नई दिल्ली : सहकारिता मंत्री अमित शाह (Cooperation Minister Amit Shah) ने शनिवार को कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) से कहा कि वे सिंचाई परियोजनाओं और अन्य अवसंरचनाओं समेत कृषि क्षेत्र को लंबी अवधि के और कर्ज देने पर ध्यान दें. उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों को देश में सिंचिंत भूमि को बढ़ाने के उद्देश्य से कर्ज प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए.
कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों से शाह ने कहा कि सहकारिता बैंकों को केवल बैंकिंग तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि खेती के विस्तार, उपज बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि कृषि को सुगम व किसानों को समृद्ध बनाने के लिए गांव-गांव में किसानों से संवाद कर उन्हें जागरूक बनाना भी एआरडीबी की ही जिम्मेदारी है.
शाह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी क्षेत्र का डेटाबेस बनाने का काम शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र का कोई भी एकीकृत डेटाबेस नहीं है और डेटाबेस नहीं होने पर क्षेत्र के विस्तार के बारे में नहीं सोचा जा सकता है. सहकारी बैंकों को देश में सिंचिंत भूमि को बढ़ाने के उद्देश्य से कर्ज प्रदान करने पर ध्यान देने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा, 'एआरडीबी सिंचाई परियोजनाओं और अन्य अवसंरचनाओं समेत कृषि क्षेत्र को लंबी अवधि के और कर्ज देने पर ध्यान दें.'
शाह ने कहा कि छोटे किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए सहकारी बैंकों को इस बारे में सोचना चाहिए कि सहकारिता की भावना के साथ इस तरह के छोटे खेतों में किस तरह काम किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि भारत में 49.4 करोड़ एकड़ कृषि भूमि है, जो अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा है. यदि पूरी कृषि भूमि को सिंचित किया जाए तो भारत पूरी दुनिया का पेट भर सकता है.
50 फीसदी कृषि भूमि मानसून पर निर्भर : उल्लेखनीय है कि देश में करीब 50 फीसदी कृषि भूमि मानसून पर निर्भर है. एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, 'बीते नौ दशक से देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक अलग-अलग नाम से चल रहे हैं. इन बैंकों को एआरडीबी में बदलने से किसानों की मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी.' उन्होंने कहा, 'यदि आप पीछे मुड़कर देखेंगे और सहकारिता संस्थानों के जरिए दीर्घकालिक ऋण की पिछले 90 वर्ष की यात्रा पर गौर करेंगे कि यह कैसे कम हुआ है तो आंकड़ों को देखने पर पाएंगे कि यह बढ़ा ही नहीं है.'
उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक ऋण में कई बाधाएं हैं और अब समय आ गया है कि सहकारिता की भावना के साथ इन अवरोधकों से पार पाया जाए. शाह ने कहा कि सहकारिता बैंकों को केवल बैंकों के तौर पर काम नहीं करना चाहिए बल्कि सिंचाई जैसी कृषि अवसंरचना की स्थापना जैसी अन्य सहकारी गतिविधियों पर भी ध्यान देना चाहिए. सहकारिता मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए लघु अवधि के कर्ज से अधिक दीर्घावधि के कर्ज होने चाहिए. उन्होंने नाबार्ड से इसकी खातिर विस्तार इकाई का गठन करने को भी कहा.
उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्रालय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को बहुआयामी बनाने की दिशा में काम कर रहा है. उन्होंने कहा, 'हमने इसके लिए आदर्श उप-नियम बनाकर प्रदेशों में चर्चा के लिए भेजे हैं. सहकारिता के तत्व को बढ़ाते हुए हम 70-80 साल पुराने कानूनों को बदलकर पैक्स में नई-नई गतिविधियां जोड़ने काम कर रहे है.'
शाह ने कहा, 'अनेक बैंकों ने नए-नए सुधार किए मगर वे सुधार बैंकों तक ही सीमित रह गए और उनका लाभ पूरे क्षेत्र को नहीं मिला. बैंक केंद्रित सुधार इस क्षेत्र को नहीं बदल सकते. अगर क्षेत्र में सुधार आएंगे तो सहकारिता अपने आप मजबूत हो जाएगी.' उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से 70 साल में 64 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य बनी, लेकिन प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 8 साल में 64 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में वृद्धि हुई और कृषि का निर्यात पहली बार 50 अरब डॉलर को पार कर गया है. शाह ने कहा कि यह किसान कल्याण के प्रति मोदी सरकार की निष्ठा को दर्शाता है.
उत्कृष्ट प्रदर्शन पुरस्कार दिए : उन्होंने केरल, कर्नाटक, गुजरात और पश्चिम बंगाल के चार राज्य सहकारिता कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एससीएआरडीबी) को उत्कृष्ट प्रदर्शन पुरस्कार भी दिए. 90 साल से ग्रामीण क्षेत्र की सेवा करने के लिए चार सबसे पुराने एआरडीबी को भी सम्मानित किया गया.
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(पीटीआई-भाषा)