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रीजिजू ने उच्चतर न्यायपालिका में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व की अपील की

70 वर्षों में न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है, लेकिन उच्चतर न्यायपालिका में विविधता लाने के लिए अभी काफी दूरी तय की जानी बाकी है. उक्त बातें कानून मंत्री किरेन रीजिजू (Minister of Law Kiren Rijiju) ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोहों के समापन कार्यक्रम में कहीं.

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Published : Nov 26, 2022, 10:47 PM IST

Minister of Law Kiren Rijiju
कानून मंत्री किरेन रीजिजू

नई दिल्ली : कानून मंत्री किरेन रीजिजू (Minister of Law Kiren Rijiju) ने शनिवार कहा कि पिछले 70 वर्षों में न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है, लेकिन उच्चतर न्यायपालिका में विविधता लाने के लिए अभी काफी दूरी तय की जानी बाकी है. उच्चतम न्यायालय में संविधान दिवस समारोहों के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने महिलाओं एवं बच्चों से जुड़े अपराधों से निपटने के लिए कई त्वरित (फास्ट ट्रैक) विशेष अदालतें गठित करने की जरूरत पर भी जोर दिया.

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राज्य इस मुद्दे पर आगे नहीं बढ़े हैं. मंत्री ने कहा कि निचली न्यायपालिका को मुख्य केंद्र बनाने की जरूरत है, ताकि न सिर्फ मुकदमों के लंबित रहने को रोका जा सके, बल्कि इसे घटाया भी जा सके. उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामले निचली अदालतों में लंबित हैं और यह करीब पांच करोड़ के आंकड़े को छूने वाले हैं.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति वाले कार्यक्रम में मंत्री ने कहा कि कानूनी परिवेश में समावेशिता तथा लैंगिक समानता ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.

नई दिल्ली : कानून मंत्री किरेन रीजिजू (Minister of Law Kiren Rijiju) ने शनिवार कहा कि पिछले 70 वर्षों में न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है, लेकिन उच्चतर न्यायपालिका में विविधता लाने के लिए अभी काफी दूरी तय की जानी बाकी है. उच्चतम न्यायालय में संविधान दिवस समारोहों के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने महिलाओं एवं बच्चों से जुड़े अपराधों से निपटने के लिए कई त्वरित (फास्ट ट्रैक) विशेष अदालतें गठित करने की जरूरत पर भी जोर दिया.

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राज्य इस मुद्दे पर आगे नहीं बढ़े हैं. मंत्री ने कहा कि निचली न्यायपालिका को मुख्य केंद्र बनाने की जरूरत है, ताकि न सिर्फ मुकदमों के लंबित रहने को रोका जा सके, बल्कि इसे घटाया भी जा सके. उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामले निचली अदालतों में लंबित हैं और यह करीब पांच करोड़ के आंकड़े को छूने वाले हैं.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति वाले कार्यक्रम में मंत्री ने कहा कि कानूनी परिवेश में समावेशिता तथा लैंगिक समानता ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.

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(पीटीआई-भाषा)

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