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बिहार : बांध टूटने से दर्जनों गांवों में भरा पानी, ग्रामीणों में दशहत का माहौल

पूर्वी चंपारण जिला (East Champaran District) के सुगौली में सिकरहना नदी (Sikarhana River) का दवाब लालपरसा में रिंग बांध सहन नहीं कर सका और टूट गया, जिस कारण पूरे इलाके में लोगों के बीच गांवों के इस साल फिर डूब जाने का भय सता रहा है.

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Published : Jun 20, 2021, 11:41 PM IST

मोतिहारी : बिहार के पूर्वी चंपारण जिला (East Champaran District) के सुगौली में सिकरहना नदी (Sikarhana River) का तांडव जारी है. नदी के पानी का दबाव सुकुलपाकड़ पंचायत के लालपरसा का रिंग बांध सहन नहीं कर सका और 70 मीटर में रिंग बांध टूट गया.

टूटे हुए स्थल पर नदी के कटाव से लगभग 300 मीटर तक रिंगबांध क्षतिग्रस्त (Ring dam of collapsed) हो गया है. रिंग बांध टूटने से नदी का पानी गांव की ओर बहने लगा है, जिस कारण पूरे इलाके में लोगों के बीच गांवों के इस साल फिर डूब जाने का भय सता रहा है.

बांध टूटने से दर्जनों गांवों में भरा पानी

रिंग बांध टूटने से दर्जनों गांव प्रभावित
सुगौली के सुकुलपाकड़ पंचायत में रिंग बांध के ध्वस्त होने से बड़हड़वा, बेलवतिया, माली, शीतलपुर, डुमरी, मुसवा और भेड़िहाड़ी समेत दर्जनों गांवों में सिकरहना नदी का पानी प्रवेश कर गया है. बाढ़ प्रभावित इन गांवों में जिला प्रशासन के स्तर से किसी तरह का राहत कार्य शुरू नहीं किया गया है. जबकि शीतलपुर पंचायत के लालपरसा के तरफ सिकरहना नदी की धारा मुड़ गई है.

यह भी पढ़ें : सामने आया कोरोना वायरस का नया वेरिएंट 'लैम्बडा', जानें कितना है खतरनाक

ग्रामीणों ने घंटो मशक्कत
रिंग बांध टूटने से लोगों में दहशत फैल गया. पिछले साल का डर लोगों को सता रहा है. इस कारण लोग गांव की तरफ बह रहे पानी को रोकने के लिए पेड़ वगैरह लगा कर पानी का रुख मोड़ने की घंटों नाकाम मशक्कत करते रहे, लेकिन सफलता तो सिर्फ बाढ़ को ही मिली. पानी अपने ही रास्ते में गांव की तरफ बढ़ता रहा. दो लोग घंटों पेड़ लेकर खड़े रहे. अंत में वे भी थक हार कर बाहर निकल आए.

लालपरसा का रिंग बांध
बता दें कि वर्ष 2020 में आई बाढ़ में सिकरहना नदी ने लालपरसा में ही रिंगबांध को तोड़ दिया था और काफी तबाही मची थी, जिसे स्थानीय ग्रामीणों ने अपने स्तर से ठीक कराया था, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर क्षतिग्रस्त रिंगबांध की मरम्मति नहीं किए जाने के कारण सिकरहना नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ रिंगबांध ध्वस्त हो गया. नदी ने लगभग 70 मीटर के लंबाई में रिंग बांध को तोड़ा था. उसके बाद नदी के कटाव से लगभग 300 मीटर लंबे रिंगबांध को नदी ने ध्वस्त कर दिया है.

मानसून में आई तेजी
इधर, बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में सक्रिय चक्रवाती हवा और निम्न हवा के दबाव के क्षेत्र के साथ नमी की वजह से काफी तेजी से मानसून (Monsoon) आगे बढ़ रहा है. बिहार के साथ नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. गंडक नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि हुई है. इससे तराई क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.

CM नीतीश कुमार के निर्देश:

  • जल संसाधन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग तथा प. चंपारण, पूर्वी चंपारण एवं गोपालगंज जिला पूरी तरह अलर्ट रहे.
  • जल संसाधन विभाग अपने सभी अभियंताओं को खतरे वाली जगहों पर पूरी तरह अलर्ट रखें. ताकि तटबंधों की पूर्ण सुरक्षा की जा सके.
  • एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की टीमों को भी पूरी तरह अलर्ट मोड में रखा जाए.

हर साल तबाही मचाती है बाढ़
यहां बाढ़ हर साल तबाही लेकर आती है. प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. सड़कों पर 5 से फीट 10 फीट तक पानी भरा रहता है. कई गांव ऐसे भी हैं जहां पर बाढ़ के समय नाव ही एकमात्र सहारा होती है. बताया जाता है कि यहां हर साल नदी का कटाव होता है. ग्रामीणों का कहना है कि वे रात-रात भर जाग कर टॉर्च से नदी के तटबंध की निगरानी करते हैं. ताकि अगर अचानक से तेज कटाव होने लगे तो परिवार संग घर छोड़कर भाग सकें.

