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रिटायर्ड जज ने वकील के खिलाफ अवमानना ​कार्रवाई के लिए दिल्ली HC का रुख किया

जिला अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) से एक वकील के खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया. जिसने उसे मारपीट का दोषी ठहराए जाने के बाद न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप किया था, जब वह एक वकील थीं.

Delhi court
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Feb 8, 2022, 3:23 PM IST

Updated : Feb 8, 2022, 7:37 PM IST

नई दिल्ली : एक रिटायर्ड जज ने वकील के खिलाफ अवमानना ​कार्रवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का रुख किया है. उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी दोषी को अदालत को डराने और धमकाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्व न्यायाधीश सुजाता कोहली को एक सप्ताह के भीतर कथित घटना के प्रासंगिक सीसीटीवी फुटेज को रिकॉर्ड में रखने को कहा ताकि अदालत अवमानना ​​के मामले में प्रथम दृष्टया राय बना सके.

दरअसल, पिछले साल 29 अक्टूबर में एक निचली अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला को भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया था. कोहली ने आरोप लगाया था कि खोसला ने अगस्त 1994 में उनके बालों को पकड़ा और घसीटा. उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में उन्होंने दावा किया कि सजा के मुद्दे पर निचली अदालत की कार्यवाही को खोसला और उनके समर्थकों द्वारा बाधित किया गया.

यह भी पढ़ें- SC ने समझौते के आधार पर अडानी पावर के खिलाफ GUVNL की क्यूरेटिव याचिका बंद की

उसने आरोप लगाया कि उसकी सजा के बाद खोसला ने बार निकायों से उसके साथ जुड़ने की अपील की और उन्होंने हड़ताल पर जाने का फैसला करते हुए उसका साथ दिया. उन्होंने कहा कि खोसला का आचरण अदालत कक्ष के अंदर भी आपत्तिजनक था. क्या हम दोषियों को अदालत की आंखों में घूरने, अदालत को डराने-धमकाने की अनुमति देने जा रहे हैं?दोषी/प्रतिवादी (खोसला) ने सामाजिक समूहों आदि पर सामग्री के प्रकाशन द्वारा, संबंधित अदालत का बहिष्कार करने के लिए हड़ताल के लिए भीड़ का समर्थन एकत्र किया और अदालत कक्ष में भारी संख्या में वकीलों/नेताओं के साथ खड़े होकर नारेबाजी की.

नई दिल्ली : एक रिटायर्ड जज ने वकील के खिलाफ अवमानना ​कार्रवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का रुख किया है. उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी दोषी को अदालत को डराने और धमकाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्व न्यायाधीश सुजाता कोहली को एक सप्ताह के भीतर कथित घटना के प्रासंगिक सीसीटीवी फुटेज को रिकॉर्ड में रखने को कहा ताकि अदालत अवमानना ​​के मामले में प्रथम दृष्टया राय बना सके.

दरअसल, पिछले साल 29 अक्टूबर में एक निचली अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला को भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया था. कोहली ने आरोप लगाया था कि खोसला ने अगस्त 1994 में उनके बालों को पकड़ा और घसीटा. उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में उन्होंने दावा किया कि सजा के मुद्दे पर निचली अदालत की कार्यवाही को खोसला और उनके समर्थकों द्वारा बाधित किया गया.

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उसने आरोप लगाया कि उसकी सजा के बाद खोसला ने बार निकायों से उसके साथ जुड़ने की अपील की और उन्होंने हड़ताल पर जाने का फैसला करते हुए उसका साथ दिया. उन्होंने कहा कि खोसला का आचरण अदालत कक्ष के अंदर भी आपत्तिजनक था. क्या हम दोषियों को अदालत की आंखों में घूरने, अदालत को डराने-धमकाने की अनुमति देने जा रहे हैं?दोषी/प्रतिवादी (खोसला) ने सामाजिक समूहों आदि पर सामग्री के प्रकाशन द्वारा, संबंधित अदालत का बहिष्कार करने के लिए हड़ताल के लिए भीड़ का समर्थन एकत्र किया और अदालत कक्ष में भारी संख्या में वकीलों/नेताओं के साथ खड़े होकर नारेबाजी की.

Last Updated : Feb 8, 2022, 7:37 PM IST
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