्रणाली मौजूद थी. कुल मिलाकर दो फाइनल सहित 14 मुकाबले जांच के दायरे में हैं.

रिपोर्ट में खेलों में अधिकारियों की संदेहास्पद नियुक्तियों के संदर्भ में किया गया, यह सेंटा क्लॉज के भ्रष्ट और शिष्ट के मिथक का पूरी तरह उलट है. भ्रष्ट लोगों को रियो में नियुक्ति दी गई, क्योंकि वे इच्छुक थे या दबाव में हेराफेरी के किसी आग्रह का समर्थन करने को तैयार थे. जबकि शिष्ट लोगों को बाहर कर दिया गया.

जांच में खुलासा हुआ है कि रियो के नतीजों को हेराफेरी का षड्यंत्र लंदन ओलंपिक 2012 से पहले भी रचा गया. साल 2016 टूर्नामेंट के क्वालीफाइंग टूर्नामेंटों के दौरान इसका ट्रायल किया गया.

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इसमें कहा गया, पैसे और एआईबीए से फायदे के लिए मुकाबलों में हेरफेर की गई या राष्ट्रीय महासंघों और उनकी ओलंपिक समितियों का आभार जताने के लिए और कुछ मौकों पर प्रतियोगिता के मेजबान की उसके वित्तीय समर्थन और राजनीतिक समर्थन के लिए.

इसमें कहा गया, आज तक की जांच में निष्कर्ष निकलता है कि इस तरह की हेराफेरी में कई मौकों पर छह अंक की मोटी धनराशि जुड़ी होती थी. हेराफेरी की प्रणाली भ्रष्ट रैफरी और जज तथा ड्रॉ आयोग से जुड़ी थी.

एआईबीए ने विस्तृत कार्रवाई और रैफरी तथा जजों की नियुक्ति के लिए कड़ी प्रक्रिया का वादा किया है.

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अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से दोबारा मान्यता हासिल करने का प्रयास कर रहे एआईबीए ने कहा, एआईबीए रियो 2016 मुक्केबाजी टूर्नामेंट की जांच के नतीजों से चिंतित है और पुष्टि करता है कि विस्तृत सुधारवादी कदम उठाए जाएंगे, जिससे कि मौजूदा एआईबीए प्रतियोगिताओं की अखंडता बनी रहे.

अब 24 अक्टूबर से सर्बिया के बेलग्राद में शुरू हो रही विश्व चैंपियनशिप के लिए नियुक्त होने वाले रैफरी, जज और तकनीकी अधिकारियों को कड़ी चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें रिचर्ड मैकलारेन की अगुआई वाला एमजीएसए उनकी पृष्ठभूमि और अन्य जांच भी करेगा.

एआईबीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि एआईबीए के तत्कालीन प्रमुख चिंग कुओ वू रियो में हुए प्रकरण के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थे.

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जांच में कहा गया है, दो मुकाबले ऐसे थे जिन्होंने पूरी प्रणाली को सार्वजनिक तौर पर धाराशाई कर दिया.

पहला मुकाबला विश्व एवं यूरोपीय चैंपियन माइकल कोनलान तथा रूस के व्लादिमीर निकितिन के बीच बैंटमवेट क्वार्टर फाइनल था. इसमें कोनलान को रिंग में दबदबा बनाने के बावजूद हार झेलनी पड़ी. कोनलान ने रैफरी और जज से कैमरा के सामने दुर्व्यवहार किया और बाद में पेशेवर मुक्केबाज बन गए.

दूसरा स्वर्ण पदक का हैवीवेट मुकाबला था, जो रूस के येवगेनी तिसचेंको और कजाखस्तान के वेसिली लेविट के बीच खेला गया. लेविट को भी दबदबा बनाने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा था.

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