यह भी पढ़ें : विश्व शरणार्थी दिवस : एक नजर में जानिए वैश्विक शरणार्थियों की स्थिति

अन्य स्थानों पर शरण लेने को मजबूर लोग
बाढ़ से हर साल किसानों को भारी नुकसान होता है. नदी में कई घर डूब जाते हैं. लोगों को अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ता है. ऐसे में उनके सामने एक तो बाढ़ की तबाही होती है तो दूसरी तरफ भुखमरी की भी समस्या उत्पन्न हो जाती है.

मोतिहारी : बिहार के पूर्वी चंपारण जिला (East Champaran District) के सुगौली में सिकरहना नदी (Sikarhana River) का तांडव जारी है. नदी के पानी का दबाव सुकुलपाकड़ पंचायत के लालपरसा का रिंग बांध सहन नहीं कर सका और 70 मीटर में रिंग बांध टूट गया.

टूटे हुए स्थल पर नदी के कटाव से लगभग 300 मीटर तक रिंगबांध क्षतिग्रस्त (Ring dam of collapsed) हो गया है. रिंग बांध टूटने से नदी का पानी गांव की ओर बहने लगा है, जिस कारण पूरे इलाके में लोगों के बीच गांवों के इस साल फिर डूब जाने का भय सता रहा है.

बांध टूटने से दर्जनों गांवों में भरा पानी

रिंग बांध टूटने से दर्जनों गांव प्रभावित
सुगौली के सुकुलपाकड़ पंचायत में रिंग बांध के ध्वस्त होने से बड़हड़वा, बेलवतिया, माली, शीतलपुर, डुमरी, मुसवा और भेड़िहाड़ी समेत दर्जनों गांवों में सिकरहना नदी का पानी प्रवेश कर गया है. बाढ़ प्रभावित इन गांवों में जिला प्रशासन के स्तर से किसी तरह का राहत कार्य शुरू नहीं किया गया है. जबकि शीतलपुर पंचायत के लालपरसा के तरफ सिकरहना नदी की धारा मुड़ गई है.

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ग्रामीणों ने घंटो मशक्कत
रिंग बांध टूटने से लोगों में दहशत फैल गया. पिछले साल का डर लोगों को सता रहा है. इस कारण लोग गांव की तरफ बह रहे पानी को रोकने के लिए पेड़ वगैरह लगा कर पानी का रुख मोड़ने की घंटों नाकाम मशक्कत करते रहे, लेकिन सफलता तो सिर्फ बाढ़ को ही मिली. पानी अपने ही रास्ते में गांव की तरफ बढ़ता रहा. दो लोग घंटों पेड़ लेकर खड़े रहे. अंत में वे भी थक हार कर बाहर निकल आए.

लालपरसा का रिंग बांध
बता दें कि वर्ष 2020 में आई बाढ़ में सिकरहना नदी ने लालपरसा में ही रिंगबांध को तोड़ दिया था और काफी तबाही मची थी, जिसे स्थानीय ग्रामीणों ने अपने स्तर से ठीक कराया था, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर क्षतिग्रस्त रिंगबांध की मरम्मति नहीं किए जाने के कारण सिकरहना नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ रिंगबांध ध्वस्त हो गया. नदी ने लगभग 70 मीटर के लंबाई में रिंग बांध को तोड़ा था. उसके बाद नदी के कटाव से लगभग 300 मीटर लंबे रिंगबांध को नदी ने ध्वस्त कर दिया है.

मानसून में आई तेजी
इधर, बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में सक्रिय चक्रवाती हवा और निम्न हवा के दबाव के क्षेत्र के साथ नमी की वजह से काफी तेजी से मानसून (Monsoon) आगे बढ़ रहा है. बिहार के साथ नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. गंडक नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि हुई है. इससे तराई क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.

CM नीतीश कुमार के निर्देश:

  • जल संसाधन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग तथा प. चंपारण, पूर्वी चंपारण एवं गोपालगंज जिला पूरी तरह अलर्ट रहे.
  • जल संसाधन विभाग अपने सभी अभियंताओं को खतरे वाली जगहों पर पूरी तरह अलर्ट रखें. ताकि तटबंधों की पूर्ण सुरक्षा की जा सके.
  • एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की टीमों को भी पूरी तरह अलर्ट मोड में रखा जाए.

हर साल तबाही मचाती है बाढ़
यहां बाढ़ हर साल तबाही लेकर आती है. प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. सड़कों पर 5 से फीट 10 फीट तक पानी भरा रहता है. कई गांव ऐसे भी हैं जहां पर बाढ़ के समय नाव ही एकमात्र सहारा होती है. बताया जाता है कि यहां हर साल नदी का कटाव होता है. ग्रामीणों का कहना है कि वे रात-रात भर जाग कर टॉर्च से नदी के तटबंध की निगरानी करते हैं. ताकि अगर अचानक से तेज कटाव होने लगे तो परिवार संग घर छोड़कर भाग सकें.

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अन्य स्थानों पर शरण लेने को मजबूर लोग
बाढ़ से हर साल किसानों को भारी नुकसान होता है. नदी में कई घर डूब जाते हैं. लोगों को अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ता है. ऐसे में उनके सामने एक तो बाढ़ की तबाही होती है तो दूसरी तरफ भुखमरी की भी समस्या उत्पन्न हो जाती है.

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